डब्ल्यूएफआई: दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- बृजभूषण के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करेंगे

भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के लिए एफआईआर दर्ज न करने की शिकायत लेकर कई महिला पहलवान दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. कोर्ट में पुलिस के बयान के बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा है कि वे सिंह के जेल जाने तक धरने पर रहेंगे.

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शुक्रवार को जंतर-मंतर पर मीडिया से बात करते बजरंग पुनिया, साथ में विनेश फोगाट और साक्षी मलिक. (फोटो साभार: एएनआई)

भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के लिए एफआईआर दर्ज न करने की शिकायत लेकर कई महिला पहलवान दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. कोर्ट में पुलिस के बयान के बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा है कि वे सिंह के जेल जाने तक धरने पर रहेंगे.

शुक्रवार को जंतर-मंतर पर मीडिया से बात करते बजरंग पुनिया, साथ में विनेश फोगाट और साक्षी मलिक. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह द्वारा महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर पहलवानों के प्रदर्शन के बीच दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह बीते हफ्ते सिंह के खिलाफ दर्ज करवाई गई शिकायतों के आधार पर एफआईआर दर्ज करेगी.

ज्ञात हो कि दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर न दर्ज करने का आरोप लगाते हुए खिलाड़ी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जिसने 25 अप्रैल को उनकी याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

पिछले हफ्ते एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी का आरोप लगाते हुए अलग-अलग पुलिस शिकायतें दर्ज करवाई हैं.

21 अप्रैल को दर्ज की गई पुलिस शिकायतों में पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के कई उदाहरणों का हवाला दिया है, जो साल 2012 से हाल में साल 2022 तक हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि कम से कम चार मौकों पर उत्पीड़न दिल्ली में अशोक रोड पर स्थित बृजभूषण के घर (उनका सांसद आवास, जो डब्ल्यूएफआई कार्यालय के रूप में भी काम करता है) पर हुआ. खिलाड़ियों का यह भी कहना है कि उत्पीड़न की घटनाएं भारत के बाहर एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के साथ-साथ घरेलू प्रतियोगिताओं के दौरान भी हुईं.

शुक्रवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की, जहां याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट द्वारा जांच की निगरानी की जरूरत की बात की. हालांकि, दिल्ली पुलिस की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पीठ इसे दिल्ली के पुलिस कमिश्नर पर छोड़ सकती है.

खंडपीठ ने अगले शुक्रवार को फिर से सुनवाई करने का फैसला किया है, ताकि यह पता चल सके कि उसके निर्देशों का किस हद तक पालन किया गया है.

विशेष रूप से पीठ ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को निर्देश दिया कि वे इस मामले में नाबालिग पीड़िता को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें, और अन्य शिकायतकर्ताओं को खतरे की संभावना का स्वतंत्र मूल्यांकन करें, और यदि जरूरी हो, तो उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करवाएं.

शुक्रवार की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कपिल सिब्बल के माध्यम से सीलबंद लिफाफे में एक हलफनामा पेश किया और नाबालिग पीड़िता की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जाहिर की. पीठ ने इस शर्त पर कि नाबालिग पीड़िता की पहचान के बारे में अत्यधिक गोपनीयता बनाए रखी जाए, मेहता के माध्यम से दिल्ली पुलिस आयुक्त के साथ हलफनामे को साझा करने का निर्देश दिया है.

पहलवानों ने कहा- सिंह की गिरफ़्तारी तक प्रदर्शन जारी रखेंगे

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस केबृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात कहने के बाद प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने कहा है कि वे सिंह के जेल जाने तक धरना जारी रखेंगे.

जंतर मंतर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बजरंग पुनिया ने कहा, ‘जब तक वो जेल नहीं जाते, धरना जारी रहेगा.’

पुनिया ने जोड़ा कि उन्होंने केंद्रीय खेल मंत्री को फोन किया था, लेकिन उन्होंने उनका फोन नहीं लिया. साक्षी मलिक ने कहा कि वे लोग सुप्रीम कोर्ट के सामने बयान देंगे. उनको (बृजभूषण को) जेल में डालने और सभी पदों से हटाने के बाद ही उनका प्रदर्शन खत्म होगा.

यह कहते हुए कि एफआईआर जीत की दिशा में पहला कदम है, पहलवानों ने यह भी जोड़ा कि उन्हें दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है क्योंकि वे हल्की एफआईआर दर्ज कर सकती है.

प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में आए कई अन्य खेलों के खिलाड़ी

पहलवानों की न्याय की मांग के बीच देश के कई दिग्गज खिलाड़ी उनके समर्थन में सामने आए हैं. भारत के एकमात्र ओलंपिक ट्रैक-एंड-फील्ड स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा में अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट पर लिखा कि वे अपने साथी एथलीटों को सड़क पर उतरता देख कर दुखी हैं और इस मसले से तेजी से कार्रवाई की मांग करते हैं.

उन्होंने लिखा, ‘मुझे अपने एथलीटों को इंसाफ की मांग को लेकर सड़कों पर देखकर दुख हुआ. उन्होंने हमारे महान राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने और हमें गौरवान्वित करने के लिए कड़ी मेहनत की है. एक राष्ट्र के रूप में हम हर व्यक्ति, चाहे वो एथलीट हो या नहीं, की अखंडता और गरिमा की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. जो हो रहा है वह कभी नहीं होना चाहिए. यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इससे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटा जाना चाहिए. न्याय सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए.’

दिग्गज क्रिकेटर और भारत की विश्व कप विजेता टीम के कप्तान रहे कपिल देव ने भी पहलवानों के प्रति समर्थन जताते हुए उनके आधिकारिक इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर एक स्टोरी पोस्ट की. उन्होंने प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों की तस्वीर के साथ लिखा था, ‘क्या इन्हें कभी न्याय मिलेगा?’

इनके साथ ही टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा, पहलवान रवि दहिया और निकहत ज़रीन, क्रिकेटर हरभजन सिंह, इरफ़ान पठान और वीरेंद्र सहवाग, हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल ने भी प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों के प्रति समर्थन जताया है.

सानिया ने लिखा, ‘एक एथलीट के साथ-साथ एक महिला होने के तौर पर यह देखना बहुत मुश्किल है.. उन्होंने हमारे देश का नाम रोशन किया है और हम सभी ने उनका जश्न मनाया है, उनके साथ.. अगर आपने ऐसा किया है तो अब समय आ गया है कि इसमें उनके साथ खड़े हों मुश्किल समय भी.. यह बेहद संवेदनशील मामला है और गंभीर आरोप हैं.’

शुक्रवार को एक ट्वीट में सहवाग ने लिखा, ‘बहुत दुख की बात है की हमारे चैंपियंस, जिन्होंने देश का बड़ा नाम किया है, झंडा लहराया है, हम सबको इतनी ख़ुशियां दी हैं, उन्हें आज सड़क पर आना पड़ा है. बड़ा संवेदनशील मामला है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. उम्मीद है खिलाड़ियों को न्याय मिलेगा.’

बृजभूषण ने कहा- जब तक लड़ने की ताकत है, हार नहीं मानूंगा

इससे पहले गुरुवार को बृजभूषण शरण सिंह ने एक वीडियो जारी किया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इसमें उन पर लगे संगीन आरोपों का जिक्र किए बिना उन्होंने कहा कि जब तक उनके पास लड़ने की ताकत है तब तक वह हार नहीं मानेंगे.

उन्होंने वीडियो में कहा, ‘मित्रों, जिस दिन मैं अपने जीवन की समीक्षा करूंगा कि क्या खोया क्या पाया, जिस दिन मैं महसूस करूंगा कि मेरे संघर्ष करने की क्षमता अब समाप्त हो गई है, जिस दिन मैं महसूस करूंगा मैं लाचार हूं, मैं बेचारा हूं, मैं ऐसी जिंदगी जीना पसंद नहीं करूंगा. मैं चाहूंगा कि ऐसी जिंदगी जीने के पहले मौत मेरे करीब आ जाए.’