एक दलित महिला ने एक टीवी चैनल की रिपोर्टर और उनके दो सहयोगियों पर कार से उन्हें टक्कर मारने और उनके खिलाफ ‘जातिसूचक शब्दों’ का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए एफ़आरआई दर्ज कराई थी. गिरफ़्तारी के बाद हाईकोर्ट ने रिपोर्टर को सोमवार तक के लिए अंतरिम ज़मानत दे दी है.
नई दिल्ली: पंजाब में टीवी चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की एक रिपोर्टर और उनके दो सहयोगियों को एक महिला को अपनी कार से कथित तौर पर टक्कर मारने और उसके खिलाफ ‘जातिसूचक शब्दों’ का इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
पत्रकार अपने सहयोगियों के साथ पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के एक कार्यक्रम को कवर करने गई हुई थीं, जब यह घटना हुई.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक निचली अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, वहीं हाईकोर्ट ने रिपोर्टर भावना किशोर को सोमवार तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी.
आरोपों से इनकार करते हुए चैनल ने कहा कि मीडिया को दबाने के लिए उसकी रिपोर्टर को झूठे मामले में फंसाया गया है. चैनल के अनुसार, रिपोर्टर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के 42 करोड़ रुपये के नवीनीकरण पर की गई उसकी रिपोर्टिंग के चलते गिरफ्तार किया गया है.
सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को फोन कर और गिरफ्तारी पर ‘अपनी नाराजगी व्यक्त की’ और उनसे रिपोर्टर को रिहा करने का आग्रह किया.
पुरोहित ने कहा, ‘अगर कोई पत्रकार किसी कार्यक्रम को कवर करने के लिए पंजाब आती है और उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है, इस तरह की गिरफ्तारी से राज्य के बारे में अच्छा संदेश नहीं जाता है.’
लुधियाना पुलिस ने गिरफ्तार की गईं महिला की पहचान टाइम्स नाउ नवभारत की रिपोर्टर भावना किशोर के रूप में की. उनके सहयोगी मृत्युंजय कुमार और परमिंदर सिंह वाहन चला रहे थे.
पुलिस ने बताया कि यह घटना तब हुई जब गगन नाम की एक महिला मुख्यमंत्री मान और केजरीवाल द्वारा लुधियाना के शिंगार सिनेमा रोड पर एक मोहल्ला क्लीनिक के उद्घाटन में शामिल होने जा रही थीं.
अपनी शिकायत में महिला ने कहा कि यूपी में रजिस्टर एक तेज गति से चलने वाली इनोवा ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे उसके दाहिने हाथ में चोट लग गई, जबकि उनका फोन गिरकर टूट गया.
पुलिस ने कहा कि शिकायतकर्ता के अनुसार, मृत्युंजय और भावना कार से उतरे और उनके साथ मारपीट की और उनके खिलाफ अपमानजनक जाति-आधारित टिप्पणी की.
लुधियान के डिवीजन नंबर 3 पुलिस स्टेशन द्वारा शुक्रवार (5 मई) रात 9:40 बजे दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, गगन ने पुलिस को बताया कि जब उन्होंने कार चालक से पूछा कि उसने उन्हें क्यों टक्कर मारी, तो वह उनसे बहस करने लगा.
गगन ने आरोप लगाया कि वाहन के अंदर बैठी महिला और एक अन्य व्यक्ति भी बाहर आए और उन्हें जातिसूचक गालियां दीं. एफआईआर के अनुसार, किशोर ने कहा: ‘तुम लोग गाड़ी वालों से पैसा पैसे ऐंठने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हो.’
एसीपी (सेंट्रल) राजेश कुमार ने कहा कि तीनों को ड्यूटी मजिस्ट्रेट अनुभा जिंदल की अदालत में उनके आवास पर रात लगभग 1 बजे पेश किया गया और अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया. हालांकि कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि उन्हें शनिवार (6 मई) सुबह पेश किया जाए.
तीनों आरोपियों को लुधियाना कोर्ट परिसर में भारी पुलिस सुरक्षा के बीच फिर से अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरबंस सिंह लेखी की अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया.
कुछ घंटों बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत उनके खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने की उसकी याचिका के जवाब में भावना किशोर को सोमवार तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी.
हालांकि रिपोर्टर के सहयोगी और ड्राइवर को अंतरिम जमानत नहीं दी गई.
याचिकाकर्ताओं के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन मित्तल और आरएस राय ने केजरीवाल के आवास के नवीनीकरण का चैनल द्वारा किए गए कवरेज के कारण गिरफ्तारी होने की बात कहते हुए ‘पॉलिटिकल विच-हंट’ कहा.
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 279, 337 और 427 और एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3 तथा 4 के तहत मामला दर्ज किया है.
इस घटनाक्रम के बाद एक बयान में टाइम्स नाउ नवभारत ने कहा कि चैनल ‘ऑपरेशन शीश महल’ कवरेज के बाद से ही बेशर्म उत्पीड़न और डराने-धमकाने की रणनीति का शिकार रहा है, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण में किए गए अति-भव्य और आय से अधिक व्यय का पर्दाफाश किया गया था.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, समाचार चैनल ने कुछ दिन पहले केजरीवाल के घर की मरम्मत और नवीनीकरण पर ‘शीशमहल’ नाम से एक शो प्रसारित किया था.
TIMES NETWORK STATEMENT: 'ऑपरेशन शीशमहल' के खुलासे के बाद #TimesNowNavbharat को डराने की कोशिश, करना पड़ रहा उत्पीड़न का सामना#SheeshMahalKaBadla #OperationSheeshMahal #DeshKiBetiBhawana@TimesNetwork STATEMENT👇 pic.twitter.com/kXu9gcWFsG
— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) May 7, 2023
शुक्रवार देर रात थाने में भावना किशोर से मुलाकात करने वाले पंजाब भाजपा के राज्य कोषाध्यक्ष गुरदेव शर्मा देबी ने कहा, ‘यह पंजाब नहीं, बल्कि तालिबान है.’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया, ‘निर्भीक पत्रकार बहन भावना की गिरफ्तारी आपका डर दिखाती है केजरीवाल जी! आप लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का गला घोंटने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं. आप सच और जनता की आवाज को दबा नहीं पाएंगे. देश सब कुछ देख रहा है.’
निडर पत्रकार बहन भावना की गिरफ्तारी केजरीवाल जी आपके भय को दर्शाती है!
आप लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का गला दबाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं; आप सच्चाई और जनता की आवाज को दबा नहीं पायेंगे।
देश सब देख रहा है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 6, 2023
वहीं, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने तर्क दिया कि पंजाब की एक अदालत ने रिपोर्टर को प्रथमदृष्टया दोषी पाया और उन्हें 19 मई तक हिरासत में भेज दिया. उन्होंने सवाल किया, ‘भाजपा और टाइम्स नाउ चैनल दलित विरोधी हैं. क्या उन्हें अदालत पर भरोसा नहीं है?.’
दिल्ली की आप सरकार में मंत्री आतिशी ने ट्वीट किया, ‘पंजाब से चौंकाने वाली खबर आ रही है. भाजपा समर्थित न्यूज चैनल की एक रिपोर्टर ने एक दलित महिला को टक्कर मार दी और विरोध किए जाने पर निंदनीय जातिसूचक गालियों का इस्तेमाल किया. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. पंजाब पुलिस को हरसंभव कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.’
अदालत ने prima facie उस टीवी रिपोर्टर को दोषी पाया और 19 मई तक हिरासत में भेजा। बीजेपी और Times Now चैनल दलित विरोधी हैं। क्या उन्हें अदालत पर भरोसा नहीं है?#DalitVirodhiTimesNowBJP https://t.co/5qrdxkF5KJ
— Atishi (@AtishiAAP) May 6, 2023
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘अदालत ने प्रथमदृष्टया उस टीवी रिपोर्टर को दोषी पाया और 19 मई तक हिरासत में भेजा. भाजपा और टाइम्स नाउ चैनल दलित विरोधी हैं. क्या उन्हें अदालत पर भरोसा नहीं है?’
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक बयान में पंजाब सरकार से पत्रकार को हिरासत से रिहा करने और अपनी पुलिस को स्थापित प्रक्रियाओं का पालन करने का निर्देश देने का आग्रह किया.
गिल्ड ने कहा, ‘यह देखते हुए कि रिपोर्टर पत्रकारिता के काम पर थीं, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को हिरासत में लेने और बाद में एफआईआर दर्ज करने के संबंध में उचित संयम बरतना चाहिए था.’
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा कि यह पत्रकार को ‘मनमाने तरीके से’ गिरफ्तार करने के लिए लुधियाना पुलिस और प्रशासन की ‘अत्याचार’ की निंदा करता है. मुंबई प्रेस क्लब ने भी गिरफ्तारी की निंदा की और इसे ‘पुलिस शक्ति के मनमाने उपयोग’ का स्पष्ट उदाहरण बताया.