स्कूली शिक्षा पर केंद्र और राज्य की शीर्ष सलाहकार संस्था एनसीईआरटी ने इतिहास के पाठ्यक्रम में संशोधन किया है और सीबीएसई की 12वीं कक्षा की मध्यकालीन इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स’ और ‘द मुग़ल कोर्ट्स’ पर आधारित अध्यायों को हटा दिया है.
नई दिल्ली: मुगल साम्राज्य से संबंधित अध्याय अब सीबीएसई और यूपी बोर्ड की 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए इतिहास के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे.
एक शीर्ष अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि स्कूली शिक्षा पर केंद्र और राज्य की शीर्ष सलाहकार संस्था एनसीईआरटी ने इतिहास के पाठ्यक्रम में संशोधन किया है और सीबीएसई की 12वीं कक्षा की मध्यकालीन इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स’ और ‘द मुगल कोर्ट्स’ पर आधारित अध्यायों को हटा दिया है.
उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की इतिहास की नई पाठ्यपुस्तकों को अपनाएंगे, जिसमें मुगल दरबारों के बारे में अंश हटा दिए गए हैं.
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, ‘हम अपने छात्रों को एनसीईआरटी की किताबों का इस्तेमाल कर पढ़ाते हैं. संशोधित संस्करण में जो कुछ भी है, उसका पालन किया जाएगा.’
अतिरिक्त मुख्य सचिव (बेसिक और माध्यमिक शिक्षा) दीपक कुमार ने इस कदम की पुष्टि की. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘हम एनसीईआरटी की किताबों का अनुसरण करते हैं और संशोधित संस्करण में जो कुछ भी उपलब्ध है, हम 2023-24 सत्र से राज्य के स्कूलों में इसका अनुसरण करेंगे.’
12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की किताबों को भी संशोधित किया गया है. ‘राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट्स’ (भारत में समाजवादी और कम्युनिस्ट पार्टियों के उदय के बारे में) और ‘एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस’ (स्वतंत्रता के बाद के युग में कांग्रेस शासन के बारे में) अध्याय हटाए गए हैं.
कक्षा 10वीं और 11वीं की पाठ्यपुस्तकों में भी बदलाव किए गए हैं. कक्षा 10वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताबों से ‘डेमोक्रेसी एंड डायवर्सिटी’, ‘पॉपुलर स्ट्रगल्स एंड मूवमेंट’ वाले अध्याय हटा दिए गए हैं और कक्षा 11वीं की इतिहास की किताबों से ‘सेंट्रल इस्लामिक लैंड’ और ‘कंफ्रंटेशन ऑफ कल्चर’ हटा दिए गए हैं.
इन बदलावों की पुष्टि करते हुए एनसीईआरटी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस साल (2023-24) से ही पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा.
इनमें से कई बदलावों की घोषणा 2022 की शुरुआत में की गई थी, जब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अप्रैल में अपने पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाया था. सीबीएसई के तहत स्कूलों के अलावा, कुछ राज्य बोर्ड भी एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों का इस्तेमाल करते हैं.
बहरहाल, ऐसा पहली बार नहीं है, जब एनसीईआरटी ने ऐसा कोई कदम उठाया हो. बीते वर्ष, एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम से पर्यावरण संबंधी अध्याय हटा दिए थे. जिस पर शिक्षकों ने विरोध जताया था.
इसी तरह, कोविड के बहाने एनसीईआरटी ने समाजशास्त्र की किताब से जातिगत भेदभाव से संबंधित सामग्री हटाई थी.
इससे पहले कक्षा 12 की एनसीईआरटी की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर संबंधी पाठ में बदलाव किया था.
वहीं, कक्षा 10वीं की इतिहास की किताब से राष्ट्रवाद समेत तीन अध्याय हटाए थे. इससे पहले, त्रावणकोर की महिलाओं के जातीय संघर्ष समेत तीन अध्याय 9वीं कक्षा की किताबों से हटाए थे.
वहीं, 2018 में भी एक ऐसे ही बदलाव में कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ‘गुजरात मुस्लिम विरोधी दंगों’ में से ‘मुस्लिम विरोधी’ शब्द हटा दिया था.