बीते जनवरी माह में अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते बुधवार (17 मई) को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)को 14 अगस्त 2023 तक अडानी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी के आरोपों की जांच पूरी करने की अनुमति दी.
अमेरिकी वित्तीय अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के सामने आने के बाद बीते 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को मामले की जांच पूरी करने के लिए दो महीने का समय दिया गया था.
बीते 29 अप्रैल सेबी ने 2 मई तक की समयसीमा बढ़ाने के साथ जांच पूरी करने के लिए छह महीने का समय दिए जाने की मांग की थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सुनवाई के दौरान इतना वक्त दिए जाने से साफ इनकार कर दिया था. अब उसने सेबी को जांच पूरी करने के लिए तीन अतिरिक्त महीने दिए हैं.
पिछले सुनवाई में पीठ ने कहा था, ‘हम अब 6 महीने का समय नहीं दे सकते. काम में थोड़ी तत्परता बरतने की जरूरत है. एक साथ एक टीम रखो. हम अगस्त के मध्य में मामले को सूचीबद्ध कर सकते हैं और तब तक रिपोर्ट तैयार करें. न्यूनतम समय के रूप में 6 महीने नहीं दिए जा सकते हैं. सेबी अनिश्चितकाल की अवधि नहीं ले सकता है और हम उसे तीन महीने का समय देंगे.’
समाचार वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से बीते बुधवार को कहा, ‘हमने 2 महीने का समय दिया और अब इसे अगस्त तक बढ़ा दिया है, जो इसे 5 महीने कर देता है. अगर आपको कोई वास्तविक कठिनाई है, तो हमें बताएं.’
सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल मेहता सेबी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने सेबी से अब तक की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा. सेबी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर लगाए गए दावों की जांच कर रहा है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी और शीर्ष अदालत के पूर्व जज जस्टिस एएम सप्रे की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति से आरोपों की जांच करने को कहा था. बीते आठ मई समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
बुधवार को पीठ ने विशेषज्ञ समिति से अदालत की सहायता जारी रखने का अनुरोध किया और निर्देश दिया कि इसके द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की प्रतियां मामले के पक्षों और उनके वकीलों के साथ साझा की जाएं.
बीते 15 मई को इस मामले की सुनवाई के दौरान सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने 2016 के बाद से अडानी समूह की किसी भी कंपनी की जांच नहीं की है और उसका पिछला बयान ‘तथ्यात्मक रूप से निराधार’ था.
तब विपक्षी नेताओं ने कहा था कि यह मामले को दबाने की कोशिश है और दावा किया था कि 2021 में सरकार ने लोकसभा को बताया था कि सेबी अडानी समूह की जांच कर रहा है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जुलाई 2021 में लोकसभा को बताया था कि पूंजी बाजार नियामक अडानी समूह की जांच कर रहा है. वित्त मंत्रालय ने बाद में कहा था कि वह अपने जवाब पर कायम है.
The Government stands by its reply in Lok Sabha on 19th July 2021 to Q. No. 72, which was based on due diligence and inputs from all concerned agencies. https://t.co/JGZHXT6kqM
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) May 15, 2023
लाइव लॉ ने बताया है कि बुधवार (17 मई) की सुनवाई के दौरान हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक बार फिर सेबी के इस दावे पर सवाल उठाया कि वह 2016 से अडानी समूह की कंपनियों की जांच नहीं कर रहा है और संसद में केंद्र सरकार के जवाब का भी हवाला दिया.
इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने दावा किया कि सेबी की 2016 की जांच अलग मुद्दे पर थी.
उन्होंने कहा ‘2016 में सेबी ने भारत की 51 सूचीबद्ध कंपनियों से संबंधित एक आदेश पारित किया था. उन 51 कंपनियों में इस (अडानी) समूह की कोई भी कंपनी शामिल नहीं थी. मेरे विद्वान मित्र 2016 या 2008 से इस कंपनी के साथ हुई हर चीज की जांच चाहते हैं. यह इस याचिका से संबंधित नहीं है. यह याचिका हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित है.’
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट से संबंधित चार याचिकाओं पर विचार कर रहा है, जिसमें शेयर की कीमतों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर अडानी समूह पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है.
इस रिपोर्ट के कारण अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों के शेयर मूल्य में गिरावट आई थी और समूह को कथित तौर पर 100 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था.
शीर्ष अदालत के समक्ष अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और एफआईआर दर्ज करने के लिए सेबी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई है.
इस संबंध में दूसरी याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की गई थी.
कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर की याचिका में अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग के अलावा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा कथित रूप से बढ़ी हुईं कीमतों पर कंपनी के शेयरों में निवेश करने के फैसले पर सवाल उठाया गया है.
जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं. इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता.
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