ट्विटर के प्रमुख एलन मस्क ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि वह संभवत: भारत सरकार द्वारा जारी ब्लॉकिंग आदेशों का पालन करते हैं, क्योंकि वह ऐसे हालात का सामना करना नहीं चाहते हैं, जहां ट्विटर के कर्मचारियों को जेल भेजा जा रहा हो.
नई दिल्ली: ट्विटर के मालिक एलन मस्क ने 12 अप्रैल को बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वह संभवत: भारत सरकार द्वारा जारी ब्लॉकिंग आदेशों का पालन करते हैं, क्योंकि वह ऐसे हालात का सामना करना नहीं चाहते हैं, जहां ट्विटर के कर्मचारियों को जेल भेजा जा रहा हो.
रिपोर्ट के अनुसार, इंटरव्यू में बीबीसी के जेम्स क्लेटन ने मस्क से ट्विटर को खरीदने के उनके फैसले, उसके बाद से ट्विटर नीति पर उनके विवादास्पद रुख और बीबीसी एवं अमेरिका के एनपीआर पर ‘सरकार द्वारा वित्त पोषित मीडिया’ का टैग लगाने के उनके फैसले से संबंधित सवाल पूछे.
इंटरव्यू टकरावपूर्ण था, जिसमें मस्क अक्सर सवालों से भागते दिखाई दिए. इसे ट्विटर स्पेस पर प्रसारित किया गया, जिसे बड़ी संख्या में दर्शकों ने देखा.
एक मौके पर क्लेटन पूछते हैं, ‘चलिए कुछ और बात करते हैं. नरेंद्र मोदी. बीबीसी ने गुजरात के दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व के बारे में एक डॉक्यूमेंट्री बनाई. हम मानते हैं कि ट्विटर से कुछ सामग्री को हटा दिया गया था. क्या वह भारत सरकार के इशारे पर हुआ था?’
मस्क ने जवाब दिया, ‘मुझे उस विशेष परिस्थिति की जानकारी नहीं है.’
क्लेटन ने पूछा, ‘तो आप यकीन के साथ नहीं कह सकते हैं?’
मस्क ने जवाब दिया, ‘मैं उस बारे में नहीं जानता कि भारत में कुछ सामग्री के साथ वास्तव में क्या हुआ?’
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में नरेंद्र मोदी सरकार ने यूट्यूब और ट्विटर दोनों को बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ के लिंक हटाने के लिए कहा था. डॉक्यूमेंट्री को केंद्र सरकार ने ‘दुष्प्रचार’ करार दिया था. इस आदेश पर ट्विटर के तत्काल और निर्विवाद अनुपालन ने सवाल खड़े कर दिए थे.
इंटरव्यू के दौरान मस्क फिर क्लेटन को बताते हैं, ‘भारत में सोशल मीडिया पर क्या दिखाई दे सकता है, इस संबंध में नियम काफी सख्त हैं, और हम किसी देश के कानूनों से परे नहीं जा सकते हैं.’
क्लेटन वापस पूछते हैं, ‘लेकिन क्या आपको लगता है कि अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप दुनिया भर के देशों को और अधिक कठोर कानूनों को पारित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं.’
मस्क ने जवाब दिया, ‘नहीं, देखिए, अगर हमारे पास यह विकल्प है कि या तो हमारे लोग जेल जाएं या हम कानूनों का पालन करें, तो हम कानूनों का पालन करेंगे. वही बीबीसी के मामले में हुआ.’
क्लेटन ने मस्क से स्पष्टीकरण नहीं मांगा, लेकिन एक ऐसे सवाल पूछ लिया जिसके चलते मस्क को कहना पड़ा कि वह ट्विटर के सीईओ नहीं है, उनका कुत्ता है.
गौरतलब है कि फरवरी में मोदी डॉक्यूमेंट्री जारी होने के एक महीने बाद आयकर अधिकारियों ने नई दिल्ली और मुंबई में दो बीबीसी कार्यालयों में सर्वे किया था. भारत और विदेशों के मीडिया संगठनों ने इस छापे की निंदा की थी. ब्रिटेन सरकार ने कहा था कि वह हालात पर करीब से नजर रख रही है. बीबीसी ने भी इस पर अपनी बात रखी थी.
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि मस्क इस बारे में जानते हैं या नहीं कि इस महीने की शुरुआत में मोदी सरकार ने ‘मध्यस्थों’- जैसे कि ट्विटर- पर केंद्र सरकार के किसी भी कामकाज के संबंध में फर्जी, झूठी या भ्रामक जानकारी को प्रकाशित, साझा या होस्ट नहीं करने संबंधी नए आईटी नियम अधिसूचित किए हैं. इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार बताया जा रहा है. एक सरकार की फेक्ट-चैकिंग इकाई ऐसी सामग्री की पहचान करेगी.
इस बीच, ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष आईटी नियमों की शक्तियों को चुनौती भी दी है. वह जून 2022 में मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए सामग्री हटाने के आदेशों के खिलाफ अदालत गया है.