एनआरसी और परिसीमन दो अलग कानूनी प्रक्रियाएं हैं, उन्हें एक साथ करने पर रोक नहीं: चुनाव आयोग

असम में कई विपक्षी दलों द्वारा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) प्रक्रिया के समापन तक परिसीमन अभ्यास को रोकने के आग्रह से संबंधित ज्ञापन चुनाव आयोग को सौंपे जाने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने यह बात कही है. ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा मुस्लिम बहुल सीटों के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कर रही है.

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(फोटो साभार: ट्विटर/@ceo_assam)

असम में कई विपक्षी दलों द्वारा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) प्रक्रिया के समापन तक परिसीमन अभ्यास को रोकने के आग्रह से संबंधित ज्ञापन चुनाव आयोग को सौंपे जाने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने यह बात कही है. ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा मुस्लिम बहुल सीटों के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कर रही है.

(फोटो साभार: ट्विटर/@ceo_assam)

नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अंतिम मसौदे से बाहर किए गए 1.9 लाख लोगों के बारे में विपक्षी दलों की चिंताओं पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि जिन लोगों के नाम 2001 की जनगणना में शामिल किए गए थे, वे असम के परिसीमन अभ्यास (Delimitation Exercise) का हिस्सा होंगे.

असम में कई विपक्षी दलों द्वारा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) प्रक्रिया के समापन तक परिसीमन अभ्यास को रोकने के आग्रह से संबंधित ज्ञापन चुनाव आयोग को सौंपे जाने के एक दिन बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को कहा कि एनआरसी का अपडेशन और परिसीमन दो अलग-अलग कानूनी प्रक्रियाएं हैं और उन्हें एक साथ करने पर कोई रोक नहीं है.

एनडीटीवी के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा कि परिसीमन के बाद भी 126 विधानसभा सीटें और 14 संसदीय सीटें समान रहेंगी, यह दर्शाता है कि निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं फिर से निर्धारित की जाएंगी.

असम के नागरिकों की तैयार अंतिम सूची यानी कि अपडेटेड एनआरसी 31 अगस्त, 2019 को जारी की गई थी, जिसमें 31,121,004 लोगों को शामिल किया गया था, जबकि 1,906,657 लोगों को इसके योग्य नहीं माना गया था.

पिछले तीन दिनों में चुनाव आयोग ने असम में परिसीमन अभ्यास के हिस्से के रूप में विभिन्न हितधारकों से मुलाकात की.

नौ मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों, तीन पंजीकृत दलों और 60 से अधिक नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग की पूरी टीम से मुलाकात की.

कई विपक्षी दलों ने सवाल किया है कि परिसीमन अभ्यास 2011 की जनगणना के बजाय 2001 की जनगणना पर आधारित क्यों है. ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा मुस्लिम बहुल सीटों के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कर रही है, जिसका भाजपा ने खंडन किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2001 की जनगणना को अभ्यास के आधार के रूप में उपयोग करने को लेकर राजीव कुमार ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 170 के प्रावधानों के अनुरूप है.

उन्होंने कहा, ‘इस अभ्यास के दो पहलू हैं. अनुच्छेद 170 में प्रत्येक जनगणना के बाद मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्समायोजन प्रदान किया गया है. मौजूदा सीमाओं को 2026 के बाद पहली जनगणना के आधार पर बदल दिया जाएगा. तब तक, जहां भी यह होना बाकी है – किसी कारण से, अगर कहीं पुन: समायोजन नहीं हो रहा है और अंतिम परिसीमन 1971 के आधार पर हुआ – तो अनुच्छेद (170) कहता है कि यह 2001 की जनगणना के आधार पर होगा.’

कई वर्षों की देरी के बाद 27 दिसंबर 2022 को चुनाव आयोग ने असम में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन को 2001 की जनगणना के आधार पर पूरा करने की योजना की घोषणा की थी. आखिरी बार 1976 में असम में यह अभ्यास किया गया था.

जहां कई राज्यों ने नई सहस्राब्दी के पहले दशक में इस अभ्यास का एक नया दौर देखा, इसे असम में कई मौकों पर टाल दिया गया, क्योंकि राजनीतिक दलों ने एनआरसी को अद्यतन करने के लिए चल रही कवायद का हवाला देते हुए इसका विरोध किया था.

परिसीमन से पहले एनआरसी को पूरा किया जाना चाहिए, इस सुझाव पर कुमार ने कहा कि दलों द्वारा कुछ प्राथमिक चिंताएं जताई गई थीं.

इनमें 2001 की जनगणना के 20 साल पुराने आंकड़ों को परिसीमन के आधार के रूप में क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है; लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि क्यों नहीं होने जा रही है; अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के निर्वाचन क्षेत्रों के माध्यम से पर्याप्त प्रतिनिधित्व और कम जनसंख्या वृद्धि वाले क्षेत्रों में सीटों की कमी के खिलाफ सुरक्षा उपाय, जैसी चिंताएं शामिल थी.

यह कहते हुए कि प्रक्रिया में हितधारकों द्वारा प्रस्तुत सुझावों और चिंताओं पर विचार किया जाएगा, कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग एक मसौदा तैयार करेगा, जिसके बाद लोगों को अधिक सुझाव भेजने के लिए एक महीने का समय मिलेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बाद में एक और दौर के परामर्श के लिए फिर से असम लौटेगा.

हालांकि, कुमार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह प्रक्रिया अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पूरी हो जाएगी या नहीं.

उन्होंने कहा, ‘हम समय का खुलासा नहीं कर रहे. हालांकि, हम उस प्रतिक्रिया से बहुत उत्साहित हैं, जो बताती है कि इस अभ्यास को पूरा करने के लिए एक समझ और भागीदारी है. अगर हमें इस तरह के समर्थन और सुझाव मिलते रहे, तो हम अपना काम तेजी से लेकिन अत्यधिक सावधानी से करेंगे, क्योंकि यह एक जटिल अभ्यास है.’

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