मद्रास हाईकोर्ट ने विकिपीडिया की जानकारी के आधार दिए एनआईए कोर्ट के आदेश को रद्द किया

राज्य के एक मौलवी को कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के फेसबुक पेज को कथित रूप से ब्राउज़ करने और उसकी पोस्ट साझा करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने उन पर यूएपीए के तहत लगे आरोपों को विकिपीडिया पेज पर उक्त संगठन की परिभाषा पर भरोसा करते हुए सही ठहराया था.

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राज्य के एक मौलवी को कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के फेसबुक पेज को कथित रूप से ब्राउज़ करने और उसकी पोस्ट साझा करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने उन पर यूएपीए के तहत लगे आरोपों को विकिपीडिया पेज पर उक्त संगठन की परिभाषा पर भरोसा करते हुए सही ठहराया था.

मद्रास हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट ने 13 अप्रैल को एक फैसले में एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक मौलवी की गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम से बरी किए जाने संबंधी याचिका को खारिज करते हुए विकिपीडिया का संदर्भ दिया गया था.

बार एंड बेंच के अनुसार, जस्टिस एम. सुंदर और एम. निर्मल कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी विवादों का फैसला करते समय विकिपीडिया का हवाला देने के प्रति आगाह किया है. हाईकोर्ट ने कहा कि विशेष एनआईए अदालत को डिस्चार्ज (बरी) याचिका पर नए सिरे से फैसला करना चाहिए, वह इस बार गवाहों के बयानों और कानूनी सबूतों पर भरोसा करे.

बार एंड बेंच के अनुसार उच्च न्यायालय ने कहा, ‘…यह स्पष्ट है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनी विवाद समाधान में ऐसे स्रोतों (विकिपीडिया) के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी है और आगाह किया है.’

बता दें कि एक मुस्लिम मौलवी ज़ियावुद्दीन बक़वी को एक ‘कट्टरपंथी’ इस्लामिक संगठन के फेसबुक पेज को कथित रूप से ब्राउज़ करने और उसका पोस्ट साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन पर भारतीय दंड संहिता और यूएपीए की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे.

बक़वी के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि एनआईए जज ने सबूतों को नहीं देखा और इसके बजाय यूएपीए के तहत आरोप लगाए जाने का दावा करने के लिए विकिपीडिया पर दी गई संगठन की परिभाषा पर भरोसा किया था.

हाईकोर्ट ने इस कथन से सहमति जताते हुए कहा, ‘विकिपीडिया पर निर्भरता के संबंध में अभियुक्त के वकील का प्रस्तुतीकरण निर्विवाद है क्योंकि ट्रायल कोर्ट के विवादित आदेश का पैरा 9 स्पष्ट रूप से विकिपीडिया पर निर्भर है, जिसमें एक विशेष इकाई के उद्देश्य की परिभाषा/विवरण का अनुमान लगाया गया है. केवल विकिपीडिया पर भरोसा करने से परहेज करना निर्विवाद है. मामले के इस दृष्टिकोण में अभियोजक के पास वास्तव में कहने के लिए कुछ नहीं है.’