बीते फरवरी में आईआईटी-बॉम्बे में बीटेक के छात्र दर्शन सोलंकी की मौत छात्रावास की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने के चलते हो गई थी. उनके परिवार ने इसके लिए कैंपस में हुए जातिगत भेदभाव को ज़िम्मेदार बताया था, जिससे संस्थान की जांच समिति ने इनकार किया था.
नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)- बॉम्बे में एक दलित छात्र की आत्महत्या के करीब डेढ़ महीने से बाद मुंबई पुलिस की अपराध शाखा की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) को छात्र के कमरे से एक ‘सुसाइड नोट’ बरामद हुआ है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि जिस छात्रावास में दर्शन सोलंकी रहते थे उसी मंजिल पर रहने वाला एक साथी छात्र उन्हें परेशान करता था और धमकी देता था. जांच दल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अख़बार को बताया, ‘हमें नोट उनके कमरे में मिला. उन्होंने एक साथी छात्र पर धमकाने और परेशान करने का आरोप लगाया है. हमें उनके बीच हुई कुछ वॉट्सऐप चैट भी मिली है.’
अधिकारी ने आगे बताया, ‘शुरू में हमें लगा कि सेमेस्टर में खराब प्रदर्शन उनकी मौत की वजह बना. हालांकि, यह सुसाइड नोट, जो हमें लगता है कि दर्शन ने यह घातक कदम उठाने से कुछ मिनट पहले लिखा था, बताता है कि उसे प्रताड़ित किया गया था.’
ज्ञात हो कि बीते फरवरी में आईआईटी-बॉम्बे में बीटेक के छात्र दर्शन सोलंकी की मौत छात्रावास की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने के चलते हो गई थी. उनके परिवार ने उनके इस क़दम के लिए कैंपस में हुए जातिगत भेदभाव को ज़िम्मेदार बताया था. उनकी बहन का कहना था कि दर्शन ने कैंपस में जाति-आधारित भेदभाव के बारे में उनसे बात की थी. दर्शन का कहना था कि परिसर में यह एक सामान्य बात थी कि कैसे आरक्षित सीटों पर प्रवेश पाने वाले छात्रों को साथी छात्रों द्वारा हेय दृष्टि से देखा जाता है.
हालांकि, मामले की जांच के लिए संस्थान द्वारा गठित समिति ने इस पहलू से इनकार करते हुए आत्महत्या की वजह व्यक्तिगत बताई थी. लेकिन परिसर के एक छात्र संगठन- अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल (एपीपीएससी) द्वारा इस रिपोर्ट को खारिज किया गया था.
मिडडे के अनुसार, मामले की जांच से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने इस अख़बार को बताया कि उन्हें संदेह है कि आत्महत्या वाले दिन कुछ हुआ था और सातवीं मंजिल से कूदने से पहले मृतक ने यह सुसाइड नोट लिखा था.
अधिकारी ने यह भी बताया कि अब आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है.
उल्लेखनीय है कि इस घटना के बाद सामने आए आईआईटी बॉम्बे के एक सर्वे में बताया गया था कि संस्थान में में एससी/एसटी छात्रों की मानसिक समस्याओं के पीछे जातिगत पूर्वाग्रह हैं.
संस्थान के एससी/एसटी छात्र प्रकोष्ठ द्वारा किए गए मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में बताया गया था कि संस्थान में एससी/एसटी छात्रों को कम क्षमतावान छात्रों के रूप में देखा जाता है. सर्वे में शामिल कई छात्रों का कहना था कि यहां अंग्रेज़ी में धाराप्रवाह होने या न होने से आपकी जाति की पहचान की जाती है.