डब्ल्यूएफआई: पीटी उषा के ‘अनुशासनहीनता’ के बयान पर खिलाड़ी बोले- सुनवाई होती तो यहां न आते

भारतीय ओलंपिक संघ की प्रमुख पीटी उषा ने कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों के ख़िलाफ़ पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर कहा कि यह 'खेल और देश के लिए अच्छा नहीं है.' खिलाड़ियों ने इसके जवाब में कहा कि वे कहीं सुनवाई न होने के कारण सड़क पर उतरने को मजबूर हुए हैं.

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पीटी उषा और जंतर-मंतर पर प्रदर्शनरत खिलाड़ी. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

भारतीय ओलंपिक संघ की प्रमुख पीटी उषा ने कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों के ख़िलाफ़ पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर कहा कि यह ‘खेल और देश के लिए अच्छा नहीं है.’ खिलाड़ियों ने इसके जवाब में कहा कि वे कहीं सुनवाई न होने के कारण सड़क पर उतरने को मजबूर हुए हैं.

पीटी उषा और जंतर-मंतर पर प्रदर्शनरत खिलाड़ी. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

नई दिल्ली: भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न को लेकर कार्रवाई की मांग कर रहे पहलवानों ने कहा कि वे भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के प्रमुख पीटी उषा द्वारा उनके विरोध की आलोचना की है.

उल्लेखनीय है कि उषा ने कहा था कि पहलवानों द्वारा जारी विरोध ‘खेल और देश के लिए अच्छा नहीं था’ और उन्होंने उनसे (प्रदर्शनकारी खिलाड़ियों) कहा कि वे तब तक प्रतीक्षा करें जब तक कि उनके आरोपों की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो जाती. उन्होंने कहा कि यह विरोध ‘अनुशासनहीनता के बराबर है.’

एनडीटीवी के अनुसार, उषा ने यह भी कहा, ‘खिलाड़ियों को सड़कों पर विरोध नहीं करना चाहिए था. उन्हें कम से कम कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था. उन्होंने जो किया है वह खेल और देश के लिए अच्छा नहीं है. यह एक नकारात्मक दृष्टिकोण है.’

इससे पहले प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने उषा को पत्र लिखकर उनकी मांगों पर कार्रवाई करने को कहा था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, आईओए की कार्यकारी बैठक उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों के लिए आईओए के पास एक समिति और एथलीट आयोग है. सड़क पर (दोबारा) जाने के बजाय उन्हें हमारे पास आना चाहिए था, लेकिन वे आईओए में बिल्कुल नहीं आए. वे धरने पर बैठे हैं और सभी राजनीतिक दलों से उनके साथ आने को कह रहे हैं. यही बात है जिसने मुझे निराश किया.’

उषा के बयान के विरोध में आए पहलवान

पीटी उषा के बयान के खिलाफ पहलवान आगे आए हैं. जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहीं साक्षी मलिक मीडिया से बात करते हुए भावुक हो गईं. उन्होंने उषा द्वारा आलोचना के जवाब में कहा, ‘हमें उनकी टिप्पणी से दुख पहुंचा है. वे खुद औरत होकर हमारा साथ नहीं दे रही हैं. हमने क्या अनुशासनहीनता की है? हम यहां शांति से बैठे हैं. अगर हमारी सुनवाई हो जाती, तो हम यहां बैठते भी नहीं. तीन  इंतजार के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई इसलिए हमें मजबूरन पड़ रहा है.’

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वहीं, मलिक के साथ प्रदर्शनरत विनेश फोगाट ने कहा कि उन्होंने फोन के जरिये उषा तक पहुंचने का प्रयास किया था, लेकिन वे उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले तो हम स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं, हम कहीं भी आ-जा सकते हैं, लेकिन अगर सड़क पर बैठे हैं तो हमारी कुछ मजबूरियां ही रही होंगी. किसी ने हमारी नहीं सुनी, तब हम देश की जनता के सामने आए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम इतने मेडल्स ले के आ रहे हैं लेकिन हमारी कोई नहीं सुन रहा है, ऐसे में पीटी उषा जी का ऐसे बोलना… इन्हें हम इतना बड़ा आइकॉन मानते थे… उनका ऐसे महिलाओं के लिए संवेदनशील न होना. उन्हें मैंने अपना दर्द साझा करने के लिए कॉल भी किया था लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.  से सब्र किए हैं, अगर पीटी उषा मैम के साथ ऐसा हुआ होता तो क्या वो इतना लंबा इंतजार कर लेतीं? उन्हें खुद से पूछना चाहिए, शायद उनकी आत्मा से कोई जवाब निकले.’

फोगाट ने आगे जोड़ा, ‘हमें नहीं पता कि यह उनकी ज़बान है या उनके ऊपर भी कोई दबाव है बोलने का. और फिर वो खुद आईओए की प्रमुख हैं और वे खुद मीडिया के आगे रो रही हैं कि मेरी अकादमी को तोड़ा जा रहा है, जब वो खुद के साथ ही न्याय नहीं कर सकते हैं, तो हम क्या उम्मीद करें उनसे! क्यों वो तब देश की जनता के सामने आई थीं? क्यों खेल मंत्रालय नहीं गईं, क्यों प्रधानमंत्री जी के पास नहीं गईं? …  बड़ा खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी का दर्द नहीं समझता, तब दुख होता है. देश का दुर्भाग्य ही है ये, हमारा भविष्य अंधकार में चल रहा है.’

इससे पहले बजरंग पुनिया ने भी उषा के बयान पर हैरानी जाहिर की थी. उन्होंने कहा था, ‘ऐसा सुनकर बुरा लगता है क्योंकि वे खुद एक अच्छी खिलाड़ी हैं. वे अनुशासनहीनता की बात कर रही हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि जब आपकी अकादमी को तोड़ा जा रहा था, तब आप ट्वीट कर रही थी क्या तब देश की गरिमा पर आंच नहीं आ रही थी?’

उल्लेखनीय हैं कि कुश्ती महासंघ केप्रमुख और भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण के खिलाफ आरोपों की जांच को लेकर ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक के साथ विनेश फोगाट और सात पहलवान फिर से धरने पर बैठे हैं.

पिछले हफ्ते एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी का आरोप लगाते हुए अलग-अलग पुलिस शिकायतें दर्ज करवाई हैं.

21 अप्रैल को दर्ज की गई पुलिस शिकायतों में पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के कई उदाहरणों का हवाला दिया है, जो साल 2012 से हाल में साल 2022 तक हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि कम से कम चार मौकों पर उत्पीड़न दिल्ली में अशोक रोड पर स्थित बृजभूषण के घर (उनका सांसद आवास, जो डब्ल्यूएफआई कार्यालय के रूप में भी काम करता है) पर हुआ. खिलाड़ियों का यह भी कहना है कि उत्पीड़न की घटनाएं भारत के बाहर एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के साथ-साथ घरेलू प्रतियोगिताओं के दौरान भी हुईं.

दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर न दर्ज करने का आरोप लगाते हुए खिलाड़ी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जिसने 25 अप्रैल को उनकी याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. शुक्रवार की सुनवाई में पुलिस ने कोर्ट से कहा कि वे इसी दिन शाम तक सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लेगी.

बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर खिलाड़ियों का पहला प्रदर्शन जनवरी महीने में हुआ था. कई हफ्तों के विरोध के बाद 23 जनवरी को मामले की जांच के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय ने ओलंपिक पदक विजेता और मुक्केबाज़ मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया था.