छत्तीसगढ़: पाटन में कथित बजरंग दल सदस्यों ने प्रार्थना के लिए जुटे ईसाइयों पर हमला किया

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन स्थित एक घर में रविवार की प्रार्थना कर रहे ईसाई समुदाय के लोगों पर बजरंग दल के सदस्यों ने जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाकर कथित तौर पर हमला किया. आरोप है कि पुलिस ने हमलावरों को जाने दिया और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को हिरासत में ले लिया.

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पाटन में घटना के बाद पुलिस थाने के बाहर का दृश्य. (फोटो: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन स्थित एक घर में रविवार की प्रार्थना कर रहे ईसाई समुदाय के लोगों पर बजरंग दल के सदस्यों ने जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाकर कथित तौर पर हमला किया. आरोप है कि पुलिस ने हमलावरों को जाने दिया और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को हिरासत में ले लिया.

पाटन में घटना के बाद पुलिस थाने के बाहर का दृश्य. (फोटो: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन शहर स्थित एक घर में रविवार (30 अप्रैल) की प्रार्थना के लिए एकत्रित हुए ईसाई समुदाय के सदस्यों पर कथित तौर पर बजरंग दल के सदस्यों द्वारा हमला किए जाने का मामला सामने आया है.

हमलावरों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए प्रार्थना में बाधा डाली. उनका आरोप था कि वहां लोगों को ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा रहा था.

बता दें कि पाटन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का निर्वाचन क्षेत्र है. यह घटना रविवार दोपहर के आसपास हुई और ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा इसका वीडियो बना लिया गया. उन्होंने डर के मारे खुद को बंद कर लिया था.

द वायर से बात करते हुए घर के अंदर मौजूद लालचंद साहू ने कहा, ‘हम घर के अंदर बैठे हुए थे. दोपहर 12:30 बजे करीब 30-35 लोग लाठियों के साथ आए और हमसे दरवाजा खोलने का कहते हुए दरवाजा पीटना शुरू कर दिया. एक बार जब हमने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया, तो वे हमें गाली देने लगे और जय श्री राम के नारे लगाने लगे.’

पीड़ितों द्वारा शेयर किए गए वीडियो में हमलावरों को अपनी लाठियों से दरवाजा पीटते हुए देखा जा सकता है. जब उन्होंने दरवाजा खोलने से मना कर दिया तो भीड़ ने अंदर मौजूद लोगों पर पानी फेंका और गालियां दीं.

पीड़ितों के अनुसार, उनके द्वारा फोन लगाए जाने के करीब एक घंटे बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने बताया कि घटनास्थल से करीबी पुलिस थाना लगभग 500 मीटर की दूरी पर है.

उन्होंने आरोप लगाया कि हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पुलिस उनसे पूछताछ करने लगी और उनके पक्ष के करीब 10-12 सदस्यों को उठा ले गई.

पुलिस थाने ले जाए गए ईसाई पक्ष के लोगों में डॉ. विनय साहू, कृष्णकांत कुर्रे, अर्चना साहू, वीना साहू, सीता कुर्रे, अभिषेक साहू, नरेंद्र साहू, रोहित साहू, कुमारी निषाद, केटी निषाद शामिल थे.

छत्तीसगढ़ ईसाई मंच के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने आरोप लगाया कि पुलिस ने हमारे समुदाय के सदस्यों को हिरासत में लेते हुए बजरंग दल के सदस्यों को छोड़ दिया.

पन्नालाल ने कहा, ‘यहां तक कि पुलिस भी आरोप लगा रही थी कि हम लोगों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण करा रहे हैं. थाना परिसर के अंदर बजरंग दल के 300-400 लोग मौजूद थे और उन्हें वहां रुकने दिया गया, लेकिन जो लोग बाहर से पुलिस थाने आए, उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 151 (जानबूझकर पांच या अधिक व्यक्तियों के जमावड़े में शामिल होना या बने रहना) के तहत हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया. बजरंग दल के सदस्यों को छोड़ दिया गया.’

द वायर ने स्थानीय पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव से उनकी टिप्पणी के लिए फोन पर संपर्क किया लेकिन घटना के बारे में पूछे जाने के तुरंत बाद उन्होंने फोन काट दिया.

पुलिस द्वारा पकड़े गए ईसाइयों में से एक विनय साहू की पत्नी प्रीति साहू (30) ने कहा कि राज्य में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा उनके समुदाय के खिलाफ बढ़ते हमलों के कारण वे लगातार डर में जी रहे हैं.

उन्होंने कहा कि लोग अपनी मर्जी से प्रार्थना में शामिल हुए और वहां केवल प्रार्थना के लिए आ रहे थे, न कि कोई परेशानी खड़ी करने के लिए.

वह बोलीं, ‘हम छह साल से यहां रह रहे हैं और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. पहले भी लोग हमें थाने ले गए थे और पुलिस ने हमें प्रार्थना नहीं करने के लिए कहा था.’

ईसाई समुदाय द्वारा साझा किए गए वीडियो में कुछ हमलावरों को पुलिस स्टेशन में पुलिस की मौजूदगी में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को गाली देते हुए भी दिखाया गया है, जबकि पुलिस चुपचाप देखती रही. पुलिस के अनुसार, अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को आईपीसी की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया था.

यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में ईसाइयों पर हमले हुए हैं. उत्तर प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ का ही नंबर आता है, जहां ईसाइयों पर सबसे ज्यादा हमले हुए हैं.

यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा के मामलों में बीते आठ सालों में 400 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2014 में यह संख्या 147 थी, जो 2022 में बढ़कर 598 हो गई. इस मामले में शीर्ष पांच राज्य उत्तर प्रदेश (186), छत्तीसगढ़ (132), झारखंड (51), कर्नाटक (37) और तमिलनाडु (33) हैं.

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बीते 23 अप्रैल को कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्यों द्वारा दो चर्चों को निशाना बनाया गया था. इस घटना के बाद दोनों चर्चों के पादरियों को कथित तौर पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.

घटना के दौरान मौजूद चश्मदीदों ने द वायर को बताया था कि पुलिस की मौजूदगी में हमलावरों ने उनसे पूछताछ की थी. इस घटना ने उत्तर प्रदेश में ईसाई समुदाय के सदस्यों के बीच चिंता बढ़ा दी है, जिन्होंने हाल के वर्षों में हिंसा में वृद्धि का सामना किया है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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