मन की बात के 100वें एपिसोड संबंधी कार्यक्रम में न रहने के लिए 36 छात्राओं को सज़ा

घटना पीजीआई चंडीगढ़ के नर्सिंग कॉलेज हॉस्टल की है, जहां अप्रैल के अंतिम रविवार को प्रसारित हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' के सौवें एपिसोड के कार्यक्रम में मौजूद न रही 36 छात्राओं को सज़ा के तौर पर हफ्तेभर तक हॉस्टल से बाहर न निकलने का आदेश दिया गया है.

(फोटो साभार: यूट्यूब/नरेंद्र मोदी और पीएमओ वेबसाइट)

घटना पीजीआई चंडीगढ़ के नर्सिंग कॉलेज हॉस्टल की है, जहां अप्रैल के अंतिम रविवार को प्रसारित हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ के सौवें एपिसोड के कार्यक्रम में मौजूद न रही 36 छात्राओं को सज़ा के तौर पर हफ्तेभर तक हॉस्टल से बाहर न निकलने का आदेश दिया गया है.

(फोटो साभार: यूट्यूब/नरेंद्र मोदी और पीएमओ वेबसाइट)

नई दिल्ली: बीते अप्रैल महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ के सौवें एपिसोड को सुनने के कार्यक्रम में मौजूद न होने को लेकर पीजीआई चंडीगढ़ के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग एजुकेशन की छत्तीस छात्राओं को दंडित किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्हें हफ्तेभर तक हॉस्टल से बाहर न निकलने की सजा दी गई है. यह आदेश 3 मई को संस्थान की प्रिंसिपल डॉ. सुखपाल कौर द्वारा जारी किया गया था. जिन छात्राओं को सजा मिली है उनमें 28 पहले साल की और आठ तीसरे वर्ष में पढ़ती हैं.

अख़बार के अनुसार, प्रिंसिपल के पत्र में कहा गया है कि पीजीआई के डायरेक्टर के निर्देशानुसार सभी विद्यार्थियों और हॉस्टल संयोजकों को बताया गया था कि पहले और तीसरे साल के विद्यार्थियों के लिए मन की बात के सौवें एपिसोड संबंधी कार्यक्रम में मौजूद रहना अनिवार्य है.

पत्र के अनुसार, इसे लेकर चेतावनी भी जारी की गई थी कि ‘इसमें शामिल न होने वाले विद्यार्थियों का बाहर जाना रद्द कर दिया जाएगा.’ फिर भी, हॉस्टल में बार-बार बताए जाने के बावजूद 36 छात्राएं कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं.

डॉ. कौर का कहना है कि ‘अनुशासन बनाए रखने के लिए’ कार्रवाई की गई है क्योंकि ‘छात्राओं को कई गेस्ट लेक्चर में भाग लेने की जरूरत होती है’ जो नियमित रूप से विभाग में आयोजित किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह एक अनुशासनात्मक कार्रवाई है और इसलिए नहीं की गई क्योंकि वे किसी विशेष कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए .

डॉ. कौर ने कहा, ‘संस्थान में हर कोई पूरी ईमानदारी के साथ एक टीम के रूप में काम करता है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस कार्रवाई को गलत समझा जा रहा है.’

इस बीच, पीजीआई, चडीगढ़ के पूर्व डायरेक्टर डॉ. एसके शर्मा ने इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई है.

अख़बार के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इसके लिए छात्राओं को इतनी कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी. अधिकतम यह होता कि उन्हें चेतावनी दी जा सकती थी. पहले, उन्हें सख्ती से सूचित किया जाना चाहिए था कि प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन है और उन्हें इसमें शामिल होना ही है.’

इस बीच, चंडीगढ़ यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मनोज लुबाना ने एक बयान में इसे ‘तानाशाही निर्णय’ बताया है. उन्होंने कहा कि पीजीआई की मंशा 36 छात्राओं को दंडित करना और परेशान करना है और दावा किया कि प्रशासन के दबाव में कार्रवाई की गई है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर इस फैसले से भविष्य में छात्रों के शैक्षणिक जीवन पर असर पड़ता है तो यूथ कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले सितंबर 2021 में पीजीआई के 40 कर्मचारियों को प्रधानमंत्री के जन्मदिन के कार्यक्रम में काम न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

अन्य राज्यों में भी ‘मन की बात’ न सुनने को लेकर हुई कार्रवाई

मन की बात के सौवें एपिसोड को न सुनने को लेकर हुई यह पहली कार्रवाई नहीं है.

बीते हफ्ते अमर उजाला की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि उत्तराखंड के एक स्कूल ने ‘मन की बात’ के सौवें एपिसोड को सुनने के कार्यक्रम में न पहुंचने वाले छात्रों से सौ रुपये जुर्माना भरने को कहा था. अभिभावकों ने बताया था कि वॉट्सऐप ग्रुप में भेजे संदेश में स्कूल की तरफ से कहा गया था कि या तो छात्र मेडिकल प्रमाणपत्र जमा करें या सौ रुपये फाइन दें.

इसी तरह गुजरात के वड़ोदरा की एमएस यूनिवर्सिटी के गर्ल्स हॉस्टल में इस कार्यक्रम को न सुनने वाली छात्राओं को पचास रुपये फाइन भरने को कहा गया था. हालांकि, विवाद होने के बाद राशि वापस कर दी गई.