वेद और पुराण जानने पर छात्रों को क्रेडिट दिए जाएंगे: यूजीसी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क पर अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वेदों और पुराणों सहित भारतीय ज्ञान प्रणाली के विभिन्न पहलुओं में विशेषज्ञता रखने पर छात्रों को क्रेडिट दिया जाएगा. यह कक्षा 5 से पीएचडी स्तर तक सीखने के घंटों के आधार पर सौंपे गए क्रेडिट को कवर करेगा. 

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यूजीसी प्रमुख एम. जगदीश कुमार. (फोटो साभार: यूजीसी)

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क पर अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वेदों और पुराणों सहित भारतीय ज्ञान प्रणाली के विभिन्न पहलुओं में विशेषज्ञता रखने पर छात्रों को क्रेडिट दिया जाएगा. यह कक्षा 5 से पीएचडी स्तर तक सीखने के घंटों के आधार पर सौंपे गए क्रेडिट को कवर करेगा.

यूजीसी प्रमुख एम. जगदीश कुमार. (फोटो साभार: यूजीसी)

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा मंगलवार को जारी नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) पर अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, छात्र अब वेदों और पुराणों सहित भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) के विभिन्न पहलुओं में अपनी विशेषज्ञता से क्रेडिट पाने में सक्षम होंगे.

हिंदुस्तान टाइम्स ने इस संबंध में अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है.

एनसीआरएफ को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप शुरू किया गया है जो इस बात की वकालत करती है कि पेशेवर और अकादमिक स्ट्रीम के बीच ‘कोई सख्त विभाजन’ नहीं होना चाहिए. स्कूली शिक्षा प्रणाली को क्रेडिट प्रणाली के तहत लाने वाले ढांचे का मसौदा पिछले साल अक्टूबर में यूजीसी द्वारा शुरू किया गया था.

यह फ्रेमवर्क स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और पेशेवर और कौशल (स्किल) शिक्षा के माध्यम से अर्जित क्रेडिट को एकीकृत करता है. यह कक्षा 5 से पीएचडी स्तर तक सीखने के घंटों के आधार पर सौंपे गए क्रेडिट को कवर करेगा. प्रति क्रेडिट सीखने के कुल घंटे 30 होंगे.

यह फ्रेमवर्क हर सीखी गई चीज को ‘क्रेडिट देने’ की भी अनुमति देता है, जो इसके मूल्यांकन पर निर्भर करता है. इसका मतलब है कि कक्षा में पढ़ाने/सीखने, प्रयोगशाला में कार्य, खेल, शारीरिक गतिविधियों, कला के प्रदर्शन, संगीत, हस्तशिल्प कार्य, सामाजिक कार्य, एनसीसी आदि के माध्यम से भी क्रेडिट अर्जित किए जा सकते हैं.

अंतिम रिपोर्ट आईकेएस को ‘विशेष उपलब्धि’ श्रेणी के तहत सूची में जोड़ती है, हालांकि अक्टूबर में जारी मसौदा दस्तावेज में यह नहीं था.

अंतिम दस्तावेज़ में 18 प्रमुख विद्याओं या सैद्धांतिक विषयों और 64 कलाओं, एप्लाइड साइंसेज़ या व्यावसायिक विषयों और शिल्पों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन पर क्रेडिट के लिए विचार किया जा सकता है.

इनमें चार सहायक वेद (आयुर्वेद-चिकित्सा, धनुर्वेद-शस्त्र, गंधर्ववेद-संगीत, और शिल्प-वास्तुकला), पुराण, न्याय, मीमांसा, धर्मशास्त्र, वेदांग, छह सहायक (auxiliary) विज्ञान, ध्वनि विज्ञान (फोनेटिक), व्याकरण, मीटर, खगोल विज्ञान, अनुष्ठान और दर्शन शामिल हैं.

दस्तावेज में कहा गया है, ‘इन्होंने प्राचीन भारत में 18 विज्ञानों का आधार बनाया था.’

यूजीसी प्रमुख एम. जगदीश कुमार ने कहा है कि आईकेएस विकल्प अब स्कूली शिक्षा के एक हिस्से के रूप में पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘हम पहले से ही आईकेएस को उच्च शिक्षा में एकीकृत करने पर काम कर रहे हैं. अब स्कूली शिक्षा के हिस्से के तौर पर भी छात्रों को यह विकल्प दिया जाएगा.’

कहा जा रहा है कि यह शिक्षा प्रणाली में आईकेएस को बढ़ावा देने और एकीकृत करने के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों में से एक है. स्वदेशी ज्ञान के पहलुओं पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सरकार पहले से ही 2020 से एआईसीटीई में एक आईकेएस डिवीजन का संचालन कर रही है. डिवीजन ने अनुसंधान उद्देश्यों के लिए और छात्रों के लिए विभिन्न आईकेएस क्षेत्रों में पाठ्यक्रम डिजाइन करने के लिए केंद्र शुरु किए हैं.

आईकेएस के साथ-साथ क्रेडिट के लिए पात्र अन्य क्षेत्रों में खेल; पर्सनलाइज़्ड कला; हेरिटेज और पारंपरिक कौशल में प्रवीणता; प्रभाव डालने वाले क्षेत्रों में सामाजिक कार्य- जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान; नवाचार और स्टार्ट-अप शामिल हैं.

दस्तावेज में इस बात पर जोर दिया गया है कि विशेष उपलब्धियों के मानदंड के साथ-साथ पूर्व निर्धारित सीखने के परिणामों के आधार पर क्रेडिट दिया जाना चाहिए.

इसमें कहा गया है कि विशेष उपलब्धि में राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय आयोजन में पदक जीतना या स्थान ग्रहण करना शामिल है, इसके अलावा पद्म या राज्य या केंद्र या अन्य मान्यता प्राप्त निकाय से अन्य सम्मान प्राप्त करना उच्च प्राथमिकता वाले सामाजिक कार्य शामिल हैं.

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