एनसीईआरटी किताबों से हटाए गए अंशों में 80 के दशक का किसान आंदोलन भी शामिल

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से कुछ हिस्सों को हटाने को लेकर विवाद के बीच कक्षा 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से भारतीय किसान यूनियन के किसान आंदोलन से संबंधित ‘राइज़ ऑफ़ पॉपुलर मूवमेंट्स’ नामक अध्याय को हटा दिया गया है.

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भारतीय किसान यूनियन के संस्थापकों में से एक दिवंगत महेंद्र टिकैट. (फोटो साभार: फेसबुक)

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से कुछ हिस्सों को हटाने को लेकर विवाद के बीच कक्षा 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से भारतीय किसान यूनियन के किसान आंदोलन से संबंधित ‘राइज़ ऑफ़ पॉपुलर मूवमेंट्स’ नामक अध्याय को हटा दिया गया है.

भारतीय किसान यूनियन के संस्थापकों में से एक दिवंगत महेंद्र टिकैट. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से कुछ हिस्सों को हटाने को लेकर विवाद के बीच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के लोकप्रिय किसान आंदोलन से संबंधित हिस्से को भी हटा दिया गया है.

किसान यूनियन की स्थापना 1980 के दशक के अंत में दिग्गज किसान नेताओं – महेंद्र सिंह टिकैत, चौधरी चरण सिंह, एमडी नांजुंदास्वामी, नारायणस्वामी नायडू और भूपिंदर सिंह मान ने की थी.

द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, आंदोलन का उल्लेख पहले कक्षा 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘राइज़ ऑफ़ पॉपुलर मूवमेंट्स’ नामक अध्याय में किया गया था.  हटाए गए हिस्से में बताया गया था कि यूनियन 80 के दशक के किसान आंदोलन में अग्रणी संगठनों में से एक था.

किताब से जो अन्य बातें हटाई गई हैं, उनमें लिखा गया है, ‘80 के दशक के दौरान भारतीय किसान यूनियन ने राज्य के कई जिला मुख्यालयों और राष्ट्रीय राजधानी में भी किसानों की विशाल रैलियों का आयोजन किया.’

अखबार ने बताया कि यूनियन ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों से मिलने का निर्णय लिया है.

किसान नेता राकेश टिकैत ने द ट्रिब्यून से बात करते हुए कहा, ‘हम इस पर केंद्र सरकार से मिलेंगे. यह केंद्र सरकार तथ्यात्मक इतिहास को हटाना चाहती है और इसे अपने स्वयं के आख्यान से बदलना चाहती है. हम ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे.’

भारतीय किसान यूनियन महेंद्र टिकैत के बेटे राकेश के नेतृत्व में तीन केंद्रीय कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक किसान आंदोलन में शामिल रहे संगठनों में सबसे आगे रहने वाले संगठनों में से एक था. 2021 में कानूनों को वापस ले लिया गया.

मालूम हो कि एनसीईआरटी की कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक ‘इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ऐट वर्क’ के पहले अध्याय से देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के संदर्भ और उसी पाठ्यपुस्तक के अध्याय 10 में उल्लिखित जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी वह शर्त हटा दी गई है, जिसमें इसे संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वायत्त बनाए रखने की बात कही गई थी.

इस कड़ी में 12वीं कक्षा की इतिहास की किताबों से मुगलों और 2002 के गुजरात दंगों पर सामग्री को हटाना और महात्मा गांधी पर कुछ अंश हटाया जाना शामिल है.

उल्लेखनीय है कि एनसीईआरटी ऐसा पहले भी कर चुका है. 2022 में एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम से पर्यावरण संबंधी अध्याय हटा दिए थे, जिस पर शिक्षकों ने विरोध जताया था.

इसी तरह, कोविड के समय एनसीईआरटी ने समाजशास्त्र की किताब से जातिगत भेदभाव से संबंधित सामग्री हटाई थी. इससे पहले कक्षा 12 की एनसीईआरटी की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर संबंधी पाठ में बदलाव किया था.

वहीं, कक्षा 10वीं की इतिहास की किताब से राष्ट्रवाद समेत तीन अध्याय हटाए थे. उसके पहले 9वीं कक्षा की किताबों से त्रावणकोर की महिलाओं के जातीय संघर्ष समेत तीन अध्याय हटाए गए थे.

वहीं, 2018 में भी एक ऐसे ही बदलाव में कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ‘गुजरात मुस्लिम विरोधी दंगों’ में से ‘मुस्लिम विरोधी’ शब्द हटा दिया था.

इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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