सुदर्शन न्यूज़ ने हाल ही में एक रिपोर्ट में अज़मत अली ख़ान नाम के एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ जबरन धर्मांतरण के आरोप लगाते हुए ‘जिहादी’ कहा था. इसे चुनौती देने वाली ख़ान की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चैनल तुरंत वीडियो को हटाए, अगर वह ऐसा नहीं करता है तो सोशल मीडिया मंच उसे ब्लॉक कर दें.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुदर्शन न्यूज द्वारा अज़मत अली खान नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ जबरन धर्मांतरण के आरोपों वाली एक रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए चैनल को वीडियो को तुरंत हटाने का आदेश दिया है.
बार एंड बेंच के मुताबिक, अदालत ने रिपोर्ट को लेकर नाराजगी जताई क्योंकि यह रिपोर्ट उस मामले पर की गई थी जिस पर अभी दिल्ली पुलिस जांच कर रही है और साथ ही कार्यक्रम में ‘जिहादी’ जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया था.
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने वीडियो में की गई धमकाने वाली टिप्पणी का संज्ञान लिया और कहा कि इससे खान की सुरक्षा को खतरा है. इसलिए अदालत ने सुदर्शन न्यूज़ के साथ-साथ यूट्यूब और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों और सरकारी अधिकारियों को वीडियो को सार्वजनिक तौर पर देखे जाने से तुरंत ब्लॉक करने का आदेश दिया.
जस्टिस सिंह ने कहा, ‘यह उनकी सुरक्षा का सवाल है. अगर वे (सुदर्शन न्यूज) इसे ब्लॉक नहीं करते हैं तो आप (सोशल मीडिया मंच) ब्लॉक कर दें. मेरे निर्देश स्पष्ट हैं. सबको इसे (वीडियो) ब्लॉक करना होगा.’
जस्टिस सिंह, खान द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थीं. याचिका में खान की ओर से कहा गया था कि वे जिस महिला के साथ लगभग सात साल से प्रेम संबंधों में थे, उसने उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसका धर्म इस्लाम में परिवर्तित करने की कोशिश की.
वकील ने कहा कि इन आरोपों पर दिल्ली पुलिस ने खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली, लेकिन अदालत ने मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी.
खान की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राजीव बजाज ने कहा कि सुदर्शन न्यूज ने हाल ही में एक रिपोर्ट की थी, जिसमें खान के खिलाफ विभिन्न आरोप लगाए गए थे और उनके लिए ‘जिहादी’ जैसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया था.
अदालत में एक वीडियो भी चलाया गया और वकील ने कहा कि चैनल के रिपोर्टर खान और उनके परिवार को परेशान कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि ‘आज तक’ ने भी कल रात इस मुद्दे परडिबेट की थी.
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर सकता क्योंकि सुदर्शन न्यूज उसका सदस्य नहीं है. भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने भी कहा कि वह यूट्यूब और अन्य मंचों पर प्रसारित वीडियो पर कार्रवाई नहीं कर सकता है.
मामले पर विचार करने के बाद जस्टिस सिंह ने सुदर्शन और कई अन्य समाचार संगठनों को सामग्री हटाने/अवरुद्ध करने का निर्देश देते हुए आदेश पारित किया.
पीठ ने सुरेश चव्हाणके, सुदर्शन न्यूज, उड़ीसा टीवी, भारत प्रकाशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, एनबीडीए, पीसीआई और सोशल मीडिया मंचों को नोटिस जारी किया.
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया और मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा. दिल्ली पुलिस को शिकायतकर्ता महिला से भी संपर्क करने और उसे कार्यवाही के बारे में सूचित करने के लिए कहा गया. मामले पर अब 24 मई को सुनवाई होगी.