अर्णब गोस्वामी ने आरके पचौरी अवमानना मामले में हाईकोर्ट से कहा, बिना शर्त माफ़ी मांगूंगा

द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष आरके पचौरी ने यह दावा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख़ किया था कि मीडिया घरानों ने जान-बूझकर और तिरस्कारपूर्वक अदालत के पहले के आदेशों की अवहेलना की, जिसमें यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित उनके ख़िलाफ़ दावों को प्रकाशित करने से रोक दिया गया था.

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अर्णब गोस्वामी. (फोटो साभार: फेसबुक/रिपब्लिक)

द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष आरके पचौरी ने यह दावा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख़ किया था कि मीडिया घरानों ने जान-बूझकर और तिरस्कारपूर्वक अदालत के पहले के आदेशों की अवहेलना की, जिसमें यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित उनके ख़िलाफ़ दावों को प्रकाशित करने से रोक दिया गया था.

अर्णब गोस्वामी. (फोटो साभार: फेसबुक/रिपब्लिक)

नई दिल्ली: समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि वह द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट (TERI/टेरी) के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष आरके पचौरी द्वारा कुछ मीडिया चैनलों के खिलाफ दायर 2016 के एक अवमानना ​​मामले में एक हलफनामे के माध्यम से बिना शर्त माफी मांगेंगे.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, गोस्वामी उस समय टाइम्स नाउ के प्रधान संपादक थे. उनके अलावा बेनेट एंड कोलमैन, द इकोनॉमिक टाइम्स, राघव ओहरी और प्रणय रॉय के खिलाफ भी याचिका दायर की गई थी.

गोस्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मालविका त्रिवेदी ने 17 अप्रैल को जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की एकल न्यायाधीश पीठ को बताया कि ‘वह एक सप्ताह की अवधि के भीतर बिना शर्त माफी मांगते हुए एक हलफनामा दाखिल करेंगी.’

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, द इकोनॉमिक टाइम्स और राघव ओहरी की ओर से पेश वकील ने भी अदालत को सूचित किया कि उन्होंने पहले ही बिना शर्त माफी मांगते हुए एक हलफनामा दायर कर दिया है. इस बीच एनडीटीवी के पूर्व प्रमोटर प्रणय रॉय के वकील ने कहा कि वह माफी मांगने पर निर्देश लेंगे.

आरके पचौरी का निधन साल 2020 में हो गया था. उन्होंने यह दावा करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था कि मीडिया घरानों ने ‘जान-बूझकर और तिरस्कारपूर्वक’ अदालत के पहले के आदेशों की अवहेलना की, जिसमें यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित उनके खिलाफ दावों को प्रकाशित करने से रोक दिया गया था.

याचिका में कहा गया है कि पचौरी के खिलाफ ‘एक अनुचित और अवैध मीडिया ट्रायल किया जा रहा था’ और यह रिपोर्ट मानहानिकारक और पक्षपातपूर्ण थी.

मई 2022 में दिल्ली की एक अदालत ने कहा था कि पचौरी के खिलाफ एक पूर्व सहयोगी द्वारा दर्ज कराए गए कथित यौन उत्पीड़न के मामले में उन पर कोई कलंक नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि अभियोजन पक्ष उनकी मौत से पहले अपना मामला साबित नहीं कर सका.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोहिंदर विराट ने पचौरी के बेटे द्वारा दायर एक आवेदन पर आदेश पारित किया था, जिसमें पचौरी को मामले में मुकदमा चलाने के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका जारी रखने की अनुमति मांगी गई थी. पुनरीक्षण याचिका पचौरी ने दायर की थी.

पचौरी के बेटे की ओर से बहस करते हुए वकील आशीष दीक्षित ने कहा था कि शिकायत में लगाए गए आरोपों से उनके दिवंगत पिता की प्रतिष्ठा पर कलंक लगा है और इससे परिवार को अपूरणीय क्षति हुई है.

हालांकि, अदालत ने कहा, ‘मौजूदा मामले में पुनरीक्षण याचिका दायर करने वाले की उसके खिलाफ मुकदमे की समाप्ति से पहले ही मृत्यु हो गई थी. इस तरह अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित नहीं कर सका, इसलिए दी गई परिस्थितियों में मृतक डॉ. आरके पचौरी पर कोई कलंक नहीं लगाया जा सकता है.’

आरके पचौरी साल 2007 में अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर के साथ नोबेल शांति पुरस्कार साझा करने के समय जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के अध्यक्ष भी थे. 13 फरवरी, 2020 को हृदय रोग के बाद उनका निधन हो गया था. वह 79 वर्ष के थे.

लाइव लॉ के अनुसार, मामले की सुनवाई अब 29 अप्रैल को होगी.