पत्रकार करण थापर से बात करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि कश्मीर की समस्या सिर्फ कश्मीरियों ने पैदा नहीं की है, पचास फीसदी दिल्ली ने पैदा की है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार ने कभी इस सूबे में निष्पक्ष चुनाव नहीं करवाए, एक बार तो नतीजे ही बदल दिए थे.
नई दिल्ली:पत्रकार करण थापर से बात करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर के बारे में कोई जानकारी नहीं रखते हैं. वे अपने में मस्त रहते हैं.
एक घंटे से कुछ अधिक समय की इस बातचीत के एक हिस्से में करण थापर ने मलिक से जनवरी 2022 में हरियाणा के दादरी में दिए गए बयान कि किसान आंदोलन के सिलसिले में जब वे प्रधानमंत्री से मिले तो ‘पांच मिनट में उनकी लड़ाई हो गई’ थी, का जिक्र करते हुए पूछा कि वे आज की तारीख में प्रधानमंत्री के बारे में क्या सोचते हैं.
मलिक ने जवाब दिया, ‘मेरी उनके बारे में वो राय नहीं है जो सारी दुनिया की है. बहुत-सी बातें हैं. जैसे- मैं जब भी उनसे मिला, वे उनके पास कोई जानकारी नहीं है. कश्मीर के बारे में जब भी हमारी बात हुई, तो उनकी जानकारी का स्तर काफी नीचे था. मिसाल के तौर पर, मैंने उनसे एक बार कहा कि यहां की असली समस्या जमात है. उनको उसकी फ़िक्र ही नहीं थी. उन्होंने कहा इस पर नोट दे दो, मैंने बीस पेज का नोट दिया लेकिन उन्होंने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की. हां, अमित शाह ने की. वो अब भी कर रहे हैं. जमात बहुत ताकतवर है, 20-30 फीसदी तो कर्मचारी उनके साथ हैं. उनकी बेहतरीन प्रॉपर्टी हैं, मस्जिदें हैं…’
उनके जवाब के बाद थापर अचरज से पूछते हैं कि प्रधानमंत्री जो खुद को काफी जानकार बताते हैं, वो अज्ञानी (ignorant)हैं!
इस पर मलिक कहते हैं, ‘अज्ञानी क्या, मस्त हैं अपने में- बाकी जो हो रहा है वो भाड़ में जाए. और कश्मीर का मैं बताता हूं. इनको कश्मीर की किसी असल समस्या के बारे में पता नहीं था. इन्हें ये भी पता नहीं था कि हुर्रियत कैसे ऑपरेट हो सकती है. वहां जाते ही मैंने एक इंटरव्यू दिया था, इंडियन एक्सप्रेस में आया था. मैंने कहा था कि कश्मीर की सारी समस्या कश्मीरियों ने पैदा नहीं की है, 50 फीसदी दिल्ली ने पैदा की है. तब हुर्रियत के प्रमुख ने बयान दिया कि राज्यपाल ने 50 सैकड़ा सही कहा है. मैंने कहा बाकी पचास तुम सही बोल दो.’
मलिक जोड़ते हैं, ‘मैं आपको और बताता हूं. मुफ़्ती सईद साहब के एक बहुत अच्छे सहकर्मी थे, उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर बेग. वो एक दिन मुझसे मिलने आ रहे थे. कुछ देर हुई तो मैंने पूछा कि कहां लेट हो गए, तो बोले- गिलानी ने बुला लिया था, पूछने लगे कि कहां जा रहे हो, मैंने बताया गवर्नर साब से मिलने. तो उन्होंने कहा कि ये गवर्नर सही है, इससे तो डील हो सकती है. उन्होंने मुजफ्फर बेग से कहा था कि- इसलिए कि वो दिल निकाल के हथेली पर रख लेता है जब बात करता है. तिकड़म की कोई बात नहीं करता.’
आगे मलिक ने कहा, ‘मेरा पॉइंट यह है कि अगर हम वहां ईमानदारी से काम करें- हमने वहां कभी निष्पक्ष चुनाव नहीं करवाए, एक बार तो हमने चुनाव के नतीजे बदले, एक बार बख्शी के जमाने में सारे पर्चे कैंसिल कर दिए- तो ये जो हमारी तिकड़में हैं, इनसे हमारे बारे में यकीन पैदा नहीं होता. मैंने प्रधानमंत्री साहब को दो-तीन बार इशारा किया था कि इस समस्या समाधान किया जा सकता है, लेकिन उनकी दिलचस्पी ही नहीं थी.’
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वे अपनी बात जारी रखते हैं, ‘मैं और बताता हूं. वहां एक फुटबॉल टीम थी, जिसे मैंने सपोर्ट किया. एक करोड़ रुपये मैंने दिया, एक जम्मू कश्मीर बैंक से दिलवाए. वो पहले झटके में ही देश की तीन बड़ी टीमों में आ गई. उसका एक मैच होता है, उसमें 20 हज़ार लड़के आ गए देखने के लिए. तो यासीन मलिक ने हुर्रियत की इमरजेंसी मीटिंग बुलवाई और गिलानी से कहा कि ये सब लड़के वहां चले गए. तो गिलानी ने कहा कि सब अपनी मर्जी से गए हैं, चुप रहो. दस साल से उन्होंने सिनेमा नहीं देखा है और ये खेल भी नहीं देखेंगे. और मैं इस बात पर राज्यपाल से सहमत हूं कि या तो इनके हाथ में बॉल दे दो वरना ये पत्थर उठाएंगे. तो मैंने हर गांव में खेल का मैदान दे दिया लड़कों को.’
इसके बाद थापर ने सवाल किया, ‘जिस प्रधानमंत्री को कश्मीर के बारे में गलत जानकारी है, या जानकारी ही नहीं है, उन्होंने कश्मीर के बारे में सबसे बड़ा फैसला ले लिया. क्या ये उसी अनभिज्ञता में लिया, उसी ख़राब जानकारी के साथ?’
इस पर मलिक ने कहा कि वो तो बस अपना एजेंडा लागू कर रहे थे. थापर ने कहा कि वे (मलिक) कश्मीर की अच्छी समझ रखते हैं, तो क्या वे खुद ऐसा करते.
मलिक स्पष्ट इनकार करते हुए कहते हैं, ‘मैं तो नहीं करता. 370 तो हटाता, लेकिन राज्य का दर्जा कम नहीं करता. मैं अब भी कह रहा हूं कि कश्मीरियों को सबसे ज्यादा ठेस (राज्य का) दर्जा कम होने से ही लगी है.’
फिर थापर ने सवाल किया, ‘2019 के बाद से जिस तरह से कश्मीर में शासन किया गया, उसके बारे में बताइए. क्या दिल्ली ने और गलतियां की हैं?’
इस पर मलिक कहते हैं, ‘नहीं, वहां तो कुछ नहीं होता था. राज्यपाल गोल्फ खेलते थे, आनंद लेते थे. कोई इनिशिएटिव दिल्ली का नहीं होता था. एक बार जब वहां बाढ़ आई थी, तब मोदी जी ने इनिशिएटिव लिया था.’
इस पर करण टोकते हैं कि वो 2014 की बात है!
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वे आगे पूछते हैं, ‘अब क्या पूर्ण राज्य का दर्जा वापस मिलेगा, चुनाव होंगे? इसके जवाब में मलिक कहते हैं, ‘अब ऐसा सदन में वादा तो किया है अमित शाह ने, लेकिन मुझे नहीं लगता कि पीएम जल्दी उसे करेंगे.’
करण के यह कहने पर कि ऐसा न करना उनकी गलती होगी, मलिक कहते हैं, ‘हां, उन्हें एकदम ऐसा करना चाहिए. चुनाव (2024) के पहले ही करना चाहिए. और क्यों नहीं करना चाहिए! अगर आपको लोगों में भरोसा पैदा करना है तो किसका चुनाव करवा रहे हो- म्युनिसिपाल्टी का! राज्य का करवाओ, जो विधानसभा हो.’