पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता सौरव दास ने बीते 7 अप्रैल को एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कहा कि उनके इस ट्वीट पर केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर रोक लगा दी गई है. इस स्क्रीनशॉट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक बयान है. उन्होंने कहा कि इस पर रोक लगाने के संबंध में ट्विटर ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी है.
नई दिल्ली: ऐसी जानकारी सामने आई है कि एक ‘कानूनी मांग’ को मानते हुए ट्विटर ने कथित तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बारे में किए गए एक ट्वीट पर विश्व स्तर पर प्रतिबंध लगा दिया है.
पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता सौरव दास ने बीते शुक्रवार (7 अप्रैल) को ट्वीट किया कि उनके ‘ट्वीट पर केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर रोक लगा दी गई है.’
दास ने दर्शकों के लिए ब्लॉक किए गए थ्रेड का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा, ‘मुझे यह ट्वीट करने का संदर्भ याद नहीं है, क्या कोई बता सकता है?’
पत्रकार और सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता सौरव दास ने नवंबर 2022 में किए गए दो ट्वीट्स का एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया है, जिनमें से एक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक बयान है, साथ में एक संदेश नजर आ रहा है, जिसमें कहा गया है कि ‘इस सामग्री पर दुनिया भर में रोक लगा दी गई है’.
My tweets have been withheld not just in India, but worldwide. I don’t remember the context of tweeting this, can anyone figure out? pic.twitter.com/lUwCfV1870
— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 7, 2023
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि ट्विटर ने आम तौर पर केवल उस क्षेत्र में सरकारी अनुरोधों के बाद पोस्ट तक पहुंच प्रतिबंधित कर देता है, जहां ऐसी सामग्री को अवरुद्ध करने की मांग की जाती है. कोई सामग्री जब ट्विटर की अपनी सेवा की शर्तों का भी उल्लंघन करती है, तो उसे विश्व स्तर पर भी हटा दिया जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ट्विटर की कंट्री हेड कनिका मित्तल और ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स के निदेशक समीरन गुप्ता ने इस कदम से संबंधित सवाल का तुरंत जवाब नहीं दिया हैं. वहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय शुक्रवार (7 अप्रैल) देर शाम टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं था.
सौरव दास ने कहा कि उन्हें ट्वीट का सही संदर्भ याद नहीं है. यह स्पष्ट नहीं है कि किस सरकारी एजेंसी ने ट्विटर से पोस्ट हटाने की मांग की थी.
द हिंदू संयुक्त राज्य अमेरिका के एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) कनेक्शन के साथ भी विवादित ट्वीट तक पहुंचने में असमर्थ रहा, जहां भारत सरकार के आदेशों पर प्रतिबंधित अन्य सामग्री दिखाई दे रही थी.
यहां तक कि अपने नए सीईओ और मालिक एलॉन मस्क के आने के बाद ट्विटर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है.
द हिंदू की रिपोर्ट शेयर करते हुए 8 अप्रैल को सौरव दास ने ट्विटर पर लिखा, ‘जो कानूनी सवाल उठता है वह यह है कि ट्विटर ने किस आधार पर किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार को जानने और जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रतिबंधित करने का फैसला किया, क्योंकि एक ट्वीट पर वैश्विक प्रतिबंध भारत के बाहर भी लोगों के जानने के अधिकार का उल्लंघन करता है.’
For eg- The tweet is not visible in America. Now freedom of speech and expression is strongly protected via the First Amendment in the USA. This includes the public’s right to know and receive information freely.
So this begs the question- how can Twitter so casually restrict…
— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 8, 2023
उन्होंने आगे कहा, ‘उदाहरण के लिए ट्वीट अमेरिका में दिखाई नहीं दे रहा है. अब अमेरिका में पहले संशोधन (First Amendment) के माध्यम से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मजबूती से संरक्षित किया गया है. इसमें जनता का स्वतंत्र रूप से जानकारी पाने और प्राप्त करने का अधिकार शामिल है. तो यह सवाल उठता है कि ट्विटर इतनी लापरवाही से प्रतिबंध कैसे लगा सकता है?’
सिलसिलेवार तरीके से किए गए ट्वीट में दास ने कहा, ‘जो बड़ा सवाल उठता है वह यह है कि क्या ट्विटर भारत सरकार को ऐसी सामग्री पर निर्णय लेने की अनुमति दे सकता है, जिसे वह अमेरिका या भारत के अलावा किसी अन्य देश में अवरुद्ध करने के लिए उपयुक्त समझे? क्योंकि ट्विटर ने स्पष्ट रूप से भारत से ‘कानूनी मांग’ पर ट्वीट्स तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया है, जैसा कि इस स्क्रीनशॉट से देखा जा सकता है.’
5. Lastly, this is not just about my tweet that was blocked globally. If this global restriction of content on behest of a country’s govt is ignored, this will open a whole new chapter of censorship and prove disastrous for free speech and expression.
— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 8, 2023
उन्होंने आगे कहा, यह केवल मेरे ट्वीट के बारे में नहीं है जिसे विश्व स्तर पर ब्लॉक कर दिया गया. अगर किसी देश की सरकार के इशारे पर सामग्री के इस वैश्विक प्रतिबंध को नजरअंदाज किया जाता है, तो यह सेंसरशिप का एक नया अध्याय खोल देगा और मुक्त भाषण और अभिव्यक्ति के लिए विनाशकारी साबित होगा.
सौरव दास ने कहा, ‘यह भी याद रखें कि ट्विटर ने मुझे इसके बारे में सूचित नहीं किया है. इसने द हिंदू को इस संबंध में टिप्पणी करने से भी इनकार कर दिया. भारतीय कानून सरकार द्वारा पारित ऐसे अवरोधक आदेशों को चुनौती देना असंभव बनाता है. वास्तव में क्या चल रहा है ट्विटर और एलॉन मस्क?’