द इकोनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में पहलवानों की ओर से दर्ज एफ़आईआर के हवाले से बताया है कि उन्हें कथित तौर पर यह जानकर ‘झटका’ लगा है कि निगरानी समिति ने ‘आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के कृत्यों को सही ठहराने’ की कोशिश की है. समिति ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंपी थी. तब से इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न लगाने के बाद पहलवान दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका कहना है कि मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित निगरानी समिति आरोपी के प्रति पक्षपाती थी.
इस मामले में शिकायतकर्ता एक नाबालिग एथलीट समेत सात पहलवान हैं. दिल्ली पुलिस ने सिंह के खिलाफ एफआईआर तब दर्ज की जब सुप्रीम कोर्ट ने पहलवानों की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें केस दर्ज करने का अनुरोध किया गया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा को खतरे को देखते हुए उनकी पहचान गुप्त रखी जाए.
इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर देखने का दावा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नाबालिग सहित मामले के लगभग सभी शिकायतकर्ताओं का मानना है कि समिति के समक्ष की गई गवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग से भाजपा सांसद सिंह को बचाने के लिए छेड़छाड़ की गई हो सकती है.
सिंह के खिलाफ पहले दौर के पहलवानों के विरोध के बाद इस निरीक्षण समिति का गठन जनवरी में किया गया था.
मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम की अध्यक्षता वाली समिति के अन्य सदस्यों में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के पूर्व सीईओ कैप्टन राजेश राजगोपालन, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) की पूर्व कार्यकारी निदेशक राधिका श्रीमन, पूर्व बैडमिंटन राष्ट्रीय चैंपियन तृप्ति मुरगुंडे, ओलंपिक विजेता योगेश्वर दत्त और राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियन बबीता फोगाट शामिल हैं.
समिति को प्रमुख खिलाड़ियों द्वारा लगाए गए यौन दुराचार, उत्पीड़न और/या धमकी, वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक चूक के आरोपों की जांच करने और अनिवार्य रूप से चार सप्ताह में जांच पूरी करने के लिए कहा गया था.
समिति ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी. तब से इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है.
विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और अन्य पहलवान जो जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं, ने कहा था कि जब सरकार ने उनके दावों को देखने के लिए निगरानी समिति का गठन किया था तो उनसे परामर्श नहीं किया गया था.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में अब उल्लेख किया गया है कि उनकी एफआईआर में, लगभग सभी शिकायतकर्ताओं ने इस समिति में विश्वास की कमी को बात को दोहराया है.
रिपोर्ट में एफआईआर के हवाले से कहा गया है, उन्होंने अपनी शिकायतों में ‘पूरी तरह से झटका’ व्यक्त किया कि समिति के सदस्यों ने ‘आरोपी सिंह के कार्यों को सही ठहराने’ की कोशिश की है. सिंह के कथित कृत्यों को समिति के सदस्यों द्वारा ‘अच्छे विश्वास में किए गए निर्दोष कृत्य’ के रूप में पेश किया है. इसके अलावा उन्होंने पाया किया कि शिकायतकर्ताओं ने ‘गलत तरीके से’ उसकी ‘व्याख्या’ की हो सकती है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि समिति ने पहले ही बृजभूषण शरण सिंह का पक्ष लेने या उनके निर्देशों पर कार्य करने का फैसला कर लिया था और अंतत: उन्हें क्लीनचिट दे दी थी.
इससे पहले बीते अप्रैल महीने में समिति की सदस्य बबीता फोगाट ने कहा था कि निगरानी समिति के सदस्यों ने जांच ठीक से नहीं की है और सभी सदस्यों की सहमति के साथ रिपोर्ट नहीं बनी है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, जब बबीता फोगाट जांच रिपोर्ट पढ़ रही थीं तो भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) की पूर्व निदेशक और जांच कमेटी में शामिल राधिका श्रीमन ने उनसे रिपोर्ट छीन ली थी. श्रीमन ने उनके साथ बदतमीजी भी की और उनके द्वारा उठाए गए कई बिंदुओं को दरकिनार किया गया. उन्होंने अपनी आपत्ति भी उस रिपोर्ट में दर्ज करवाई है.
बबीता फोगाट ने कहा था, ‘जिसके साथ भी गलत हुआ है, मैं उनके साथ खड़ी हूं. न्यायपालिका पर मुझे भरोसा है. मैंने असहमति के साथ जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं. समिति ने एकतरफा जांच की है. उन्होंने सब कुछ छिपाकर किया है. समिति के 5 सदस्य एक तरफ थे और मैं एक तरफ थी.’
मालूम हो कि बीते 4 मई को प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने दिल्ली पुलिस पर बृजभूषण शरण सिंह के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था.
विनेश फोगाट ने कहा था, ‘दिल्ली पुलिस बृजभूषण शरण सिंह के पक्ष में काम कर रही है.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि पहलवानों को अब तक जो समर्थन दिया है, उसके लिए वे सर्वोच्च न्यायालय के बहुत आभारी हैं.
बीते जनवरी महीने में पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया था.
कई हफ्तों के विरोध के बाद बीते 23 जनवरी को मामले की जांच के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय के आश्वासन और ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन के बाद पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था.
इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था.
हालांकि इसके बाद भी कोई कार्रवाई ने होने के बाद बीते 23 अप्रैल को बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत अन्य पहलवानों ने अपना प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया.
सात दिनों के विरोध के बाद बीते 28 अप्रैल को सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से एक यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत और दूसरी महिला के शील भंग का प्रयास से संबंधित है.
इससे पहले दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर न दर्ज करने का आरोप लगाते हुए खिलाड़ी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जिसने 25 अप्रैल को उनकी याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.
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