उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल ही में एक व्यवसायी संजय प्रकाश राय ‘शेरपुरिया’ को गिरफ़्तार किया था, जो प्रधानमंत्री कार्यालय से अपने जुड़ाव का हवाला देते हुए लोगों से ठगी करता था. अब सामने आया है कि उसने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर के मौजूदा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को 25 लाख रुपये उधार दिए थे.
नई दिल्ली: हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक व्यवसायी संजय प्रकाश राय ‘शेरपुरिया’ को प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच का दावा करके लोगों को ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
अब पता चला है कि उसने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को 2019 के आम चुनावों से पहले ‘असुरक्षित ऋण’ के तौर पर 25 लाख रुपये उधार दिए थे.
सामने आया है कि सिन्हा ने स्वयं अपने चुनावी हलफनामे में खुलासा किया था कि उनके ऊपर कुल 57 लाख रुपये का कर्ज है, जिसमें से 25 लाख रुपये उन्होंने संजय प्रकाश राय से लिए हैं. हलफनामे में यह भी खुलासा है कि उनके ऊपर चार और ‘असुरक्षित’ ऋण थे, जो अन्य व्यक्तियों से लिए गए थे, जो 3 लाख, 6 लाख, 8 लाख और 15 लाख रुपये के थे.
सिन्हा 2014 से 2019 के बीच उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद थे. हालांकि, वह 2019 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार अफजल अंसारी से चुनाव हार गए थे.
अगस्त 2020 में सिन्हा को जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था. उनकी नियुक्ति जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसे केंद्रशासित प्रदेश में तब्दील किए जाने के एक साल बाद हुई थी.
सिन्हा दो बार पहले भी 1996 और 1999 में गाजीपुर के सांसद रहे थे. 2019 के चुनाव में हारने के बाद भी वे पार्टी और क्षेत्र में सक्रिय रहे. हालांकि, उपराज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद वे अपनी संवैधानिक स्थिति को देखते हुए पार्टी गतिविधियों से दूर बने हुए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सिन्हा के एक करीबी स्रोत ने दावा किया है कि उपराज्यपाल का 2015-16 से संजय प्रकाश राय से कोई संपर्क नहीं है. वहीं, राय के साथ कथित जुड़ाव पर सिन्हा को भेजे गए सवालों के जवाब उन्होंने नहीं दिए हैं.
सूत्र ने बताया, ‘उपराज्यपाल बिल्कुल पाक-साफ हैं और प्राप्त धन को अपने हलफनामे में असुरक्षित ऋण के तौर पर घोषित किया था.’ साथ में उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने ‘उन तक पहुंचने और पैसे वापस करने के कई प्रयास किए’, लेकिन राय अनुपलब्ध रहे.
इस बीच, गाजीपुर भाजपा अध्यक्ष ने संजय प्रकाश राय को पार्टी से अलग बताया है. उन्होंने अखबार से कहा, ‘राय न तो भाजपा के सदस्य हैं और न ही पदाधिकारी. वह गाजीपुर आया करते थे और हमसे मिलते थे, लेकिन उनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के एक अन्य प्रमुख नेता ने कहा, ‘संजय प्रकाश राय को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से निकटता के लिए जाना जाता था और जब भी वह यहां आते थे, पार्टी के स्थानीय नेता उनसे नियमित रूप से मिलते थे.’
दैनिक भास्कर के मुताबिक, संजय प्रकाश पुलिस के जाल में तब फंसा, जब पुलिस को सूचना मिली कि उसने दिल्ली के एक व्यवसायी गौरव डालमिया से 6 करोड़ रुपये लिए हैं और उनसे वादा किया है कि वह केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) द्वारा उनके खिलाफ की जा रही जांच से उनका नाम निकलवा देगा.
एसटीएफ ने उसे कानपुर रेलवे स्टेशन पर बुधवार (26 अप्रैल) को उस वक्त गिरफ्तार किया, जब वह दिल्ली से गाजीपुर जा रहा था. उसे लखनऊ के विभूति खंड थाने को सौंप दिया गया. दो दिन पहले संजय प्रकाश के सहयोगी काशिफ को नोएडा में कई स्थानों पर पुलिस की छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था.
संजय प्रकाश गाजीपुर को स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के नारे के साथ ‘फॉर यूथ’ नामक एनजीओ चलाता है. आरोप है कि उसने अपने कथित अवैध धन को अपने एनजीओ के माध्यम से ठिकाने लगाया है.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर, केशव प्रसाद मौर्य और मोहन भागवत सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कई नेताओं के साथ राय की तस्वीरें दिखाई गई हैं.
द वायर इन तस्वीरों की सत्यता की तत्काल पुष्टि नहीं कर सकता है.
कहा जाता है कि संजय प्रकाश राय 2017 में गाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट का भी दावेदार था. हालांकि, वह टिकट हासिल करने में असफल रहा. यह भी बताया गया है कि वह वाराणसी में 2019 के भाजपा के संसदीय चुनाव अभियान में शामिल हुआ था.
वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं. संजय प्रकाश राय ने मोदी पर एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम ‘दिव्य दृष्टि मोदी’ है.
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