30 मार्च को हावड़ा जिले में रामनवमी के जुलूस के दौरान कथित पथराव के बाद हुई हिंसा में 10 लोग घायल हो गए थे. इसके अगले तीन दिनों में हिंसा उत्तरी दिनाजपुर और हुगली ज़िलों में फैल गई, जहां आठ लोग घायल हुए थे. भाजपा ने एक याचिका दायर कर हिंसा की घटनाओं की जांच एनआईए से करवाने की मांग की है.
कोलकता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राज्य में रामनवमी के आसपास झड़पों पर पश्चिम बंगाल पुलिस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा पूर्व नियोजित थी.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अदालत ने कहा कि एक केंद्रीय एजेंसी उन घटनाओं की जांच करने के लिए बेहतर हो सकती है, जिन्होंने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया है और एक राजनीतिक विवाद खड़ा किया है.
उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा तीन जिलों में भड़की हिंसा और कई लोगों के घायल होने की घटनाओं की केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच करवाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर आई है.
अदालत की दो न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य शामिल थे, ने याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
वरिष्ठ महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि राज्य पुलिस पहले से ही मामले की जांच कर रही है.
पीठ ने कहा, ‘हावड़ा पुलिस आयुक्त ने 54 पन्नों की एक रिपोर्ट दायर की है, जिसमें अनुपूरक रिपोर्ट शामिल हैं … आपकी (राज्य की) रिपोर्ट प्रथमदृष्टया दिखाती है कि ये (हिंसा) सभी पूर्व नियोजित थीं. छतों से पत्थर फेंकने का आरोप है. जाहिर तौर पर किसी के लिए भी 10 से 15 मिनट के भीतर छत पर पत्थर ले जाना संभव नहीं है.’
पीठ ने आगे कहा, ‘रिपोर्ट इस लाइन पर आगे बढ़ती है कि झड़प दो समूहों के बीच हुई थी. कोई तीसरा व्यक्ति हो सकता है जो स्थिति का फायदा उठाना चाहता है. यदि वह समूह शामिल है, तो इसकी केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच की आवश्यकता है. राज्य पुलिस के लिए इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है. किसी ने तो आग लगाई होगी, कहीं से शुरुआत की गई होगी. बिना केंद्रीय एजेंसी की जांच के आप उस बाहरी स्रोत की पहचान नहीं कर सकते हैं.’
ज्ञात हो कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भाजपा दोनों ने एक दूसरे पर हुगली, हावड़ा और उत्तर दिनाजपुर जिलों में दंगे भड़काने का आरोप लगाया है. अकेले हावड़ा में पुलिस अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.
31 मार्च को भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांच की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी.
उच्च न्यायालय ने कहा कि हिंसा में तलवारें, बोतलें, टूटे शीशे और तेजाब इस्तेमाल किए गए और इंटरनेट सेवाएं प्रतिबंधित कर दी गईं. पीठ ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी.’
पीठ ने कहा, ‘इंटरनेट आमतौर पर तब बंद होता है जब कोई बाहरी खतरा या घुसपैठ आदि होता है. लेकिन एक धार्मिक जुलूस के लिए हमें समझ नहीं आता कि क्यों (इंटरनेट बंद कर दिया गया).’
अदालत ने त्योहारों के दौरान राज्य में हिंसा की पिछली घटनाओं और उसके बाद के हस्तक्षेप को भी ध्यान में रखा.
यह कहते हुए कि अदालत के किसी भी आदेश का बाद में हुए दंगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा पीठ ने कहा, ‘चार से पांच महीने के भीतर धार्मिक जुलूसों से संबंधित आठ आदेश जारी किए गए हैं. 14 साल में हमने इतनी जल्दी एक के बाद एक इतने आदेश नहीं देखे हैं. क्या यह कुछ दिखाता नहीं है?’
मुखर्जी ने अदालत को बताया कि राज्य पुलिस मामले की समुचित जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि रामनवमी के जुलूस में शामिल लोग लाठियों और तलवारों से लैस थे, जिन्हें ले जाने की अनुमति नहीं थी.
उन्होंने यह भी बताया कि दूसरे समुदाय के सदस्य भी हथियारों से लैस थे.
उन्होंने कहा, ‘जहां तक बम विस्फोट आदि के संबंध में आरोप हैं और कुछ घरों में आग लगाई गई थी जैसा कि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है… (वे) पूरी तरह निराधार हैं. हमारी रिपोर्ट विशेष रूप से हिंसा में बमों के इस्तेमाल के आरोपों से संबंधित है.’
सुनवाई के दौरान अधिकारी के वकील ने कहा, ‘इससे पहले अक्टूबर 2022 में लक्ष्मी पूजा के दौरान कोलकाता के इकबालपुर-मोमिनपुर इलाके में इसी तरह की हिंसा हुई थी. पुलिस खामोश रही.’
बता दें कि बंगाल के हावड़ा जिले में 30 मार्च को रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा भड़क उठी थी क्योंकि रैली पर कथित रूप से पथराव किया गया था, जिसमें 10 लोग घायल हो गए थे. अगले तीन दिनों में हिंसा उत्तरी दिनाजपुर और हुगली जिलों में फैल गई, जहां आठ लोग घायल हो गए. उच्च न्यायालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी.
इन घटनाओं ने चुनाव के बाद की हिंसा की यादें ताजा कर दीं, जिसने 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद राज्य को हिला दिया था. उस समय भाजपा ने सत्तारूढ़ टीएमसी पर उन लोगों पर हमला करने का आरोप लगाया, जिन्होंने विपक्ष को वोट दिया था. टीएमसी ने इसका खंडन किया था. झड़पों में कम से कम 14 लोगों की जान गई थी. तब कलकत्ता हाईकोर्ट को आदेश देना पड़ा था और केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जांच की निगरानी करने के लिए कहा था.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर राज्य में दंगे भड़काने के लिए बाहर से गुंडों को बुलाने का आरोप लगाया था. वहीं, भाजपा ने आरोप लगाया था कि बनर्जी मुख्य अपराधी हैं और स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दंगे भड़काने का निर्देश दिया था.
बनर्जी ने सोमवार को भी हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा, ‘भाजपा कार्यकर्ता बंदूकों के साथ नाच रहे थे. वे बुलडोजर और ट्रैक्टर लेकर गए थे. क्या कोई मुझे बताएगा कि बंदूकों को धार्मिक जुलूस में क्यों ले जाया गया? मुंगेर (बिहार) से बाहरी लोगों को लाया गया था. बहुत सारी बंदूकें थे, अगर पुलिस ने चतुराई से काम नहीं किया होता, तो कई को गोली मार दी गई होती.’
हावड़ा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में मुंगेर का एक निवासी भी शामिल है, जिनकी बंदूकें ले जाते हुए तस्वीरें सामने आईं थी.