कर्नाटक: भाजपा ने चुनावी घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता और एनआरसी का वादा किया

समान नागरिक संहिता 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में शुमार था. 2022 के अंत में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा के प्रमुख मुद्दों में समान नागरिक संहिता को लागू करना शामिल था.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने घोषणापत्र जारी किया. (फोटो साभार: ट्विटर/@JPNadda)

समान नागरिक संहिता 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में शुमार था. 2022 के अंत में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा के प्रमुख मुद्दों में समान नागरिक संहिता को लागू करना शामिल था.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने घोषणापत्र जारी किया. (फोटो साभार: ट्विटर/@JPNadda)

नई दिल्ली: कर्नाटक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने का वादा किया है.

गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है. वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में यह भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में शुमार था. उत्तराखंड के अलावा मध्य प्रदेशअसमकर्नाटक और गुजरात की भाजपा सरकारों ने इसे लागू करने की बात कही थी.

उत्तराखंड और गुजरात जैसे भाजपा शासित कुछ राज्यों ने इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाया है. नवंबर-दिसंबर 2022 में संपन्न गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी समान नागरिक संहिता को लागू करना भाजपा के प्रमुख मुद्दों में शामिल था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को घोषणापत्र जारी किया. इसमें कहा गया है कि समान नागरिक संहिता लागू करने के उद्देश्य के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, इस उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर यूसीसी लागू किया जाएगा.

मालूम हो कि समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि सभी लोग, चाहे वे किसी भी क्षेत्र या धर्म के हों, नागरिक कानूनों के एक समूह के तहत बंधे होंगे.

समान नागरिक संहिता को सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के एक समान समूह के रूप में संदर्भित किया जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो. वर्तमान में विभिन्न धर्मों के अलग-अलग व्यक्तिगत कानून (Personal Law) हैं.

इसका उल्लेख भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में किया गया है. जिस भाग चार में इसका उल्लेख है, उसमें राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (डीपीएसपी) शामिल हैं. ये प्रावधान लागू करने योग्य नहीं हैं, लेकिन कानून बनाने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में काम करने के लिए हैं.

अनुच्छेद 44 कहता है, ‘राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा.’

बीते तीन फरवरी को केंद्र सरकार ने संसद को बताया था कि समान नागरिक संहिता लागू करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

कर्नाटक में भाजपा के घोषणापत्र में यह भी वादा किया गया है कि एक एनआरसी तैयार किया जाएगा, जो राज्य में सभी अवैध अप्रवासियों का शीघ्र निर्वासन सुनिश्चित करेगा.

अन्य वादों में एक ऐसी समिति का गठन करना शामिल है जो श्रद्धालुओं को मंदिर प्रशासन की पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करेगी और स्थायी मंदिर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मंदिरों के आसपास स्थानीय व्यवसायों को विनियमित करेगी. दूसरा वाला बिंदु मेलों के दौरान मंदिरों के पास स्टॉल लगाने से मुसलमानों को प्रतिबंधित करने का एक परोक्ष संदर्भ हो सकता है, जो राज्य में एक पारंपरिक प्रथा रही है लेकिन हिंदुत्व समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है.

पार्टी के घोषणापत्र में छह श्रेणियों के तहत वादे किए हैं. अन्ना (खाद्य सुरक्षा), अभय (सामाजिक कल्याण), अक्षरा (शिक्षा), आरोग्य (स्वास्थ्य), अभिवृद्धि (विकास) और अदायाम (आय).

पार्टी गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों को राज्य द्वारा संचालित नंदी डेयरी ब्रांड से आधा लीटर दूध उपलब्ध कराने का भी वादा किया है. यह आश्वासन भाजपा द्वारा 2022 के अंत में नंदिनी के अमूल में विलय से पीछे हटने के लिए मजबूर होने के बाद आया है. हालांकि, हाल ही में अमूल ने राज्य में प्रवेश करने की योजना की घोषणा की है, विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया है.

भाजपा का कहना है कि वह बीपीएल परिवारों को प्रति वर्ष तीन एलपीजी सिलेंडर मुफ्त देगी.