बीते फरवरी में आईआईटी-बॉम्बे में बीटेक के दलित छात्र दर्शन सोलंकी की मौत छात्रावास की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने के चलते हो गई थी. पुलिस के अनुसार, अरमान इकबाल खत्री नामक छात्र को हिरासत में लिया है, उन्हें दर्शन द्वारा छोड़ा गया एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उन्होंने आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था.
नई दिल्ली: आईआईटी-बॉम्बे के 18 वर्षीय छात्र दर्शन सोलंकी की मौत की जांच कर रहे मुंबई पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने रविवार को कहा कि उन्होंने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मृतक के एक सहपाठी को गिरफ्तार किया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि अरमान इकबाल खत्री नामक आरोपी को पुलिस ने हिरासत में लिया है, उन्हें सोलंकी द्वारा छोड़ा गया एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उन्होंने आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था.
हाल ही में सोलंकी के हॉस्टल के कमरे से मिले नोट में लिखा था, ‘अरमान ने मुझे मार डाला है’, जिसके बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.
दर्शन और अरमान आईआईटी-बॉम्बे के एक छात्रावास के एक ही तल पर रहते थे और बैचमेट थे. जांचकर्ताओं के अनुसार, एक धार्मिक समुदाय के बारे में खत्री की कथित टिप्पणियों को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ था.
पुलिस ने कहा कि खत्री को नोट के आधार पर गिरफ्तार किया गया है. वह पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा था. रविवार को उसे स्थानीय अदालत में पेश किया गया.
गिरफ्तारी की बात सुनकर दर्शन के पिता रमेशभाई सोलंकी ने कहा कि परिवार केवल न्यायपूर्ण जांच की उम्मीद कर रहा है और कुछ नहीं.
उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने हमें एक कागज दिखाया था, जिसके पीछे लिखा हुआ था, ‘अरमान ने मुझे मार डाला है’. हम लिखावट को नहीं पहचान सके और अब फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने इसकी पुष्टि की है.’
रमेशभाई ने कहा कि परिवार ने हमेशा बात पर जोर दिया है कि वे अपने बेटे के साथ होने वाले जाति-आधारित भेदभाव की पूरी जांच चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘वह हमसे इसी बारे में शिकायत करता था और जांच का केंद्र यही होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि कैंपस में जाति के आधार पर अपने बेटे के साथ भेदभाव करने वाले सभी लोगों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संस्थान के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए.
ज्ञात हो कि बीते फरवरी माह में आईआईटी-बॉम्बे में बीटेक के छात्र दर्शन सोलंकी की मौत छात्रावास की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने के चलते हो गई थी.
उनके परिवार ने उनके इस कदम के लिए कैंपस में हुए जातिगत भेदभाव को ज़िम्मेदार बताया था. उनकी बहन का कहना था कि दर्शन ने कैंपस में जाति-आधारित भेदभाव के बारे में उनसे बात की थी.
हालांकि, मामले की जांच के लिए संस्थान द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस पहलू से इनकार करते हुए आत्महत्या की वजह व्यक्तिगत बताई थी, लेकिन परिसर के एक छात्र संगठन अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल (एपीपीएससी) द्वारा इस रिपोर्ट को खारिज किया गया था.
द हिंदू के मुताबिक, सोलंकी के परिवार के सदस्यों ने मामले की गहन जांच की मांग की थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने 28 फरवरी को एक एसआईटी का गठन किया, जिसमें पीड़ित परिवार के सदस्यों, शिक्षकों और साथी छात्रों सहित 35 लोगों के बयान दर्ज किए गए.
एसआईटी अधिकारियों को शुक्रवार (7 अप्रैल) को हस्तलिपि विशेषज्ञ से एक रिपोर्ट मिली, जिसने कहा कि छात्रावास के कमरे में पाए गए कथित नोट में लिखावट पीड़ित के लेखन के नमूने से मेल खाती है, जिससे पुष्टि होती है कि यह उसके द्वारा लिखा गया था.