केंद्र ने अदालत से कहा- नए आईटी नियमों के तहत ‘फैक्ट-चेक इकाई’ 5 जुलाई तक नहीं बनाएंगे

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने हाल ही में अधिसूचित नए आईटी नियमों को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है.  उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अदालत के समक्ष यह वादा किया कि वे जुलाई तक नई फैक्ट-चेक इकाई नहीं बनाएगा.

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Illustration: The Wire, with Canva

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने हाल ही में अधिसूचित नए आईटी नियमों को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है.  उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अदालत के समक्ष यह वादा किया कि वे जुलाई तक नई फैक्ट-चेक इकाई नहीं बनाएगा.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को दिए हलफनामे में वादा किया है कि वह नए और विवादास्पद सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2023 के तहत 5 जुलाई तक ‘फैक्ट-चेक इकाई (एफसीयू)’ का गठन नहीं करेगी.

सरकार ने 6 अप्रैल को मीडिया निकायों के भारी विरोध के बीच नए नियमों को अधिसूचित किया था. इस विवादास्पद नई इकाई में संभावित रूप से ऐसी शक्ति है कि वह फेसबुक, ट्विटर जैसे मंचों और सभी डिजिटल मीडिया को केंद्र सरकार के बारे में कुछ भी कहे जाने वाली पोस्ट को हटाने के लिए मजबूर कर सके.

इसके तहत ‘मध्यस्थों’- जिनमें सोशल मीडिया कंपनियां भी शामिल हैं- के लिए अनिवार्य हो गया है कि वे ‘केंद्र सरकार के किसी भी कामकाज के संबंध में नकली, झूठी या भ्रामक जानकारी को प्रकाशित, साझा या होस्ट न करें.’

सरकार की फैक्ट-चेकिंग इकाई अब ‘फर्जी, झूठी या भ्रामक जानकारी’ की पहचान कर सकती है.

सरकार ने ऐसा स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की एक याचिका के जवाब में कहा है. कामरा ने नियमों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार पर प्रतिबंध लगाने वाला बताते हुए अदालत में चुनौती दी थी और नियमों को रद्द करने की मांग की थी.

कामरा ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि वह एक व्यंग्यकार हैं और सरकार के फैसलों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियां पोस्ट करते हैं और संशोधित नियमों से टिप्पणियों को पोस्ट करने की उनकी क्षमता पर अंकुश लगेगा क्योंकि उन्हें झूठा करार दिया जाएगा और उनकी सामग्री या उनके एकाउंट को मनमाने ढंग से ब्लॉक भी किया जा सकता है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को यह बताने का निर्देश दिया था कि क्यों न नए नियमों पर रोक लगानी चाहिए और उस तथ्यात्मक पृष्ठभूमि का वर्णन करने के लिए कहा था जिसने संसोधन किए जाने को अनिवार्य बना दिया.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएसजी) अनिल सिंह ने जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ को बताया कि केंद्र सरकार ‘यह बयान देने की इच्छुक है कि सुनवाई की अगली तारीख तक अधिसूचना जारी नहीं की जाएगी.’

कामरा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा ने केंद्र सरकार से एक इस बयान की भी मांग की कि संशोधित आईटी नियम तब तक लागू नहीं किए जाएंगे, जब तक कि एफसीयू पर अधिसूचना जारी नहीं की जाती. लेकिन पीठ इस पर सहमत नहीं हुई.

अखबार ने बताया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने मंत्रालय को आईटी नियमों से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के निर्णयों की एक सूची और उन्हें लागू करने के लिए विधायिका की शक्तियों की सूची 6 जून तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

अदालत ने केंद्र सरकार से 8 जून को याचिका के जवाब में एक हलफनामा दायर करने को भी कहा. इसी दिन मामले की अगली सुनवाई होगी.

द वायर समेत कई मीडिया संगठनों द्वारा आईटी नियमों में पुराने बदलावों को भी चुनौती दी गई थी. बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन धाराओं के प्रावधान पर रोक लगा दी थी जो सीधे डिजिटल समाचार साइटों पर लागू होती हैं.