यूपी: मुरादाबाद में एक निजी संपत्ति पर आयोजित रमज़ान की नमाज़ को बजरंग दल ने बाधित किया

उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद पुलिस ने रमज़ान के दौरान हो रही नमाज़ के दौरान मौजूद 10 मुसलमानों को नोटिस जारी किया है. साथ ही जिस संपत्ति पर नमाज़ अदा की गई थी, उसके मालिक ज़ाकिर हुसैन को निर्देशित किया गया है कि वहां किसी भी सामूहिक प्रार्थना का आयोजन न किया जाए.

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घटना स्थल पर मीडिया से बात करते उत्तर प्रदेश बजरंग दल अध्यक्ष रोहन सक्सेना. फोटो: यूट्यूब वीडियो स्क्रीनग्रैब)

उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद पुलिस ने रमज़ान के दौरान हो रही नमाज़ के दौरान मौजूद 10 मुसलमानों को नोटिस जारी किया है. साथ ही जिस संपत्ति पर नमाज़ अदा की गई थी, उसके मालिक ज़ाकिर हुसैन को निर्देशित किया गया है कि वहां किसी भी सामूहिक प्रार्थना का आयोजन न किया जाए.

घटना स्थल पर मीडिया से बात करते उत्तर प्रदेश बजरंग दल अध्यक्ष रोहन सक्सेना. फोटो: यूट्यूब वीडियो स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हिंदुत्ववादी संगठन बजरंग दल से जुड़े लोगों द्वारा बीते शनिवार (25 मार्च) को एक निजी गोदाम में रमज़ान की नमाज़ अदा करने के दौरान खलल डालने और विरोध प्रदर्शन करने का मामला सामने आया है.

पुलिस ने वहां मौजूद 10 मुसलमानों को सीआरपीसी 107/116 (शांति भंग करने से रोकने के लिए एक निवारक उपाय) के तहत नोटिस जारी किया है और साथ ही एक मुस्लिम परिवार, जिसकी वह संपत्ति है, को निर्देशित किया है कि वहां किसी भी सामूहिक प्रार्थना का आयोजन न करे.

पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से यह भी पूछा कि क्षेत्र में ‘शांति भंग करने के लिए’ उन्हें पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना क्यों नहीं देना चाहिए. पुलिस की इस कार्रवाई की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हुई.

पुलिस ने बाद में पाया कि विवाद वास्तव में मुस्लिम परिवार से जुड़े एक पुराने संपत्ति विवाद से उपजा था. संपत्ति विवाद में शामिल दोनों पक्षों को नोटिस दिया गया है.

ट्विटर पर उपलब्ध पुलिस के एक बयान के अनुसार, ज़ाकिर हुसैन, जो थाना कटघर क्षेत्र के लाजपत नगर चौकी में ज़ाकिर आयरन स्टोर का मालिक हैं, ने रमज़ान के तीसरे दिन तरावीह (रमज़ान के महीने में की जाने वाली नमाज़, जिसमें कुरान की आयतें पढ़ना शामिल है) कार्यक्रम आयोजित किया था. कार्यक्रम में करीब 25-20 लोगों ने भाग लिया.

हिंदू बहुल/मिश्रित आबादी वाले इलाके में स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची.

बयान में कहा गया है कि तब पुलिस ने मुसलमानों से इस तरह के सामूहित कार्यक्रम ‘पूर्व-चिह्नित धार्मिक स्थलों’ पर परंपरा के अनुसार या व्यक्तिगत रूप से अपने घरों में करने के लिए कहा. बताया जा रहा है कि इसके बाद संपत्ति के मालिक ज़ाकिर हुसैन ने पुलिस को लिखित में दिया है कि वह अब से अपने घर पर इस तरह के कार्यक्रम नहीं करेंगे.

द वायर  ने इस संबंध में हुसैन से संपर्क किया, हालांकि, वह इस घटना के बारे में विस्तार से बताने से हिचक रहे थे. उन्होंने केवल इतना कहा कि रमजान तरावीह की नमाज बंद कर दी गई है और वह ऐसा कोई विवाद पैदा नहीं करना चाहते हैं, जिससे माहौल खराब हो. उन्होंने आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

इस बीच, बजरंग दल की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रोहन सक्सेना ने कहा कि वह किसी को भी ‘नई परंपराएं’ बनाने नहीं देंगे.

सोशल मीडिया पर उपलब्ध एक वीडियो बयान में उन्होंने कहा, ‘हमने पुलिस से कहा है कि जो लोग नई परंपराएं बनाना चाहते हैं (और) शहर की शांति भंग करना चाहते हैं, उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए. हम किसी नई परंपरा की अनुमति नहीं देंगे.’

 

उन्होंने पुलिस से इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने में विफल रहने की स्थिति में बजरंग दल विरोध प्रदर्शन करेगा.

विवाद के बाद मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा ने एक बयान में कहा कि किसी भी व्यक्ति को दूसरों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. अगर कोई व्यक्ति नमाज, तरावीह या पूजा पाठ कर रहा है, तो किसी अन्य पक्ष को उस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. अगर कोई इस तरह की गतिविधियों में शामिल होता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

मीणा ने हिंदुओं और मुसलमानों को शांति बनाए रखने की अपील करते हुए उन्हें सद्भाव को भंग किए बिना अपने त्योहारों को शांतिपूर्ण तरीके से मनाने के लिए कहा.

पिछले साल इसी तरह की एक घटना मुरादाबाद में हुई थी जब पुलिस ने कथित तौर पर सार्वजनिक स्थान पर नमाज अदा करने के आरोप में 26 मुस्लिमों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. छजलैट पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505 (सार्वजनिक शरारत को बढ़ावा देने वाला बयान) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोप था कि भड़काने और दुश्मनी पैदा करने के लिए लोग सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ रहे थे.

हालांकि, बाद में मीडिया रिपोर्टों से पता चला कि गांव में कोई मदरसा या मस्जिद नहीं थी और घरों के अंदर ही नमाज अदा की जाती थी. बाद में मामला वापस ले लिया गया और पुलिस ने आरोपों को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया.

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