माकपा नेता वृंदा करात और केएम तिवारी द्वारा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के ख़िलाफ़ हेट स्पीच पर एफ़आईआर दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ख़ारिज कर चुके हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजा है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 अप्रैल) को सीपीआई (एम) नेताओं बृंदा करात और केएम तिवारी द्वारा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ साल 2020 में दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के दौरान उनके नफरत भरे भाषणों को लेकर एफआईआर दर्ज किए जाने की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है.
रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने मामले को तीन सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुछ तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए सुनवाई के लिए उनकी याचिका लेने से इनकार करने के बाद याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
26 अगस्त, 2021 को ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह सक्षम प्राधिकारी- जो इस मामले ने केंद्र सरकार है, से अपेक्षित मंजूरी न मिलने के कारण अदालत में टिकने योग्य नहीं थी. बाद में, जून 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालतों का यह निष्कर्ष कि संज्ञान लेने से पहले दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 196 के तहत मंजूरी जरूरी है, गलत हो सकता है. उक्त धारा राज्य के खिलाफ अपराधों के लिए अभियोजन और ऐसे अपराध करने के लिए आपराधिक साजिश से संबंधित है.
द हिंदू के अनुसार, भाषण के उस हिस्से, जहां ठाकुर ने ‘देश के गद्दारों को गोली मारो *** को’ कहा था, का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने ‘गोली मारो’ किसी मेडिकल संदर्भ में तो नहीं कहा होगा.
माकपा नेताओं ने निचली अदालत के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया था, ‘ठाकुर और वर्मा ने लोगों को भड़काने की कोशिश की थी जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुईं.’
उन्होंने उल्लेख किया था कि दिल्ली के रिठाला में हुई रैली में ठाकुर ने 27 जनवरी, 2020 को भीड़ को उकसाने के लिए भड़काऊ नारा ‘देशद्रोहियों को गोली मारो’ लगाया था.
उन्होंने आगे दावा किया था कि वर्मा ने 28 जनवरी, 2020 को शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ टिप्पणी की थी.
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले जनवरी 2020 में अनुराग ठाकुर को ‘देश के गद्दारों को…’ के नारे के साथ भीड़ का नेतृत्व करते देखा गया, इसके जवाब में भीड़ द्वारा कई बार ‘गोली मारो सालों को’ दोहराया गया था.
दूसरी ओर, प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को ‘बलात्कारी और हत्यारे’ कहा था. उन्होंने कहा था कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी आपके घरों में घुस सकते हैं और आपकी बहन-बेटियों के साथ बलात्कार कर सकते हैं.
याचिकाकर्ताओं ने उनके अनुरोध पर निचली अदालत और हाईकोर्ट के एफआईआर दर्ज करने से इनकार को गलत माना है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली पुलिस ने मामले में प्रारंभिक जांच की थी और निचली अदालत को सूचित किया था कि प्रथमदृष्टया कोई संज्ञेय अपराध का मामला नहीं बनता है तथा किसी भी जांच का आदेश देने के लिए निचली अदालत को इसके समक्ष उन तथ्यों और साक्ष्यों का संज्ञान लेने की आवश्यकता है, जो बिना वैध मंजूरी के मान्य नहीं है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इसी के चलते वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. द हिंदू के मुताबिक, उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह जरूरी है कि पुलिस आईपीसी की विभिन्न धाराओं, जिनमें 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) 153 बी (राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल दावे/आरोप) और 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा) शामिल हैं, के तहत इन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करे.