कांग्रेस ने केंद्र से 2019 के पुलवामा हमले को लेकर श्वेतपत्र की मांग करते हुए कहा कि ‘वह बताए कि हमला कैसे हुआ, इंटेलिजेंस की क्या विफलताएं थीं, जवानों को ले जाने के लिए विमान क्यों नहीं दिया गया, सुरक्षा में क्या चूक हुईं और सीआरपीएफ, गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पीएमओ की क्या भूमिका थी.’
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा द वायर को दिए एक साक्षात्कार में किए गए चौंकाने वाले खुलासे के बाद कांग्रेस ने 2019 में हुए पुलवामा आतंकी हमले पर एक श्वेत पत्र की मांग की है. उसका कहना था कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को आसानी से निशाना बनाया जा सका क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू से श्रीनगर तक विमान से यात्रा करने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था.
रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस नेताओं शक्तिसिंह गोहिल, कर्नल (सेवानिवृत्त) रोहित चौधरी और विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) अनुमा आचार्य ने मोदी सरकार की उन गंभीर चूकों को लेकर सवाल उठाए थे, जिनके परिणामस्वरूप फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की मौत हुई.
Taking forward the interview of retd Gen.Shankar Roychowdhury, statement by my colleagues @ColRohitChaudry (retd) & Wg. Cdr @AnumaVidisha (retd) demanding a White Paper to fix accountability for intelligence, security & administrative failures leading to the tragic Pulwama attack pic.twitter.com/AwR4vyFOAY
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 18, 2023
उल्लेखनीय है कि साक्षात्कार में मलिक ने कहा था कि साल 2019 में कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुआ आतंकी हमला, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे, सरकारी गलती के चलते हुआ था और जब उन्होंने इसके बारे में प्रधानमंत्री और एनएसए अजीत डोभाल को बताया तब उन लोगों ने उन्हें (मलिक को) चुप रहने को कहा.
मलिक के दावों पर भाजपा और केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सरकार ने न ही भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी के बयान पर कोई टिप्पणी दी है. मलिक के बयान के बाद जनरल रॉयचौधरी ने कहा था कि पीएम मोदी और एनएसए डोभाल को पुलवामा हमले की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए.
उनका कहना था कि ‘पुलवामा में जान-माल के नुकसान की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) द्वारा सलाह दी जाती है. हमले के पीछे खुफिया विफलता के लिए एनएसए अजीत डोभाल को भी ‘उनके हिस्से का दोष मिलना चाहिए.’
कांग्रेस की प्रेस वार्ता में शामिल दोनों पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि पिछले आतंकी हमलों जैसे मुंबई बम धमाकों और 2016 पठानकोट हमले के समय इन्क्वायरी हुई थी और इनके निष्कर्षों को सार्वजनिक किया गया था. सच को सामने लाने, जिम्मेदारी तय करने और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यह महत्वपूर्ण था.
उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि भारत सरकार पुलवामा हमलों को लेकर श्वेतपत्र जारी करे, बताए कि यह हमला कैसे हुआ, इंटेलिजेंस की क्या विफलताएं थीं, जवानों को ले जाने के लिए विमान क्यों नहीं दिया गया, सुरक्षा में क्या चूक हुईं और सीआरपीएफ, केंद्रीय गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री कार्यालय की क्या भूमिका थी.’
The revelations made by Satya Pal Malik ji raise serious questions-
Q: How did the attacks take place?
Q: What led to the intel failure?
Q: Why were aircrafts denied to the troops?
Q: Who evaded the responsibility?The nation demands an answer!
: Col Rohit Chaudhary (Rtd.) pic.twitter.com/14RPSe9xWO
— Congress (@INCIndia) April 18, 2023
सेवानिवृत्त कर्नल रोहित चौधरी ने सवाल किया, ‘आतंकवादियों ने करीब 300 किलो विस्फोटक कैसे हासिल किया? दक्षिण कश्मीर, विशेष रूप से पुलवामा-अनंतनाग-अवंतीपोरा बेल्ट में भारी सुरक्षा उपस्थिति के बावजूद इतनी बड़ी मात्रा का पता कैसे नहीं चल सका? हमले के चार साल बाद जांच कितनी आगे बढ़ी है? जांच पूरी करने और देश को इसके निष्कर्ष बताने में देरी क्यों हो रही है?’
उधर, रिटायर्ड विंग कमांडर अनुमा आचार्य में कहा, ‘वायुसेना की ट्राई-सर्विस कूरियर हमेशा तैयार रहती है. तो, सैनिकों को विमान देने से मना क्यों किया गया? ये सवाल हमारे दिमाग में आते हैं और इनका जवाब एक विस्तृत रिपोर्ट में दिया जाना चाहिए.’