युवा असमिया कवि बर्षाश्री बुरागोहेन द्वारा सोशल मीडिया पर लिखी गई एक कविता को राष्ट्र के ख़िलाफ़ माना गया था. उन पर अलगाववादी समूह उल्फा (आई) का समर्थन करने का आरोप लगा था. बीते साल मई महीने में यूएपीए के तहत केस दर्ज उन्हें गिरफ़्तार किया गया था.
नई दिल्ली: असम की एक निचली अदालत ने युवा असमिया कवि बर्षाश्री बुरागोहेन को राज्य पुलिस द्वारा कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम या यूएपीए के तहत दर्ज सभी आरोपों से बरी कर दिया है.
सोशल मीडिया पर लिखी गई उनकी एक कविता को राष्ट्र के खिलाफ माना गया था और उनकी गिरफ्तारी के बाद वह सुर्खियों में आ गई थी. इस संबंध में उनके खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था.
अदालत ने बीते 18 मार्च को यह आदेश जारी किया है. असम पुलिस ने बर्षाश्री पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अलगाववादी समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम, उल्फा (स्वतंत्र) के वार्ता विरोधी गुट के साथ मिलकर ‘राष्ट्र के खिलाफ विद्रोह का कार्य’ किया था.
19 वर्षीय बर्षाश्री को सोशल मीडिया पर ‘अकोउ कोरिम राष्ट्र द्रोह’ (राष्ट्र के खिलाफ फिर विद्रोह करेंगे) शीर्षक से एक कविता पोस्ट करने के आरोप में बीते 18 मई 2022 को गोलाघाट जिले के उरियामघाट से गिरफ्तार किया गया था.
मई 2022 में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने सोशल मीडिया पर असहमति व्यक्त करने वाले नागरिकों पर अपनी कार्रवाई जारी रखते हुए 19 वर्षीय बर्षाश्री को फेसबुक पर एक कविता लिखने के लिए गिरफ्तार किया था. सत्तारूढ़ दल ने दावा किया कि यह युवाओं को उल्फा में शामिल होने का आह्वान था.
जोरहाट जिले के डीसीबी कॉलेज में गणित की पढ़ाई कर रहीं बर्षाश्री की गिरफ्तारी ने राज्य को झकझोर कर रख दिया था और लोगों द्वारा मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा से उन्हें रिहा करने की अपील की गई थी.
हालांकि मुख्यमंत्री ने उन पर यह भी आरोप लगाया था कि वह लोगों को प्रतिबंधित सशस्त्र संगठन में शामिल कराने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा था, ‘हम उसे ऐसा कैसे करने देंगे? वह मानव बम के रूप में वापस आएगी और अगर वह उल्फा (आई) में गई तो हमें मार डालेगी.’
उनके खिलाफ दायर एफआईआर में उन पर कविता में उन पंक्तियों को लिखने का आरोप लगाया गया था, जो ‘उल्फा-आई के समर्थन में थे’ और इस प्रकार उन्होंने ‘भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का इरादा’ व्यक्त किया था.
अपनी गिरफ्तारी के दो महीने बाद अपने कॉलेज की परीक्षा में बैठने के प्रयास में बर्षाश्री ने गोलाघाट जिले के सत्र न्यायालय का रुख किया. अदालत ने उसके पक्ष में फैसला दिया था, जिससे वह 16 जुलाई, 2022 से शुरू होने वाली परीक्षा में बैठने में सक्षम हो गई थीं.
बीते 18 मार्च को गोलाघाट सत्र अदालत द्वारा सभी आरोपों से उन्हें बरी किए जाने के बाद उनके भाई अरिंदोम बुरागोहेन ने इंडिया टुडेएनई को बताया, ‘हमें न्याय मिला, आखिरकार सच्चाई की जीत हुई.’
बर्षाश्री बुरागोहेन 22 जुलाई, 2022 से जमानत पर बाहर हैं.
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