महबूबा मुफ़्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने मासिक न्यूज़लेटर में कहा है कि यहां की मुख्यधारा की राजनीति को ख़त्म करने के साथ कश्मीर के प्रति भारत सरकार का कठोर रवैया कट्टरता के लिए उपजाऊ ज़मीन तैयार कर रहा है, जहां आज़ादी की भावना पहले से कहीं अधिक मज़बूत हुई है.
नई दिल्ली: जम्मू के पीर पंजाल क्षेत्र में हाल के आतंकवादी हमलों का उल्लेख करते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा है कि ‘पूरी आबादी को अलग-थलग करने की कीमत चुकानी पड़ती है’. पार्टी की ओर से यह भी कहा गया कि केंद्र के ‘कठोर दृष्टिकोण’ ने ‘कट्टरता के लिए उर्वर जमीन’ तैयार की है, जहां आजादी की भावना पहले से कहीं अधिक मजबूत है’.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपने मासिक न्यूज़लेटर ‘स्पीक अप’ में पार्टी ने कहा, ‘यहां की मुख्यधारा की राजनीति को खत्म करने साथ कश्मीर के प्रति भारत सरकार का कठोर रवैया कट्टरता के लिए उपजाऊ जमीन तैयार कर रहा है, जहां आजादी की भावना पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है.’
“GOI’s hard line approach towards Kashmir coupled with the elimination of our political mainstream is creating fertile grounds for radicalisation where the azaadi sentiment is stronger than ever." #jkpdp ‘Speak Up’ May 2023 pic.twitter.com/aa2qTrvIxY
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) May 16, 2023
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, ‘हालांकि जी20 मुश्किल से ही किसी संकट का सामना कर रहा है, लेकिन भारत सरकार कश्मीरियों को परेशान करने और डराने के अवसर के रूप में इसका पूरा उपयोग कर रही है. वे जोर देकर कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में सब कुछ सामान्य है, फिर भी हमारे लोगों पर गिरफ्तारी, छापे, निगरानी और उत्पीड़न में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस कार्यक्रम से पहले सैकड़ों कश्मीरी लड़कों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें से ज्यादातर दक्षिण कश्मीर से हैं.’
पार्टी ने यह भी कहा कि सुरक्षा बलों पर हाल के आतंकवादी हमलों के मद्देनजर पुंछ और राजौरी जिलों में स्थिति खतरनाक है.
पीर पंजाल क्षेत्र, जिसमें राजौरी और पुंछ जिले शामिल हैं, ने पिछले एक साल में आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी है. हाल ही में इस क्षेत्र में दो अलग-अलग हमलों में 10 सैनिक शहीद हो गए. पांच सैनिक तब शहीद हो गए जब आतंकवादियों ने सेना के एक वाहन पर हमला किया, जिससे आग लग गई थी और पांच अन्य जवान इसी मई महीने में एक अभियान के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पीडीपी के न्यूज़लेटर में कहा गया, ‘भारत सरकार न केवल पुंछ हमले को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय करने में विफल रही, बल्कि उसने इसे हादसा बताकर इसे कमतर करने की कोशिश भी की.’
इंडियन एक्सप्रेस ने इससे पहले अपनी एक अन्य रिपोर्ट में बताया था कि अक्टूबर 2021 से आतंवादियों ने पुंछ में भट्टा दूरियान-चामरेड जंगलों तथा राजौरी में पारगल-डांगरी के बीच इस क्षेत्र में सेना के 20 जवानों सहित 29 लोगों की हत्या कर दी है.
आउटलुक की एक रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी ने कहा, ‘यह कोई रहस्य नहीं है कि भारतीय खुफिया तंत्र खतरनाक पीर पंजाल क्षेत्र पर अपनी पकड़ खो रहा है और मामले को बदतर बनाने के लिए स्थानीय सुरक्षा तंत्र ने पुंछ हमले के लिए संदिग्ध समझे जाने वाले 200 से अधिक स्थानीय लोगों को हिरासत में लिया है.’
पीडीपी ने कहा, ‘48 वर्षीय मुख्तार हुसैन शाह, जिन्हें पुलिस और सेना ने हिरासत में लिया था, की मौत हो गई है. अधिकारियों का कहना है कि थाने बुलाए जाने के कुछ ही घंटों बाद उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. अगले दिन उनके परिवार को वे सड़क पर अचेत मिले थे. परिवार ने दावा किया कि उनके पूरे शरीर पर चोट और यातना के निशान देखे गए हैं.’
आगे कहा गया है, ‘हिरासत में मौतों की कहानियां अजीब होती जा रही हैं और फिर भी एक चीज वैसी ही रहती है – मारे गए लोगों की पिटाई, चोट, यातना और क्षत-विक्षत शव.’
पार्टी ने कहा, ‘अतीत में पीर पंजाल क्षेत्र ने आतंकवाद से लड़ने के लिए अर्धसैनिक बलों का समर्थन करने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी. आज उन्हीं लोगों पर शक किया जा रहा है, उन पर अत्याचार और बदसलूकी की जा रही है. इन क्षेत्रों के रणनीतिक स्थान के कारण भारत के लिए इसके खतरनाक परिणाम होंगे. चीजों को परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए हालिया पुंछ हमला 2019 के बाद से अपनी तरह का सातवां हमला है.’
इसके अनुसार, अल्पसंख्यकों पर हाल के हमलों के मद्देनजर भारत सरकार ने जम्मू में लगभग 25,000 नागरिकों को सशस्त्र किया है. ज्यादातर हिंदू मिलिशिया में पुरुष, महिलाएं और यहां तक कि किशोर भी शामिल हैं. यह कहना उचित है कि यह समाधान उस समस्या की तुलना में अधिक जिंदगियां खत्म करेगा, जबकि इसे समस्या को हल करना था.
पीडीपी जो कभी जम्मू कश्मीर में भाजपा की गठबंधन सहयोगी थी, उसने उसकी (भाजपा) प्राथमिकताओं के ‘पुनर्मूल्यांकन’ के लिए कहा है.
पीडीपी ने कहा, ‘शायद यह उनके लिए अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने का एक अच्छा समय होगा. अगर कोई एक चीज है जो वे हाल की घटनाओं से सीख सकते हैं तो वह यह है कि किसी भी समय स्थितियां बदल सकती हैं. जो कभी शिकारी था वह आसानी से शिकार बन सकता है.’