उमेश पाल हत्या के संबंध में गुजरात की साबरमती जेल से इलाहाबाद लाए गए अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ़ की पुलिस के सुरक्षा घेरे में ही बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी. उमेश की हत्या के बाद से अतीक़ अहमद और उसके परिजनों ने कई बार हत्या की आशंका जताई थी. अतीक़ ने सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षा को लेकर याचिका भी दायर की थी, जिसे ख़ारिज कर दिया गया था.
‘ये ले जा रहे हैं, इनकी नीयत सही नहीं है, खाली परेशान करना चाहते हैं, मारना चाहते हैं… जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कराओ, तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जब यहां है तो मुझको ले जा रहे हैं… काहे के लिए ले जा रहे हैं.’
नई दिल्ली: यह शब्द मंगलवार (11 अप्रैल) को गैंगस्टर अतीक अहमद ने उस समय कहे थे, जब उत्तर प्रदेश पुलिस का एक दल उन्हें उमेश पाल हत्याकांड के संबंध में गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती केंद्रीय जेल से लेकर इलाहाबाद के लिए रवाना हो रहा था. इस दौरान पुलिस वैन के अंदर से ही मीडिया से बात करते हुए उसने उपरोक्त शब्द कहकर अपनी हत्या की आशंका जताई थी.
इसके चौथे ही दिन यानी शनिवार (15 अप्रैल) की रात अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई.
इसे महज एक संयोग माना जा सकता था, लेकिन जिस दिन से अतीक को गुजरात की साबरमती जेल से सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद लाए जाने की कवायद शुरू हुई थी, उसी दिन से न सिर्फ अतीक अहमद बल्कि उसके साथ मारे गए उसके भाई अशरफ और उनके परिजन भी हत्या की ऐसी ही आशंकाएं बार-बार जता रहे थे.
अशरफ ने तो एक मौके पर यह भी कहा था कि एक अधिकारी ने उसे बताया है कि दो हफ्ते बाद उसे मार दिया जाएगा. और दो हफ्ते बाद उसकी हत्या हो भी गई.
गौरतलब है कि इलाहाबाद शहर पश्चिम के विधायक रहे राजू पाल और उनके पुलिस गार्ड की 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज इलाके में हत्या कर दी गई थी. इस मामले में उनके रिश्तेदार और दोस्त उमेश पाल मुख्य गवाह थे. उमेश ने निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में इस हत्याकांड की पैरवी की थी. उमेश पेशे से वकील थे.
बीते 24 फरवरी को इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में अज्ञात हमलावरों ने 48 वर्षीय उमेश पाल पर गोलीबारी की और देसी बम फेंके थे. अस्पताल ले जाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था.
हत्या के अगले दिन पुलिस ने जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों, उसके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. अतीक अहमद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गुजरात की जेल में बंद था, जबकि अशरफ बरेली की जेल में था.
उमेश पाल की हत्या को लेकर 25 फरवरी को विधानसभा में अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी. इस दौरान योगी ने माफियाओं को मिट्टी में मिला देने की बात कही थी.
1 मार्च को अतीक अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि ‘यूपी पुलिस फर्जी एनकाउंटर में उसकी हत्या करवा सकती है.’ इस संबंध में उसने मुख्यमंत्री योगी के बयान का भी हवाला दिया और अपनी जान को खतरा होना बताया था.
गौरतलब है कि अतीक अहमद को यूपी से गुजरात की जेल सुप्रीम कोर्ट ने ही भेजा था, क्योंकि देवरिया जेल में एक वारदात हुई थी, जिसमें एक व्यापारी को अतीक अहमद ने कथित तौर पर जेल में बुलवाकर पिटवाया था. इस आरोप की जानकारी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे साबरमती जेल स्थानांतरित किया था.
बहरहाल, याचिका में अतीक ने आशंका जताई थी कि यूपी पुलिस उसके ट्रांजिट रिमांड की मांग कर सकती है और उसे, यह आशंका और विशेष रूप से यूपी के मुख्यमंत्री द्वारा सदन में दिए गए बयान के मद्देनजर, विश्वास है कि किसी न किसी बहाने यूपी पुलिस द्वारा उसे फर्जी एनकाउंटर में मारा जा सकता है.
अतीक ने अदालत से यह निर्देश देने का आग्रह किया था कि उससे अहमदाबाद में पूछताछ की जाए. यदि उसका उत्तर प्रदेश जाना आवश्यक हो तो ऐसा अर्धसैनिक बलों के संरक्षण में किया जाए.
अपनी याचिका में उसने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी और कहा था कि उसे और उसके परिवार के सदस्यों को कोई शारीरिक चोट या अन्य नुकसान न पहुंचाया जाए.
साथ ही, उसने यूपी सरकार और अन्य को उसे अहमदाबाद से इलाहाबाद या यूपी के किसी भी हिस्से में ले जाने पर रोक लगाने के निर्देश भी मांगे थे.
अतीक के वकील ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा था, ‘हमने इस आधार पर याचिका दाखिल की है कि हमें यूपी पुलिस से और यूपी में जान का खतरा है] इसलिए हमें यूपी पुलिस के हैंडओवर न किया जाए, यूपी न भेजा जाए. जब से सुप्रीम कोर्ट ने हमें अहमदाबाद भेजा है, सारी न्यायिक प्रक्रिया वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चल रही है और बड़े अच्छे तरीके से चल रही है. इसलिए हम चाहते हैं कि न्यायिक कार्यवाही कोई होनी है तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो.’
उन्होंने कहा, ‘इलाहाबाद लाते या ले जाते वक्त इनकी 100 फीसदी हत्या हो जाएगी और हत्या कराने के उद्देश्य से उमेश पाल हत्याकांड की साजिश रची गई, इसके पीछे बहुत गहरी साजिश है.’
उन्होंने कहा था कि हमारी सुरक्षा यूपी पुलिस के अंडर में न हो. यूपी पुलिस की सुरक्षा का मतलब असुरक्षा है.
इस याचिका पर सुनवाई चल ही रही थी कि इस बीच यूपी पुलिस 26 मार्च को वर्ष 2006 में उमेश पाल के ही अपहरण के एक मामले के संबंध में अतीक को इलाहाबाद लाने के लिए गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल पहुंची.
यह मामला अतीक अहमद और उसके सहयोगियों द्वारा उमेश पाल का अपहरण करने और उन्हें प्रताड़ित करने का था. इसमें 28 मार्च को आदेश पारित किया जाना था.
उस वक्त भी अतीक ने अपनी हत्या की आशंका जताई थी, न्यूज नेशन के मुताबिक जब उसे जेल से बाहर पुलिस वैन में ले जाया जा रहा था तो उसने वहां मौजूद संवाददाताओं से कहा था, ‘मुझे इनका प्रोग्राम मालूम है, हत्या करना चाहते हैं.’
एबीपी न्यूज के एक वीडियो में भी उसे कहते सुना जा सकता है, ‘मेरी हत्या करना चाह रहे हैं… मुझे इनका प्रोग्राम मालूम है… हत्या करना चाहते हैं.’
अतीक अहमद ने कहा था, ‘कोर्ट के कंधे पर (बंदूक) रखकर मुझे मारना चाहते हैं.’
बहरहाल, 28 मार्च को अतीक से जुड़े दो आदेश दो अदालतों से आए.
पहला आदेश इलाहाबाद की एमपी/एमएलए अदालत ने उमेश पाल अपहरण मामले में सुनाया और अतीक एवं दो अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई. दूसरा आदेश सुप्रीम कोर्ट से आया, जिसमें अतीक अहमद की ‘जान को खतरा’ वाली याचिका खारिज कर दी गई.
याचिका खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य मशीनरी अतीक की देखभाल करेगी. सुनवाई के दौरान अतीक के वकील ने कहा था कि अगर अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी तो इसका मतलब उनके लिए मौत का वारंट होगा.
राज्य मशीनरी अतीक की देखभाल नहीं कर पाई और उनके वकील का कहा सच साबित हुआ.
सिर्फ इतना ही नहीं इलाहाबाद की एमपी/एमएलए अदालत ने अतीक के भाई अशरफ को उमेश पाल के अपहरण के मामले में बरी कर दिया था, लेकिन फैसले के बाद अशरफ ने भी मीडिया के सामने ‘दो हफ्ते बाद अपनी हत्या’ हो जाने का दावा किया था.
आज तक के मुताबिक, अशरफ ने अपनी हत्या होने की आशंका जताते हुए कहा था कि ‘एक अफसर ने उसे बताया है कि दो सप्ताह बाद जेल से बाहर निकलवाकर उसकी हत्या कर दी जाएगी.’
चैनल द्वारा साझा किए गए अशरफ के दावे से संबंधित एक वीडियो में देखा जा सकता है कि वह पुलिस वैन के भीतर से ही मीडिया से बात करते हुए कहता है, ‘(उन्होंने कहा कि) दो हफ्ते में निपटा दिए जाओगे… दो हफ्ते में फिर तुम्हें निकालेंगे जेल से और निपटा दिए जाओगे.’
जब उससे पूछा गया कि ये धमकी किसने दी है तो वह बोला, ‘एक बड़े अफसर ने दी है, मैं उनका नाम नहीं ले सकता.’
इतना ही नहीं अतीक और अशरफ की बहन ने भी दोनों की हत्या की आशंका जताई थी, लेकिन उन्होंने पुलिस द्वारा एनकाउंटर किए जाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था, ‘हमारे दोनों भाइयो को जेल से बाहर निकालकर एनकाउंटर कर सकते हैं.’
अंतत: देखा जाए तो ये सारी आशंकाएं और दावे सही साबित हुए. इसलिए ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि अतीक और अशरफ की हत्या राज्य समर्थित सुनियोजित साजिश का परिणाम है.
इन आरोपों को बल पूर्व में यूपी के भाजपा नेताओं और मंत्रियों के उन बयानों से भी मिल रहा है, जिनमें उन्होंने अतीक को जेल से बाहर लाकर मार डालने की बात कही थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा ही एक बयान उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने दिया था. अतीक की हत्या के बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ‘पाप और पुण्य का हिसाब इसी जन्म में होता है.’
हालांकि अब इस ट्वीट को उन्होंने डिलीट कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केंद्रीय राज्य मंत्री (आवास और शहरी मामले) कौशल किशोर ने ट्वीट किया था, ‘जो जैसा करता है वैसा फल मिलता है, इसलिए हमेशा अच्छा कर्म करते रहे.’
हालांकि यह ट्वीट भी अब उनके ट्विटर पेज पर नहीं दिख रहा है, संभवत: इसे भी हटा दिया गया है.
भाजपा के पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर ने कहा था, ‘अतीक अहमद को एनकाउंटर में मारे जाने का डर है. उमेश पाल हत्याकांड में शामिल सभी शूटरों का एनकाउंटर होना चाहिए. अतीक अहमद को जेल से बाहर लाने के बाद उसका एनकाउंटर किया जाए. अतीक का एनकाउंटर करने वाले अधिकारी के लिए भविष्य में स्वर्ग के दरवाजे खुलेंगे.’
वहीं, कन्नौज से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने विकास दुबे की तर्ज पर ही अतीक की भी गाड़ी पलटने की बात कही थी.
उन्होंने धमकाने वाले लहजे में ट्विटर पर लिखा था, ‘उत्तर प्रदेश पुलिस की सुरक्षा में उमेश पाल सहित पुलिस सुरक्षाकर्मी की हत्या सीधे उत्तर प्रदेश की सरकार पर हमला है, याद रखो जब विकास दुबे नहीं बचा तो इन दुर्दांतों का क्या होगा ये बताने की आवश्यकता नहीं है और अब यदि गाड़ी अतीक की भी पलट जाए तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा.’
उत्तर प्रदेश पुलिस की सुरक्षा में उमेश पाल सहित पुलिस सुरक्षाकर्मी की हत्या सीधे उत्तर प्रदेश की सरकार पर हमला है याद रखो जब विकास दुबे नहीं बचा तो इन दुर्दांतों का क्या होगा ये बताने की आवश्यकता नहीं है , और अब यदि गाड़ी अतीक की भी पलट जाय तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा ।
— Subrat Pathak (@SubratPathak12) March 1, 2023
मालूम हो कि अतीक अहमद की हत्या से एक दिन पहले 13 अप्रैल को उसके बेटे असद अहमद समेत दो लोगों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने झांसी में हुए एक एनकाउंटर के दौरान मार गिराया था.
अतीक के बेटे असद अहमद और गुलाम, उमेश पाल की हत्या में वांछित थे.
पुलिस एनकाउंटर में अतीक के बेटे के मारे जाने पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था, ‘मैं इस कार्रवाई के लिए यूपी एसटीएफ को बधाई देता हूं. उनके द्वारा फायरिंग किए जाने पर पुलिस ने जवाबी फायरिंग की. यह अपराधियों के लिए संदेश है कि यह नया भारत है. यूपी में योगी सरकार है, सत्ता में समाजवादी पार्टी नहीं है, जिसने अपराधियों को संरक्षण दिया.’
बता दें कि 2 जुलाई 2020 की देर रात उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में पुलिस की एक टीम गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई थी, जब विकास और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था. इस एनकाउंटर में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी.
इसके बाद 9 जुलाई 2020 को पुलिस ने विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से गिरफ्तार किया था. उसे उत्तर प्रदेश लाते समय पुलिस ने गाड़ी पलट जाने और उसके बाद विकास दुबे द्वारा भागने की कोशिश करने पर एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था.
इस एनकाउंटर पर कई सवाल खड़े हुए थे और इसे न्यायेतर हत्या बताया गया था. जबकि, सत्तारूढ़ दल इसे अपनी उपलब्धि बताता रहा.
बहरहाल, इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतीक और उनके भाई की हत्या की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है. जबकि, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है.
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की कैमरे के सामने पुलिस के सुरक्षा घेरे में हुई हत्याओं पर तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
घटना की निंदा करते हुए विपक्ष के नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग करने के साथ उत्तर प्रदेश सरकार को भी बर्खास्त करने की मांग की है.