पीएम मोदी और एनएसए डोभाल को पुलवामा हमले की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए: पूर्व भारतीय सेना प्रमुख

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा पुलवामा हमले को लेकर मोदी सरकार पर लगाए आरोपों के संबंध में पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी ने कहा है कि पुलवामा में जानमाल के नुकसान की प्राथमिक ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार की है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा सलाह दी जाती है.

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Former Indian army chief Shankar Roychowdhury. Photo: Screengrab via YouTube/ Friends of Bangladesh 71

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा पुलवामा हमले को लेकर मोदी सरकार पर लगाए आरोपों के संबंध में पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी ने कहा है कि पुलवामा में जानमाल के नुकसान की प्राथमिक ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार की है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा सलाह दी जाती है.

पूर्व भारतीय सेना प्रमुख शंकर रॉयचौधरी. (फोटो साभार: यूट्यूब)

नई दिल्ली: भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवानों की मौत की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा सलाह दी जाती है.

द टेलीग्राफ से बात करते हुए 18वें थल सेनाध्यक्ष रॉयचौधरी, द वायर के साथ एक साक्षात्कार में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खुलासे पर प्रतिक्रिया दे रहे थे.

मलिक ने कहा था कि 2019 का पुलवामा हमला, जिसमें विस्फोटकों से लदी एक कार के सीआरपीएफ के काफिले में घुस जाने के बाद 40 जवान शहीद हो गए थे, सरकार की अक्षमता और लापरवाही का परिणाम था.

जनरल रॉयचौधरी ने द टेलीग्राफ से कहा, ‘पुलवामा में जानमाल के नुकसान की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) द्वारा सलाह दी जाती है. यह एक धक्का था.’

उन्होंने कहा कि हमले के पीछे खुफिया विफलता के लिए एनएसए अजीत डोभाल को भी ‘उनके हिस्से का दोष मिलना चाहिए.’

जनरल रॉयचौधरी ने अखबार को बताया कि 2,500 से अधिक कर्मचारियों को ले जा रहे 78 वाहनों के काफिले को ऐसे राजमार्ग से नहीं जाना चाहिए था, जो पाकिस्तान सीमा के इतने करीब हो.

मलिक ने द वायर को बताया था कि सीआरपीएफ ने जम्मू से श्रीनगर तक सड़क मार्ग से यात्रा करने के बजाय विमान से यात्रा करने का अनुरोध किया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय (तब राजनाथ सिंह के नेतृत्व में था) ने उन्हें विमान प्रदान नहीं किया.

भाजपा नेता सत्यपाल मलिक ने कहा था कि अगर उनके अनुरोध को मान लिया जाता तो मौतों को रोका जा सकता था.

जनरल रॉयचौधरी ने इससे सहमति जताई. टेलीग्राफ के अनुसार उन्होंने कहा, ‘जम्मू और श्रीनगर के बीच अंतरराज्यीय राजमार्ग पर चल रहे सीआरपीएफ के काफिले पर पुलवामा में मुजाहिदीन के एक समूह ने घात लगाकर हमला किया था. अगर सैनिकों ने हवाई यात्रा की होती, तो जानमाल के नुकसान को टाला जा सकता था.’

मलिक ने यह भी दावा किया था कि जब उन्होंने उन विफलताओं के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया, जिनके चलते हमला हुआ था तो मोदी ने उन्हें ‘चुप रहने’ के लिए कहा. उन्होंने बताया था कि एनएसए डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने को कहा था.

जनरल शंकर रॉयचौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले सभी बड़े वाहनों और काफिलों पर हमेशा हमले का जोखिम रहता है. उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में पुलवामा आतंकी हमला हुआ था, वह हमेशा एक बहुत ही ‘जोखिम भरा क्षेत्र’ रहा है.

उन्होंने द टेलीग्राफ को बताया, ‘जम्मू में सांबा (सतवारी हवाईअड्डे से 31 किमी) के साथ जाने वाली सड़क घुसपैठ के कारण हमेशा असुरक्षित रहती है, जो टनलों के जरिये होती है.’

1991 और 1992 के बीच जम्मू कश्मीर में 16 कोर की कमान संभालने वाले जनरल ने कहा, ‘अंतरराज्यीय राजमार्ग पर आप जितना अधिक ट्रैफिक ले जाते हैं, आप उन्हें जोखिम में डालते हैं, क्योंकि सीमा पाकिस्तान से बहुत दूर नहीं है.’

जनरल रॉयचौधरी भी मलिक के इस बयान से सहमत थे कि आतंकी हमला खुफिया तंत्र की विफलता का परिणाम था.

मलिक ने कहा था कि हमले में इस्तेमाल विस्फोटक पदार्थ आरडीएक्स पाकिस्तान से आया था, तथ्य यह है कि एक कार जो हमले से पहले कई दिनों तक कश्मीर में ‘घूमती’ रही और पता ही नहीं चला, वह एक खुफिया तंत्र और सुरक्षा व्यवस्था की विफलता थी.

जनरल रॉयचौधरी ने टेलीग्राफ से कहा, ‘यह एक गलती है जिससे सरकार अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है. मैं दृढ़ता से मानता हूं कि सैनिकों को विमान से ले जाना चाहिए था, जो नागरिक उड्डयन विभाग, वायु सेना या बीएसएफ के पास उपलब्ध हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘विफलता का कोई दावेदार नहीं होता है.’

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