राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) कक्षा 11वीं की किताब से भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सभी संदर्भों को भी हटा दिया है. जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी शर्त हटाने के साथ इतिहास की किताब से मुग़ल, गुजरात दंगों और महात्मा गांधी पर कुछ संदर्भ हटाए गए हैं.
नई दिल्ली: केरल स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) ने बीते मंगलवार (25 अप्रैल) को फैसला किया है कि ‘पाठ्यक्रम सुसंगत’ बनाने के नाम पर एनसीईआरटी ने 11वीं और 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तकों से जिन अंशों को हटाया है उन्हें राज्य के छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एससीईआरटी के सूत्रों ने कहा कि पाठ्यक्रम समिति ने यह रुख अपनाया कि हटाए गए हिस्से, मुख्य रूप से जो इतिहास की किताब से संबंधित हैं, उन्हें केरल में पढ़ाया जाना चाहिए.
जानकारी के मुताबिक, एससीईआरटी ने फैसला किया है कि केरल में पूरक पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित की जानी चाहिए.
सूत्रों ने बताया कि काउंसिल ने इस पर अंतिम फैसला लेने का जिम्मा शिक्षा मंत्री को सौंपा है.
एससीईआरटी के सूत्रों ने कहा कि सरकार पाठ्यपुस्तकों से कुछ हिस्सों को हटाने के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही है. ऐसे में राज्य शिक्षा विभाग पाठ्यक्रम समिति के सैद्धांतिक निर्णय के साथ आगे बढ़ेगा कि हटाए गए भागों को 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए पूरक पाठ्यपुस्तकों को शुरू करके पढ़ाया जाना चाहिए.
सूत्रों ने कहा कि हालांकि एनसीईआरटी ने कक्षा छठी से 12वीं तक के पाठ्यक्रम को सुसंगत बनाया है, लेकिन केरल केवल 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ाता है. ऐसे में अन्य कक्षाओं के लिए परिवर्तन राज्य के छात्रों को प्रभावित नहीं करेगा.
मालूम हो कि एनसीईआरटी की कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक ‘इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ऐट वर्क’ के पहले अध्याय से देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के संदर्भ और उसी पाठ्यपुस्तक के अध्याय 10 में उल्लिखित जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी वह शर्त हटा दी गई है, जिसमें इसे संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वायत्त बनाए रखने की बात कही गई थी.
इस कड़ी में 12वीं कक्षा की इतिहास की किताबों से मुगलों और 2002 के गुजरात दंगों पर सामग्री को हटाना और महात्मा गांधी पर कुछ अंश हटाया जाना शामिल है.
उल्लेखनीय है कि एनसीईआरटी ऐसा पहले भी कर चुका है. 2022 में एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम से पर्यावरण संबंधी अध्याय हटा दिए थे, जिस पर शिक्षकों ने विरोध जताया था.
इसी तरह, कोविड के समय एनसीईआरटी ने समाजशास्त्र की किताब से जातिगत भेदभाव से संबंधित सामग्री हटाई थी. इससे पहले कक्षा 12 की एनसीईआरटी की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर संबंधी पाठ में बदलाव किया था.
वहीं, कक्षा 10वीं की इतिहास की किताब से राष्ट्रवाद समेत तीन अध्याय हटाए थे. उसके पहले 9वीं कक्षा की किताबों से त्रावणकोर की महिलाओं के जातीय संघर्ष समेत तीन अध्याय हटाए गए थे.
वहीं, 2018 में भी एक ऐसे ही बदलाव में कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ‘गुजरात मुस्लिम विरोधी दंगों’ में से ‘मुस्लिम विरोधी’ शब्द हटा दिया था.