आनंद मोहन सिंह रिहाई: दिवंगत डीएम की बेटी ने की प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया के हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को गुरुवार को रिहा कर दिया गया. कृष्णैया की बेटी पद्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि ऐसा क़ानून लाएं ताकि ऐसे गैंगस्टर और माफिया बिहार या किसी अन्य राज्य में खुलेआम न घूम सकें.

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आईएएस अधिकारी की बेटी पद्मा कृष्णैया. (फोटो साभार: एएनआई)

बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया के हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को गुरुवार को रिहा कर दिया गया. कृष्णैया की बेटी पद्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि ऐसा क़ानून लाएं ताकि ऐसे गैंगस्टर और माफिया बिहार या किसी अन्य राज्य में खुलेआम न घूम सकें.

आईएएस अधिकारी की बेटी पद्मा कृष्णैया. (फोटो साभार: एएनआई)

हैदराबाद: बिहार में 29 साल पहले मारे गए आईएएस अधिकारी की बेटी पद्मा कृष्णैया ने मामले में जेल में बंद आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील की है.

गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह को राज्य के जेल नियमों में बदलाव के बाद गुरुवार को तड़के तीन बजे रिहा कर दिया गया. देश में आईएएस अधिकारियों के शीर्ष निकाय और भाजपा नेताओं द्वारा नीतीश कुमार सरकार की आलोचना किए जाने से यह मामला एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गया है.

एनडीटीवी को दिए साक्षात्कार में पद्मा कृष्णैया ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध करती हूं – ऐसे लोगों को समाज में वापस नहीं आना चाहिए. मेरे पास इससे लड़ने की ताकत नहीं है … कृपया एक कानून लाएं ताकि ऐसे गैंगस्टर और माफिया बिहार या किसी अन्य राज्य में खुलेआम न घूम सकें. कृपया स्थिति पर पुनर्विचार करें.’

उन्होंने कहा, ‘अगर आप हमारे पिता के बारे में नहीं जानते हैं, तो कृपया बिहार के लोगों से पूछें. आज 29 साल बाद भी लोग उनके लिए लड़ने को तैयार हैं, ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि यह हमारे लिए इनाम है.’

साल 1994 में जी. कृष्णैया – पद्मा कृष्णैया के पिता और गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट – को भीड़ द्वारा मार दिया गया था, जो आनंद मोहन सिंह की पार्टी से संबंधित एक अन्य गैंगस्टर-राजनीतिज्ञ की हत्या का विरोध कर रही थी. उन्हें कथित तौर पर सिंह ने उकसाया था. जी कृष्णैया, जो उस इलाके से गुजर रहे थे, को उनकी आधिकारिक कार से बाहर खींच लिया गया था और उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.

निचली अदालत ने 2007 में आनंद मोहन सिंह, जिनके बेटे लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल से विधायक हैं, को मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, पटना हाईकोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था, जिसे 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. वह 15 साल तक जेल में रहे.

इस महीने की शुरुआत में बिहार सरकार ने ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या के दोषियों के लिए जेल की सजा को कम करने पर रोक लगाने वाले खंड को हटा दिया था. इसके बाद सरकार ने 27 क़ैदियों की रिहाई की अधिसूचना जारी की थी, जिनमें सांसद रहे आनंद मोहन सिंह का नाम भी शामिल था.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, गुरुवार को आनंद मोहन सिंह की रिहाई के बाद पद्मा कृष्णैया ने कहा, ‘आनंद मोहन सिंह का आज जेल से छूटना हमारे लिए बहुत दुख की बात है. सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. मैं नीतीश कुमार जी से अनुरोध करती हूं कि इस फैसले पर दोबारा विचार करें. इस फैसले से उनकी सरकार ने एक गलत मिसाल कायम की है. यह सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अन्याय है. हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.’

दूसरी तरफ, राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा के नेताओं ने नीतीश कुमार सरकार के इस कदम की निंदा की है. मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने कहा कि नियमों में बदलाव ‘दलित विरोधी’ है और उसने राज्य सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया.

वहीं, इस कदम की आलोचना करते हुए सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने कहा है कि यह दंडमुक्ति, लोक सेवकों के मनोबल को गिराता है, सार्वजनिक व्यवस्था को कमजोर करता है और न्याय का मजाक बनाता है.

इससे पहले जी. कृष्णैया की पत्नी उमा जी. कृष्णैया ने कहा था कि नीतीश कुमार हत्या के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को रिहा करके गलत मिसाल कायम कर रहे हैं. इससे अपराधियों को सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने का बल मिलेगा क्योंकि उन्हें मालूम है कि वे आसानी से जेल से बाहर आ जाएंगे.

उनका कहना था, ‘मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और नीतीश कुमार को इस फैसले को वापस लेने के लिए कहना चाहिए. मेरे पति एक आईएएस अधिकारी थे और यह सुनिश्चित करना केंद्र की जिम्मेदारी है कि इंसाफ हो. जब उन्हें (मोहन को) मृत्युदंड के बदले आजीवन कारावास दिया गया तो मैं खुश नहीं थी. अब, मुझे इस सच से जूझना पड़ रहा है कि हत्यारों को पूरी सजा भुगते बिना ही जेल से रिहा किया जा रहा है. नीतीश कुमार कुछ सीटें जीत सकते हैं या सरकार भी बना सकते हैं, लेकिन क्या जनता ऐसे नेताओं और ऐसी सरकार पर विश्वास करेगी?’

आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर

इस बीच, पटना उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में बिहार के जेल नियमों में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है, जिसके चलते आनंद मोहन को रिहाई मिली है.

एनडीटीवी के अनुसार,  याचिकाकर्ता अनुपम कुमार सुमन ने इस जनहित याचिका की ई-फाइलिंग के ‘स्क्रीनशॉट’ के साथ अपने ट्विटर हैंडल पर जानकारी साझा की.

सुमन ने कहा, ‘मैंने कल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें इस खतरनाक संशोधन को चुनौती दी गई है जिससे बिहार में एक सरकारी कर्मचारी की हत्या के दोषी को दी गई सजा में छूट दी गई.’

गौरतलब है कि सुमन खुद एक पूर्व सिविल सेवक हैं, जिन्होंने कुछ साल पहले राजनीति में आने के लिए भारतीय राजस्व सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली थी.

सुमन को पटना के नगर आयुक्त के रूप में उनके कार्यकाल के लिए व्यापक रूप से याद किया जाता है. 2019 में  कुछ दिनों की भारी बारिश के बाद शहर में भारी जल-जमाव के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया था.

2004 बैच के आईआरएस अधिकारी सुमन को सेवा छोड़ने के बाद कारण बताओ नोटिस दिया गया था और उन्होंने यह आरोप लगाते हुए प्रतिक्रिया दी थी कि राजधानी के हाल के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित उनके ऊपर के अधिकारी भी जिम्मेदार थे.

सुमन पुष्पम प्रिया चौधरी की प्लुरल्स पार्टी से जुड़े हुए हैं. पुष्पम प्रिया के पिता पूर्व में नीतीश कुमार की जद (यू) के एमएलसी थे. पुष्पम प्रिया ने खुद को सीएम चेहरा बताते हुए 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था.