दिलचस्प है कि एक केंद्रीय मंत्री (अर्जुन राम मेघवाल), जो एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लिए एक बुनियादी मानवधिकार, समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के ख़िलाफ़ थे, को ऐसे समय में क़ानून मंत्री बनाया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को वैध बनाने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
नई दिल्ली: भारत के नए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने साल 2012 में लोकसभा में समलैंगिकता विरोधी निजी विधेयक पेश किया था.
इस विधेयक में 2009 के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया गया था, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को ‘असंवैधानिक’ करार दिया गया था और समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था.
2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 377 को फिर से अपराध घोषित करने के बाद मेघवाल ने शीर्ष अदालत के फैसले की प्रशंसा की थी. उन्होंने कहा था कि वह फिर से निजी विधेयक पेश करेंगे.
अर्जुन राम मेघवाल ने उस समय द हिंदू से बातचीत में उन्होंने कहा था, ‘मेरे विधेयक का मुख्य बिंदु यह है कि माननीय दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है.’
इसका शीर्षक भारतीय दंड संहिता (संशोधन) विधेयक 2012 (धारा 377 का संशोधन) था.
मालूम हो कि बीते बृहस्पतिवार (18 मई) को केंद्र के मोदी मंत्रिमंडल में अचानक हुए फेरबदल के बाद किरेन रिजिजू को केंद्रीय कानून मंत्री की जिम्मेदारी से अलग करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का जिम्मा सौंप दिया गया.
इस संबंध में राष्ट्रपति भवन ने घोषणा की कि किरेन रिजिजू को कानून और न्याय विभाग से हटा दिया गया है और मेघवाल को इसका प्रभार दिया गया है. इस संबंध में जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मंत्रियों के बीच विभागों का पुनर्आवंटन किया है.
यह देखना दिलचस्प है कि कैसे एक केंद्रीय मंत्री, जो एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लिए एक बुनियादी मानवधिकार, समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के खिलाफ थे, को ऐसे समय में कानून मंत्री बनाया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने पर महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
अन्य मामलों में मेघवाल की टिप्पणियों ने इससे पहले ध्यान अपनी ओर खींचा है. मई 2016 में उन्होंने लोकसभा में दावा किया था कि उच्च दुर्घटना दर के कारण महिलाएं मिग-21 लड़ाकू विमान उड़ाने से डरती हैं.
फिर उन्होंने यह समझाने की कोशिश की थी कि उनका वास्तव में ऐसा कहने मतलब था कि विमान उड़ाने के डर के खिलाफ एनसीसी और स्कूल स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए.
मालूम हो कि साल 2020 में अर्जुन राम मेघवाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था, जिसमें वे ‘भाभी जी’ नाम के एक पापड़ ब्रांड का प्रचार करते हुए दावा कर रहे थे कि इसको खाने से कोरोना से बचाव होगा.
उन्होंने इस पापड़ से संबंधित वीडियो ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ मुहिम के तहत जारी किया था. इस वीडियो के सामने आने के बाद उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.
Union Minister Arjun Ram Meghwal launches "Bhabhi Ji Papad", claims Papad can help develop antibodies against the Corona Virus pic.twitter.com/cZ4MRp1uv2
— Mojo Story (@themojostory) July 24, 2020
इस वीडियो में वे कहते नजर आए थे, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भाभी जी पापड़ नाम से एक पापड़ निर्माता ने एक ऐसा ब्रांड निकाला है, जिससे कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंडीबॉडी डेवलप होने के जो साधन हैं, वो खाने के माध्यम से बॉडी में जाएंगे.’
हालांकि इसके बाद वह खुद कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे.
उनका जन्म साल 1953 में राजस्थान के बीकानेर जिले के किश्मिदेशर गांव में बुनकरों के एक दलित परिवार में हुआ था. उन्होंने स्कूल-कॉलेज के दिनों में अपने परिवार का सहयोग करने और अपनी पढ़ाई की फीस के लिए एक बुनकर के रूप में काम किया था.
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