दिल्ली हाईकोर्ट में गुजरात स्थित जस्टिस ऑन ट्रायल नामक एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया है कि बीबीसी की दो भाग की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ ने भारत की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाया है. बीबीसी के ख़िलाफ़ इस संबंध में मानहानि की एक अन्य याचिका एक भाजपा नेता द्वारा दायर की गई है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों पर उसके दो-भाग की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ से संबंधित मानहानि के मामले में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) को तलब किया है. आरोप लगाया गया है कि उसकी डॉक्यूमेंट्री ने भारत की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाया है.
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह याचिका गुजरात स्थित जस्टिस ऑन ट्रायल नाम के एक एनजीओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दायर किया है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा, ‘यह तर्क दिया गया है कि डॉक्यूमेंट्री देश और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा के साथ प्रधानमंत्री पर कलंक लगाता है. प्रतिवादियों को नोटिस जारी करें.’
द टेलीग्राफ के अनुसार, जस्टिस सचिन दत्ता ने बीबीसी (यूके) के अलावा गुजरात स्थित एनजीओ जस्टिस ऑन ट्रायल द्वारा दायर याचिका पर बीबीसी (भारत) को भी नोटिस जारी किया.
अदालत ने मामले को 15 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.
बता दें कि इससे पहले दिल्ली की एक निचली अदालत ने हाल ही में भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर मानहानि के एक मुकदमे में बीबीसी, विकिमीडिया फाउंडेशन और इंटरनेट आर्काइव को समन जारी किया था, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद से संबंधित डॉक्यूमेंट्री या किसी अन्य सामग्री को प्रकाशित करने से रोकने की मांग की गई थी.
मालूम हो कि बीते जनवरी माह में प्रसारित बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में बताया गया था कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए जिम्मेदार पाया गया था.
साथ ही इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के मुसलमानों के बीच तनाव की भी बात कही गई थी. यह 2002 के फरवरी और मार्च महीनों में गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा में उनकी भूमिका के संबंध में दावों की पड़ताल भी करती है, जिसमें एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी.
डॉक्यूमेंट्री का दूसरा एपिसोड, केंद्र में मोदी के सत्ता में आने के बाद – विशेष तौर पर 2019 में उनके दोबारा सत्ता में आने के बाद – मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और उनकी सरकार द्वारा लाए गए भेदभावपूर्ण कानूनों की बात करता है. इसमें मोदी को ‘बेहद विभाजनकारी’ बताया गया था.
इसके बाद केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था, वहीं विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताते हुए खारिज कर कहा था कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है.
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