एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पिछले सप्ताह पंजाब में कई पत्रकारों और मीडिया संगठनों के सोशल मीडिया एकाउंट के निलंबन पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार की कार्रवाइयां सुरक्षा बनाए रखने के बहाने प्रेस की स्वतंत्रता को कमज़ोर करती हैं. अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह को गिरफ़्तार करने के क्रम में सरकार ने कई पत्रकारों के अलावा अन्य लोगों के सोशल मीडिया एकाउंट को निलंबित कर दिया है.
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पिछले सप्ताह पंजाब में कई पत्रकारों और मीडिया संगठनों के सोशल मीडिया एकाउंट के ‘मनमाने निलंबन’ पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार की कार्रवाइयां सुरक्षा बनाए रखने के बहाने प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर करती हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीबीसी पंजाबी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट और पंजाब के प्रमुख पत्रकारों के सोशल मीडिया अकाउंट के निलंबन का जिक्र करते हुए गिल्ड ने कहा, ‘यह अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर बड़े प्रतिबंध के साथ-साथ पंजाब सरकार द्वारा 17 मार्च से पत्रकारों के अलावा अन्य कई सोशल मीडिया एकाउंट को निलंबित करने के आदेशों का हिस्सा रहा है.’
इसने यह भी कहा कि इन सभी एकाउंट के निलंबन में किसी उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ आदेश दिए गए थे.
गिल्ड ने कहा, ‘इस तथ्य के बावजूद कि कुछ एकाउंट को बाद में बहाल कर दिया गया था या फिर निलंबित किए गए कई एकाउंट पत्रकारों या समाचार संगठनों से जुड़े लोगों के नहीं हो सकते हैं, लेकिन गिल्ड चिंतित है कि सुरक्षा बनाए रखने के बहाने, राज्य सरकार की मनमानी कार्रवाई प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर करती है.’
इसने कहा कि मीडिया बिरादरी के खिलाफ व्यापक कार्रवाई ने पंजाब में भय का माहौल पैदा कर दिया है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के अनुकूल नहीं है.
गिल्ड ने कहा, ‘हम राज्य और केंद्र सरकारों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से ऐसे सभी मामलों में संयम से काम लेने और तथ्यों के आधार पर और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए यदि आवश्यक हो तो कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं.’
मालूम हो कि जब से पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह की तलाश शुरू की है तमाम पत्रकारों और समाचार पोर्टलों के सोशल मीडिया एकाउंट को निलंबित कर दिया गया है. इस बात की जानकारी नहीं है कि ऐसे कितने एकाउंट पर रोक लगाई गई है. निलंबित किए गए एकाउंट में वकील और अधिकार कार्यकर्ता भी शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि 75 एकाउंट बंद किए गए हो सकते हैं. कवि रूपी कौर और स्वयंसेवी संस्था यूनाइटेड सिख्स के एकाउंट को भी बंद किया गया है.
पंजाब में पत्रकारों के कई सोशल मीडिया एकाउंट बंद कर दिए गए. जिनमें कम से कम तीन प्रमुख पत्रकार – कमलदीप सिंह बरार (अमृतसर में इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ स्टाफ सदस्य) और स्वतंत्र पत्रकार गगनदीप सिंह व संदीप सिंह – के एकाउंट निलंबित किया जाना शामिल है.
समाचार वेबसाइट बाज न्यूज (Baaz News) के ट्विटर हैंडल को भी रोक दिया गया है. संगरूर के सांसद सिमरनजीत मान के एकाउंट पर ट्विटर द्वारा रोक लगा दी गई है. मान के एकाउंट पर रोक लगाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि संसद के सदस्य के खिलाफ ऐसी कार्रवाई दुर्लभ है. कनाडाई सांसद और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह का एकाउंट भी श्रेणी में है और भारत में देखने के लिए उपलब्ध नहीं है.
न केवल पंजाब के निवासी बल्कि कनाडा में स्थित सांसदों, पत्रकारों और समाचार संगठनों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म – जहां सिख प्रवासी प्रभावशाली हैं – को भी पिछले एक सप्ताह में निशाना बनाया गया है.
अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों के एकाउंट के निलंबन की कड़ी आलोचना हुई है.
खालिस्तान समर्थक सिख कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस ने बीते 18 मार्च को तलाशी अभियान शुरू किया है, लेकिन अब तक उसे सफलता नहीं मिल सकी है.
इसी महीने में अमृतपाल के सहयोगियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुआ था. उस पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और विदेशों स्थित कुछ आतंकवादी समूहों के साथ घनिष्ठ संबंध होने का भी आरोप है.
इसके अलावा बीते फरवरी महीने में अमृतपाल और उनके समर्थकों ने अपहरण के एक मामले में गिरफ्तार अपने एक सहयोगी को छुड़ाने के लिए अमृतसर जिले के अजनाला में पुलिस थाने पर हथियारों के साथ हमला बोल दिया था.
खालिस्तानी नेता अमृतपाल ब्रिटेन स्थित खालिस्तानी आतंकवादी अवतार सिंह खांडा का करीबी माना जाता है और उसके प्रभुत्व में वृद्धि के पीछे अमृतपाल को एक महत्वपूर्ण कारक माना जा रहा है.
अमृतपाल कथित रूप से नशामुक्ति केंद्रों से युवाओं का एक ‘निजी मिलिशिया’ (सशस्त्र गिरोह) बना रहा था, जिसका इस्तेमाल हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए किया जा रहा था. नशामुक्ति केंद्रों का कथित रूप से पाकिस्तान से अवैध रूप से प्राप्त हथियारों को जमा करने के लिए भी उपयोग किया जाता है.