फरवरी 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन दिन के असम दौरे पर थे, जिस दौरान वे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी गए थे. अब एक आरटीआई के जवाब में सामने आया है कि उनकी मेजबानी इंतज़ामों के लिए सरकार ने 1.1 करोड़ रुपये बाघ संरक्षण निधि और 51 लाख रुपये उद्यान के एक अन्य वन्यजीव कोष से लिए थे.
नई दिल्ली: असम सरकार ने फरवरी 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनके परिवार को दो रातों के लिए काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ठहराने के दौरान खाने, टेंट, कालीन, स्मृति चिह्न आदि के इंतजाम के लिए उद्यान के बाघ संरक्षण कोष से 1.1 करोड़ रुपये खर्च किए थे.
राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र निदेशक (फील्ड डायरेक्टर) के कार्यालय से सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में यह भी पता चला है कि इसके अतिरिक्त प्रधान वन संरक्षक और राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन एमके यादव ने राष्ट्रीय उद्यान के एक अन्य वन्यजीव कोष से 51 लाख रुपये आवंटित किए थे, जिससे गणमान्य अतिथियों के लिए रेड कार्पेट बिछाए गए.
फील्ड डायरेक्टर द्वारा दिए जवाब के अनुसार, पार्क अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीवों की रक्षा के लिए निर्धारित धन से कुल 1,64,16,000 रुपये राष्ट्रपति और उनके काफिले के उद्यान में आराम से रहने के इंतजामों के लिए खर्च किए गए थे.
Today I called on Mahamahim Rashtrapati Sri Ramnath Kovind ji at President House. I am extremely proud to have received Hon President’s blessings & guidance.
I extended an invitation to him to kindly grace us with his visit to Assam and see Kaziranga.@rashtrapatibhvn pic.twitter.com/Q4UVR2ZXkU
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 2, 2021
जुलाई 2021 में राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद को असम आने का निमंत्रण देने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे. राष्ट्रपति ने यह निमंत्रण स्वीकार किया था.
मुख्यमंत्री ने स्थानीय मीडिया को बताया था कि 25 से 27 फरवरी, 2022 तक इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान राष्ट्रपति 25 फरवरी को तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह सहित कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे. इसके बाद 27 फरवरी, 2022 को दिल्ली लौटने से पहले राष्ट्रपति कोविंद और उनका दल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में एक रिट्रीट पर जाएंगे.
President Ram Nath Kovind inaugurated an exhibition on Kaziranga National Park and Tiger Reserve, Assam. The President was briefed about wildlife-friendly-initiatives. He exhorted the Government and people of Assam to take forward their conservation efforts. pic.twitter.com/OlsX6LNmgI
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 27, 2022
उस समय मुख्यमंत्री शर्मा के इस बयान कि ‘राष्ट्रपति भवन द्वारा उनका असम दौरे पर आने का न्योता स्वीकारना उनकी सरकार की उपलब्धि है’ ने मीडिया का पर्याप्त ध्यान खींचा था.
हाल ही में स्थानीय पशु अधिकार कार्यकर्ता रोहित चौधरी को राष्ट्रीय उद्यान के फील्ड डायरेक्टर के कार्यालय से एक आरटीआई जवाब से पता चला है कि इस दौरे में, विशेष रूप से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के लिए पार्क के बाघ संरक्षण कोष से पैसा लिया गया था. इसके साथ ही राज्य सरकार ने केवल वन्यजीव संरक्षण पर खर्च करने के लिए बने एक अन्य कोष से भी धन लिया था.
द वायर से बात करते हुए चौधरी ने कहा, ‘मैंने 18 मई, 2022 को अनौपचारिक रूप से यह सुनने के बाद कि भारत के राष्ट्रपति की मेजबानी में राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों द्वारा वन्यजीवों के लिए निर्धारित कोष का इस्तेमाल किया गया था, आरटीआई दायर की थी. पार्क अधिकारियों से जवाब नहीं मिला.
उन्होंने आगे बताया, ‘फिर अगस्त 2022 में मैंने आरटीआई कानून के तहत राज्य सूचना आयोग से दो बार अपील की. अंतत: आयोग ने पार्क अधिकारियों को नोटिस जारी किया कि वे मुझे जानकारी दें और यह मुझे 30 नवंबर, 2022 को मिली. आप कह सकते हैं कि पार्क अधिकारियों से आधिकारिक तौर पर यह जानकारी पाने के लिए मुझे छह महीने तक इंतजार करना पड़ा.’
30 नवंबर 2022 के जवाब में पार्क अधिकारियों ने कहा कि असम बाघ संरक्षण नियम 2010 के नियम 25 (बी) (2) के प्रावधान के अनुसार काजीरंगा बाघ संरक्षण फाउंडेशन की निधि से 1,12,60,397 रुपये की राशि, मंडल वन अधिकारी सह उप निदेशक, पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग, काजीरंगा टाइगर रिजर्व को भारत के राष्ट्रपति की पार्क की यात्रा संबंधी व्यवस्था करने के लिए स्वीकृत की गई थी.
Team @kaziranga_ with Honourable President Shri Ram Nath Kovind ji who graced Kaziranga with his presence along with Honourable CM Shri @himantabiswa ji@rashtrapatibhvn @moefcc @ntca_india @assamforest @mygovassam pic.twitter.com/ANHhcQhmbZ
— Kaziranga National Park & Tiger Reserve (@kaziranga_) February 28, 2022
काजीरंगा बाघ संरक्षण फाउंडेशन जीप और हाथी सफारी से पार्क को होने वाली कमाई से वित्त पोषित है. मानस और नामेरी रिजर्व में राज्य के ऐसे दो अन्य फाउंडेशन हैं. ये फाउंडेशन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38x के तहत स्थापित किए गए थे.
खर्च को सही ठहराने के लिए पार्क अधिकारीयों ने जिस नियम 25 (बी) (2) का हवाला दिया है, उसमें कहा गया है, ‘पर्यटक प्रवेश शुल्क और अन्य शुल्क आदि के माध्यम से प्राप्त धन का 90 प्रतिशत नीचे उल्लिखित गतिविधियों में उपयोग किया जाएगा और फंड का 10 प्रतिशत सोसाइटी फंड के रूप में फिक्स्ड डिपॉज़िट में रखा जाएगा.
हालांकि, नियमों के अध्ययन में यह भी सामने आता है कि धन का उपयोग केवल बाघ संरक्षण को बढ़ाने और स्थानीय लोगों की भागीदारी के माध्यम से पर्यावरण-विकास पहल और संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जाना है.
नियमों में बताई गई गतिविधियों में कहीं भी ‘किसी गणमान्य व्यक्ति के दौरे की लागत को पूरा करने के लिए फाउंडेशन से धन लेने’ की बात शामिल नहीं है.
इसके अतिरिक्त, आरटीआई के जवाब में बताया गया कि मुख्य वन्यजीव वार्डन यादव ने दौरे के लिए 51,97,581.00 रुपये स्वीकृत किए थे, जिसमें से 41,653.80 रुपये खर्च नहीं हुए.
आरटीआई जवाब के साथ संलग्न में दिया गया व्यय का विस्तृत विवरण निम्नलिखित उद्देश्यों को दर्शाता है:
इस विवरण में अंतिम कॉलम गौरतलब है, जहां एक दिन की चाय पर करीब 50,000 रुपये का खर्च बताया गया है.
दौरे के लिए विभिन्न निरीक्षण बंगलों के जीर्णोद्धार के काम पर भी बाघ संरक्षण निधि से एक बड़ी राशि खर्च की गई थी.
टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक हैं, इसकी गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष वन्यजीव के प्रभारी मंत्री हैं और उपाध्यक्ष पर्यावरण और वन विभाग में प्रमुख सचिव/आयुक्त और सचिव हैं. प्रधान मुख्य वन संरक्षक इसके सदस्य हैं, जिनमें स्थानीय विधायक सहित कई अन्य लोग शामिल हैं.
कोविंद की यात्रा के दौरान पार्क अधिकारियों द्वारा बाघ संरक्षण कोष के दुरुपयोग के बारे में पूछे जाने पर राज्य के वन मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने असमिया मीडिया से कहा कि वह इससे अनभिज्ञ हैं और इसकी जांच करेंगे.
चौधरी कहते हैं, ‘काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक (स्थानीय मीडिया को) बाघ संरक्षण फाउंडेशन के धन को खर्च करने के लिए ऊपर के आदेशों का हवाला दिया था, जो वास्तविक नहीं लगता. जब वह ‘ऊपरी ताकत की बात कर रहे हैं, मैं बस उम्मीद करता हूं कि उनका मतलब दैवीय शक्तियों से नहीं है.’
22 फरवरी को चौधरी ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर काजीरंगा बाघ संरक्षण फाउंडेशन से उपयोग किए गए धन की प्रतिपूर्ति का अनुरोध किया, जिसकी एक प्रति मुख्यमंत्री को भी भेजी गई है. उन्होंने बताया कि इसका कोई जवाब उन्हें नहीं मिला है.
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत में रॉयल बंगाल टाइगर और तेंदुओं के लिए दुर्लभ जंगली प्रजनन क्षेत्रों में से एक माना जाता है. 2006 में पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था और माना जाता है कि यह दुनिया में बाघों के उच्चतम घनत्व वाले क्षेत्रों में से एक है. 2022 की जनगणना के अनुसार, पार्क में 124 बाघ हैं, जो 2017 के 104 के आंकड़े की तुलना में इनकी जनसंख्या में बढ़त को दिखाता है.
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