पुणे विश्वविद्यालय: विरोध के बाद निरस्त हुआ केवल शाकाहारियों को पदक देने का आदेश

कुलपति ने कहा, जांचे जाएंगे दीक्षांत समारोह में विभिन्न लोगों और संगठनों द्वारा प्रायोजित पुरस्कारों के पात्रता मानदंड.

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(फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स)

कुलपति ने कहा, जांचे जाएंगे दीक्षांत समारोह में विभिन्न लोगों और संगठनों द्वारा प्रायोजित पुरस्कारों के पात्रता मानदंड.

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पुणे: शाकाहारी और शराब नहीं पीने वाले छात्रों के ही ट्रस्ट द्वारा दिये जाने वाले स्वर्ण पदक के योग्य होने की पूर्व निर्धारित शर्त पर आलोचना का सामना करना कर रहे सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय ने शनिवार को कहा कि उसने योग महर्षि रामचंद्र गोपाल शेलार के नाम पर स्थापित पुरस्कार को निलंबित कर दिया है.

ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक गोल्ड मेडल पाने के लिए छात्रों को शाकाहारी होना अनिवार्य बताया गया था. इन दिशा-निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय के मांसाहारी छात्र पढ़ने-लिखने में काबिल होने के बावजूद गोल्ड मेडल पाने के हकदार नहीं होंगे.

इस बारे में मीडिया रिपोर्ट्स आने पर काफी विरोध हुआ. शिवसेना के युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस पर विरोध जताया था.

एनडीटीवी की ख़बर के मुताबिक आदित्य ठाकरे ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘ये विश्वविद्यालय है या रेस्टोरेंट? शिव सेना मानती है कि न किसी विश्वविद्यालय और न ही सरकार को यह अधिकार है कि वे लोगों को बताये कि उन्हें क्या खाना चाहिए. विश्वविद्यालय को शिक्षा पर फोकस करना चाहिए.’

वहीं सुप्रिया सुले ने भी ट्विटर पर इस आदेश के बारे में अपनी नाराज़गी जताई थी.

हालांकि विवाद उठने के बाद विश्वविद्यालय की ओर से दावा किया गया था है कि सर्कुलर पुराना है और इस साल भी इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. इसके दिशा-निर्देश विश्वविद्यालय ने नहीं बनाए गए हैं बल्कि योग महर्षि शेलरमामा की ट्रस्ट द्वारा विश्वविद्यालय को सौंपें गए हैं.

शनिवार को विश्वविद्यालय के कुलपति नितिन करमालकर ने कहा कि केवल शाकाहारी की शर्त हटाने की संभावना पर योग महर्षि के पारिवारिक सदस्यों से बात की जाएगी. इन्हें शेलार मामा के नाम से जाना जाता है.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह के दौरान दिए गये करीब 40 पदक और विभिन्न लोगों और संगठनों द्वारा प्रायोजित पुरस्कारों के लिए पात्रता मानदंड की समीक्षा करेगा.

दैनिक जागरण के अनुसार विश्वविद्यालय के कुलसचिव अरविंद शालिग्राम ने कहा, ‘आपत्तियों के बाद हमने 10 साल पुराना सर्कुलर वापस ले लिया है. समाज के विभिन्न तबके ने शर्त का विरोध किया था. अब हम शेलर परिवार (पदक के लिए धर्मार्थ देने वाले) को शर्त वापस लिए जाने की जानकारी देंगे.’

कुलसचिव ने यह भी कहा कि शेलार परिवार के न मानने की स्थिति में विश्वविद्यालय को शेलर परिवार द्वारा जाने वाले पदक को निरस्त करने की कार्यवाही शुरू करनी होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)