शीर्ष कला और सांस्कृतिक अकादमी ‘कलाक्षेत्र फाउंडेशन’ में क़रीब 90 छात्राओं ने चार फैकल्टी सदस्यों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. चेन्नई पुलिस ने इनमें से एक- सहायक प्रोफेसर हरि पद्मन को गिरफ़्तार किया है.
नई दिल्ली: चेन्नई पुलिस ने एक पूर्व छात्र द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में कलाक्षेत्र फाउंडेशन के सहायक प्रोफेसर हरि पद्मन को सोमवार (3 अप्रैल) सुबह गिरफ्तार किया है.
पद्मन के उत्पीड़न के कारण कलाक्षेत्र में स्नातकोत्तर डांस प्रोग्राम छोड़ने वाली शिकायतकर्ता ने एनडीटीवी को बताया, ‘उन्होंने एक बार मुझसे सेक्सुअल फेवर के लिए कहा था. कहा कि मैं उनके घर आ जाऊं और कहा कि किसी को पता नहीं चलेगा.’ उनका आरोप है कि क्योंकि उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया, उनसे एक आगामी नृत्य नाटक की महत्वपूर्ण भूमिका वापस ले ली गई.
उल्लेखनीय है कि चेन्नई में शीर्ष कला और सांस्कृतिक अकादमी ‘कलाक्षेत्र फाउंडेशन’ में छात्र यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. विरोध प्रदर्शन के बीच फाउंडेशन ने रुक्मिणी देवी कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स को 6 अप्रैल तक बंद करने की घोषणा की थी और छात्रों को परिसर खाली करने के लिए कहा था. हालांकि, न्याय मिले बिना हटने से इनकार करते हुए छात्रों ने अपना धरना जारी रखा था.
ज्ञात हो कि कलाक्षेत्र केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत स्वायत्त रूप से काम करता है.
कलाक्षेत्र की करीब 90 छात्राओं ने तमिलनाडु राज्य महिला आयोग की प्रमुख एआर कुमारी को पिछले हफ्ते बताया था कि उन्हें पद्मन और तीन रिपर्टरी कलाकारों- संजीत लाल, साई कृष्णन और श्रीनाथ द्वारा यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार किया था.
कुमारी ने द न्यूज़ मिनट को बताया कि वह और आयोग सभी शिकायतों की जांच कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को सौंपूंगी. उनके आकलन के बाद सरकार पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देशित करेगी.’
उन्होंने बताया, ‘छात्रों से मेरी पूछताछ के दौरान संस्थान के पूर्व छात्रों समेत सभी ने कहा कि 2008 से ही कॉलेज में यौन उत्पीड़न हो रहा था.’
शुक्रवार को पुलिस ने पद्मन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए (यौन उत्पीड़न) और 506 (आपराधिक धमकी) और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा 4 (महिला के उत्पीड़न के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया था.
कैंपस में हो रहे यौन उत्पीड़न की शिकायतें सार्वजनिक तब हुईं जब कलाक्षेत्र की पूर्व निदेशक लीला सैमसन ने पिछले दिसंबर में एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि कैसे अपने पद का दुरूपयोग करने वाले एक शिक्षक द्वारा छात्रों का यौन उत्पीड़न किया जा रहा था. हालांकि सैमसन ने कथित अपराधी का नाम नहीं लिया था, लेकिन उन्होंने सर्वाइवर्स का नाम लिया था. बाद में उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दी थी.
इस पोस्ट के बाद खासा आक्रोश देखने को मिला और छात्र-छात्राओं ने जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन भी शुरू कर दिया था. 21 मार्च को द प्रिंट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि छात्रों में इन शिकायतों को लेकर असंतोष बढ़ रहा था और उनका कहना था कि कथित दुर्व्यवहार करने वालों को बचाया जा रहा है और यहां तक कि उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है. छात्रों ने संस्थान द्वारा उत्पीड़न के आरोपों को गंभीरता से लेने के बजाय मामले को दबा देने के प्रयास करने की बात भी कही थी.