मामला कानपुर का है. पिछले हफ्ते ईद पर ईदगाह के बाहर एक सड़क पर बिना इजाजत नमाज अदा करने के आरोप में बजरिया, बाबू पुरवा और जाजमऊ थाने में अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज की गई हैं. इससे नाराज़ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ने कहा कि उन्हें धर्म के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है.
कानपुर: पिछले हफ्ते ईद पर ईदगाह के बाहर एक सड़क पर बिना इजाजत नमाज अदा करने के आरोप में 2,000 से ज्यादा लोगों के खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी.
एनडीटीवी के मुताबिक, बजरिया, बाबू पुरवा और जाजमऊ थाने में बुधवार को अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
सड़क पर नमाज पढ़ रहे लोगों का पुलिस ने वीडियो बनाया था. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘वीडियो के आधार पर नमाज अदा करने वाले लोगों की पहचान की जाएगी, जिसके बाद उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.’
पुलिस कार्रवाई से नाराज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने मीडिया से कहा कि उन्हें धर्म के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने ईदगाह के बाहर सड़क पर नमाज इसलिए पढ़ी क्योंकि उन्हें देर हो गई थी और परिसर के अंदर जगह नहीं बची थी.
वरिष्ठ उप निरीक्षक (एसएसआई) ओमवीर सिंह की शिकायत पर ईदगाह प्रबंधन समिति के कुछ सदस्यों सहित 1,000-1,500 अज्ञात लोगों के खिलाफ बजरिया पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.
ओमवीर सिंह ने अपनी शिकायत में कहा है कि जैसे ही ईद पर ‘नमाज’ शुरू हुई, बड़ी संख्या में लोगों ने ईदगाह के बाहर सड़कों पर नमाज अदा करना शुरू कर दिया, जो धारा 144 का उल्लंघन है.
जाजमऊ पुलिस द्वारा लगभग 300 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, जबकि तीसरी प्राथमिकी बाबू पुरवा पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है जिसमें 50 से अधिक लोगों पर बिना अनुमति के सार्वजनिक सड़क पर नमाज अदा करने का आरोप लगाया गया है.
लोगों पर आईपीसी की धारा 186 (लोक सेवक को कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा), 283 (सार्वजनिक तरीके से खतरा), 341 (गलत अवरोध के लिए दंड), और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि शांति समितियों के साथ बैठक के बाद ईद की नमाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे और सख्त हिदायत दी गई थी कि सड़क पर नमाज न पढ़ी जाए.