बीते हफ्ते ही 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से जुड़े मामले में मुख़्तार अंसारी और उनके भाई व बसपा सांसद अफ़ज़ल अंसारी को दोषी ठहराया गया था. मुख़्तार अंसारी, जो अभी जेल में हैं, को 10 और अफ़ज़ल को 4 साल के कारावास की सज़ा सुनाई गई है.
नई दिल्ली: जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के भाई और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद अफजल अंसारी को दो दिन पहले 2007 के गैंगस्टर्स एक्ट मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद सोमवार को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया.
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पिछले हफ्ते अफजल को चार साल कैद की सजा सुनाई थी और उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कोर्ट ने इसी मामले में मुख्तार अंसारी को भी दोषी करार देते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
लोकसभा सचिवालय द्वारा एक मई को उन्हें अयोग्य घोषित करने को लेकर जारी अधिसूचना के अनुसार, ‘उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एमपी-एमएलए अदालत द्वारा विशेष सुनवाई 980/2012 में दोषी ठहराए जाने और सजा देने के कारण उत्तर प्रदेश के गाजीपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अफजल अंसारी को भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ई ) के प्रावधानों एवं जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 8 के तहत लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाता है.’
लाइव लॉ के मुताबिक, गाजीपुर के सांसद/विधायक कोर्ट ने उनके भाई मुख्तार अंसारी के साथ इस मामले में दोषी ठहराए जाने के कुछ ही पलों बाद सजा सुनाई थी. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के साथ प्रतिनिधियों की अयोग्यता से निपटने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 में निहित प्रावधानों ने यह सुनिश्चित किया है कि अंसारी लोकसभा के सदस्य होने के लिए अयोग्य हैं.
नवंबर 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और जनवरी 1997 में विश्व हिंदू परिषद के नेता नंद किशोर रूंगटा के अपहरण और हत्या के मामले में अंसारी बंधुओं के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मामला दर्ज किया गया था.
गौरतलब है कि इस वर्ष लोकसभा से सांसदों की अयोग्यता का नाटकीय घटनाक्रम सामने आया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को इस साल जनवरी में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. दोषसिद्धि पर स्थगन प्राप्त करने के बाद वह मार्च के अंत में लोकसभा सचिवालय द्वारा अपनी अयोग्यता को पलटने में कामयाब रहे – हालांकि उसी दिन सुप्रीम कोर्ट देरी के बारे में उनकी याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार था.
इस बीच, कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अयोग्य ठहराए गए. दो साल की मानहानि की सजा के मामले में उनकी अपील उनकी अयोग्यता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त है, जिस पर इस सप्ताह के अंत में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की जाएगी.
मालूम हो कि बीते 23 मार्च को गुजरात में सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद 24 मार्च को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.