बस्तर में कार्यरत संतोष को छत्तीसगढ़ पुलिस ने वर्ष 2015 में गिरफ्तार किया था. वह नवभारत, पत्रिका और दैनिक छत्तीसगढ़ जैसे अख़बारों के लिए लिखा करते थे.
17 महीने जेल में बिताने के बाद पत्रकार संतोष यादव को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दे दी है. संतोष को छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2015 में नक्सलियों से कथित तौर पर संबंध होने के मामले में गिरफ्तार किया था. संतोष छत्तीसगढ़ के बस्तर में पत्रकार हैं और नवभारत, पत्रिका और दैनिक छत्तीसगढ़ जैसे अख़बारों के लिए लिखते हैं. सुप्रीम कोर्ट के कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीजेआई) ने संतोष को जमानत दी है.
29 सिंतबर, 2015 को छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल टास्क फाॅर्स ने आतंकी गतिविधियों और नक्सलियों की मदद करने के जुर्म में गिरफ्तार किया था. एसटीएफ के कमांडर महंत सिंह ने संतोष को गिरफ्तार किया था और आरोप लगाया था कि उग्रवादी नेता शंकर से संतोष के संबंध हैं.
संतोष जिस दिन गिरफ्तार हुए थे उसी दिन स्थानीय अख़बार में उन्होंने एक बड़ी स्टोरी की थी. इसमें बताया गया था कि बदरीमऊ गांव के लोगों को धरभा पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इस ख़बर के प्रकाशित होने के बाद संतोष को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.
संतोष बस्तर में पत्रकारों और समाचार संस्थानों के लिए संपर्क सूत्र का भी काम करते थे. संतोष बस्तर के स्थानीय अख़बारों में बड़ी बेबाकी से लिखा करते थे.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने 17 फरवरी, 2016 को संतोष के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी. पुलिस ने संतोष पर छत्तीसगढ़ जनसुरक्षा कानून, गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 (यूएपीए), आर्म्स ऐक्ट की तमाम धाराएं और विस्फोटक पदार्थ ऐक्ट 1908 के तहत कार्रवाई की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए प्रेस की स्वतंत्रता पर भी चिंता व्यक्त की. गौरतलब है कि इससे पहले संतोष की ज़मानत याचिका दो बार ख़ारिज़ हो चुकी थी.