धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की टिप्पणियों को भारत ने ‘पक्षपाती और प्रेरित’ बताया

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने लगातार चौथे वर्ष भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में नामित करने का सिफ़ारिश की है. भारत ने रिपोर्ट को ‘पक्षपातपूर्ण’ बताते हुए आयोग से ऐसे प्रयासों से दूर रहने और भारत की अनेकता, लोकतांत्रिक लोकाचार की बेहतर समझ विकसित करने को कहा है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची. (फोटो साभार: ट्विटर)

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने लगातार चौथे वर्ष भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में नामित करने का सिफ़ारिश की है. भारत ने रिपोर्ट को ‘पक्षपातपूर्ण’ बताते हुए आयोग से ऐसे प्रयासों से दूर रहने और भारत की अनेकता, लोकतांत्रिक लोकाचार की बेहतर समझ विकसित करने को कहा है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: भारत ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की उस रिपोर्ट को ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘प्रेरित’ बताकर खारिज कर दिया जिसमें देश में धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.

ज्ञात हो कि इसी हफ्ते लगातार चौथे वर्ष अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ (कंट्रीज़ ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न- सीपीसी) के रूप में नामित करने का सिफारिश की है.

रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची द्वारा दिए गए एक बयान में भारत सरकार ने आयोग की रिपोर्ट को ‘तथ्यों की गलत व्याख्या’ बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘यूएससीआईआरएफ इस बार अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत के बारे में पक्षपाती और प्रेरित टिप्पणियों को दोहराना जारी रखे हुए है.’

उन्होंने यूएससीआईआरएफ से ऐसे प्रयासों से दूर रहने और भारत, इसकी अनेकता और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार की बेहतर समझ विकसित करने को कहा.

यूएससीआईआरएफ की 2023 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बिगड़ती रही. राज्य और स्थानीय स्तर पर धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा दिया और लागू किया, जिसमें धर्मांतरण, अंतरधार्मिक संबंधों, हिजाब पहनने और गोहत्या को निशाना बनाने वाले कानून शामिल हैं, जो मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और आदिवासियों (अनुसूचित जनजातियों) को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं.’

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार पर आलोचनात्मक आवाज़ों को दबाने का भी आरोप लगाया, विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनकी ओर से वकालत करने वालों को निगरानी, उत्पीड़न, संपत्ति ढहाने और गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत नजरबंदी के जरिये दबाना जारी रखा और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत निशाना बनाया.

भारत के साथ-साथ यूएससीआईआरएफ ने अफगानिस्तान, नाइजीरिया, सीरिया और वियतनाम को भी विशेष चिंता वाले देश की सूची रखने की सिफारिश की है. इसके अलावा, उसने अमेरिकी विदेश विभाग को म्यांमार, चीन, क्यूबा, इरिट्रिया, ईरान, निकारागुआ, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को काली सूची में रखने की भी सलाह दी है.

आयोग 2020 से भारत को इस सूची में रखे जाने की सिफारिश कर रहा है, हालांकि अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने इसे स्वीकार नहीं किया है.

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