मणिपुर: इंफाल में फिर आगज़नी-तनाव के बाद कर्फ्यू में सख़्ती, 7,500 से अधिक लोग मिज़ोरम भागे

मणिपुर में रविवार और सोमवार को फिर हिंसा भड़क गई, जिसके चलते कर्फ्यू में दी गई ढील को दो घंटे कम कर दिया गया है. इंटरनेट पर प्रतिबंध 26 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. हालिया हिंसा के संबंध में पुलिस ने तीन व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें एक पूर्व विधायक भी शामिल हैं.

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मेईतेई और कुकी समुदाय के सदस्यों ने सुरक्षा उपाय के तौर पर अपने घरों के बाहर अपने समुदाय का नाम चिपका रखा है. (फोटो साभार: एएनआई)

मणिपुर में रविवार और सोमवार को फिर हिंसा भड़क गई, जिसके चलते कर्फ्यू में दी गई ढील को दो घंटे कम कर दिया गया है. इंटरनेट पर प्रतिबंध 26 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. हालिया हिंसा के संबंध में पुलिस ने तीन व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें एक पूर्व विधायक भी शामिल हैं.

मेईतेई और कुकी समुदाय के सदस्यों ने सुरक्षा उपाय के तौर पर अपने घरों के बाहर अपने समुदाय का नाम चिपका रखा है. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: मणिपुर में रविवार रात और सोमवार को दिन में फिर से हुई हिंसा के बाद राज्य में अभी भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. राजधानी इंफाल में सोमवार को मेईतेई और कुकी समुदाय के बीच ताजा झड़पें और तनाव देखे गए.

समाचार वेबसाइट एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंफाल के न्यू चेकॉन इलाके में एक नए बाजार में जगह को लेकर दोनों समुदायों के गुट आपस में भिड़ गए.

पुलिस ने कथित तौर पर न्यू चेकॉन में हुई घटना में शामिल होने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.

इसके अलावा इंफाल पूर्वी जिले में भीड़ ने घरों में आग लगा दी.

इंफाल में सोमवार को दोपहर करीब 2 बजे पोरोमपात पुलिस थाने के तहत इंफाल पूर्वी जिले के चस्साद एवेन्यू में कुछ घरों में आग लगा दी गई. कुकी छात्र संगठन के एक सदस्य खोंगसाई ने द वायर को बताया, ‘चार घरों में आग लगा दी गई थी और लगभग 40 लोग इस स्थिति से प्रभावित हुए थे.’

खोंगसाई ने द वायर के साथ वीडियो साझा किए, जिसमें जले हुए घरों और लोगों को बचकर बाहर निकलते हुए दिखाया गया है.

रविवार (21 मई) को भी मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में हिंसा हुई, जहां गोलीबारी में तीन लोग घायल हो गए.

खोंगसाई ने आरोप लगाया कि भीड़ ने एक चर्च, द इंडिपेंडेंट चर्च ऑफ इंडिया, को भी निशाना बनाया. ऐसा आरोप लगाया गया है कि चर्च को मेईतेई समुदाय द्वारा जला दिया गया है.

7,500 से अधिक लोग पड़ोसी राज्य मिजोरम भाग गए

बढ़ते तनाव ने बड़ी संख्या में कुकी लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए राज्य की राजधानी से पलायन करने के लिए प्रेरित किया है. खोंगसाई ने खुलासा किया, ‘वर्तमान में 7,000 से अधिक शरणार्थियों ने मणिपुर (विशेष तौर पर इंफाल और इसके आसपास के इलाकों) में सांप्रदायिक हिंसा के कारण मिजोरम में आश्रय मांगा है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा के कारण मणिपुर से 7,500 से अधिक लोग पड़ोसी राज्य मिजोरम भाग गए हैं. पीटीआई ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि कुकी समुदाय के 7,527 लोग सोमवार शाम 5 बजे तक मिजोरम में प्रवेश कर चुके हैं.

विस्थापित लोगों को कथित तौर पर मिजोरम में राहत शिविरों में अस्थायी आश्रय प्रदान किया गया है. मणिपुर का वह हिस्सा, जो मिजोरम की सीमा से लगा हुआ है, वहां कुकी बहुतायत में रहते हैं.

खोंगसाई के अनुसार, हालिया घटनाक्रम में वर्तमान राज्यसभा सांसद लीशेम्बा सनाजाओबा की कथित संलिप्तता है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘20 से अधिक गांव के घरों को अरंबाई तेंगगोल नामक मेईतेई स्वयंसेवी समूह द्वारा जला दिया गया है.’

अरंबाई तेंगगोल का नाम ऐतिहासिक रूप से मणिपुरी राजाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार से लिया गया है. अरंबाई तेंगगोल और मेइतेई लीपुन नामक एक अन्य समूह की उपस्थिति पिछले एक साल में निवासियों द्वारा देखी गई है, खासकर सोशल मीडिया मंचों पर.

खोंगसाई ने आगे दावा किया कि कहा जाता है कि अरंबाई फोर्स की सनाजाओबा द्वारा भर्ती की गई थी.

कांग्रेस पार्टी के मणिपुर प्रभारी भक्त चरण दास ने हाल ही में द हिंदू को बताया था कि कथित तौर पर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के समर्थन का लाभ उठा रहे अरंबाई तेंगगोल और मेइतेई लीपुन जैसे संगठन भी चर्चों के विनाश के लिए जिम्मेदार हैं.

इंफाल में सोमवार को घरों में आग लगा दी गई. (फोटो: वीडियो का स्क्रीनग्रैब)

बहरहाल, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हिंसक घटनाओं में कथित संलिप्तता के लिए एक पूर्व विधायक सहित तीन लोगों को पकड़ा गया है.

सिंह ने कहा कि रविवार रात इंफाल पश्चिम जिले में तीन लोगों को मामूली चोटें आई हैं. उन्होंने कहा कि दोषियों के पास दोनाली बंदूकें थीं, जिन्हें पुलिस ने पकड़ लिया.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सोमवार को इंफाल शहर के न्यू लेम्बुलेन (न्यू चेकॉन) हिस्से में एक और मामूली घटना हुई. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि साजिश में एक पूर्व विधायक शामिल थे. गन लिए दो सशस्त्र कर्मचारियों ने दुकानदारों को धमकी दी और उन्हें क्षेत्र खाली करने के लिए कहा. पूर्व विधायक के साथ-साथ इन दोनों लोगों को भी पकड़ लिया गया है.’

जबकि दोनों समुदायों के बीच तनाव की खबरें आना जारी हैं, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने टिप्पणी कर चुके हैं कि दोनों समुदाय के बीच कोई द्वेष नहीं है और हिंसा का कारण वन संरक्षण एवं अफीम साफ करने की सरकार की नीति का विरोध है.

कर्फ्यू में ढील को 2 घंटे कम किया गया

इस बीच, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पहले कर्फ्यू में सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक की ढील दी गई थी, हालिया तनाव के बाद जिसे अब सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक सख्त कर दिया गया है.

अधिकारियों ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि राज्य में इंटरनेट शटडाउन 26 मई तक बढ़ा दिया जाएगा.

21 मई को मणिपुर सरकार के गृह विभाग सचिवालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि झूठी अफवाहों के ऑनलाइन प्रसार से भड़की हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध को बढ़ाया जा रहा है. ताजा आदेश के बाद मणिपुर के लोगों की इंटरनेट से दूरी को 23 दिन हो गए हैं.

आदेश में कहा गया है, ‘मणिपुर के पुलिस महानिदेशक ने बताया कि अभी भी घरों और परिसरों में आगजनी जैसी घटनाओं की खबरें आ रही हैं. विभिन्न सोशल मीडिया (मंचों) के माध्यम से दुष्प्रचार और झूठी अफवाहों के प्रसार को रोककर जनहित में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपाय करना आवश्यक हो गया है.’

इस बीच, मणिपुर के श्रमिक संगठनों ने तीन सप्ताह से अधिक समय से राज्य में इंटरनेट की अनुपलब्धता के कारण व्यवसायों और ऑनलाइन काम करने वालों की नौकरी खोने के बारे में चिंता जताई है.

इंफाल फ्री प्रेस ने ऑल मणिपुर रिमोट वर्किंग प्रोफेशनल्स के प्रवक्ता मोरेंगथेम सुधाकर के हवाले से कहा, ‘अगर सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहों के फैलने की आशंका है, जो राज्य में हिंसा को बढ़ा सकती है तो सरकार या प्राधिकरण, अपने विशेषज्ञों के साथ, सभी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) को निर्देश देकर सभी सोशल मीडिया साइटों और सार्वजनिक वीपीएन को ब्लॉक कर सकते हैं.’

इंफाल में सोमवार को घरों में आग लगा दी गई. (फोटो: वीडियो का स्क्रीनग्रैब)

उन्होंने कहा कि सरकार को राज्य के पेशेवरों के लिए एक इंटरनेट से जुड़ा कार्यस्थल प्रदान करना चाहिए, क्योंकि कई लोग अपनी नौकरी खोने के कगार पर हैं.

मालूम हो कि राज्य में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के मुद्दे पर पनपा तनाव 3 मई को तब हिंसा में तब्दील हो गया, जब इसके विरोध में राज्य भर में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाले गए थे.

यह मुद्दा एक बार फिर तब ज्वलंत हो गया था, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफारिश सौंपे.

ऐसा माना जाता है कि इस आदेश से मणिपुर के गैर-मेईतेई निवासी जो पहले से ही अनुसूचित जनजातियों की सूची में हैं, के बीच काफी चिंता पैदा हो कर दी थी, जिसके परिणामस्वरूप बीते 3 मई को निकाले गए एक विरोध मार्च के दौरान जातीय हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 70 से अधिक लोग मारे गए थे और 26,000 अन्य विस्थापित हो गए थे.

बीते 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेईतेई समुदाय को शामिल करने पर विचार करने के निर्देश के खिलाफ ‘कड़ी टिप्पणी’ की थी. शीर्ष अदालत ने इस आदेश को तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत बताया था.

इससे पहले बीते 8 मई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हुई हिंसा को एक ‘मानवीय समस्या’ बताया था. अदालत ने कहा था कि किसी समुदाय को अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में नामित करने की शक्ति हाईकोर्ट के पास नहीं, बल्कि राष्ट्रपति के पास होती है.

अलग प्रशासन की मांग

मणिपुर में मेईतेई समुदाय आबादी का लगभग 53 प्रतिशत है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं, जो घाटी इलाके के चारों ओर स्थित हैं.

एसटी का दर्जा मिलने से मेईतेई सार्वजनिक नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के हकदार होंगे और उन्हें वन भूमि तक पहुंच प्राप्त होगी. लेकिन राज्य के मौजूदा आदिवासी समुदायों को डर है कि इससे उनके लिए उपलब्ध आरक्षण कम हो जाएगा और सदियों से वे जिन जमीनों पर रहते आए हैं, वे खतरे में पड़ जाएंगी.

इधर, हिंसा के बाद मणिपुर के 10 विधायक, जो चिन-कुकी-मिज़ो-ज़ोमी-हमार समुदायों से ताल्लुक रखते हैं, ने दो बार अलग प्रशासन की मांग दोहरा चुके हैं.

विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिए गए एक ज्ञापन में दावा किया है कि उनके लोगों ने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में ‘विश्वास खो दिया है’ और 3 मई को भड़की हिंसा के बाद ‘घाटी में फिर से बसने’ के बारे में वे अब और नहीं सोच सकते हैं.

इन 10 विधायक, जिनमें से सात सत्तारूढ़ भाजपा से हैं, जिनमें दो मंत्री हैं, इसके अलावा कुकी पीपुल्स अलायंस के दो और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं, ने बीते 15 मई को दिल्ली में शाह से मुलाकात की थी, ताकि उन्हें मौजूदा अशांति से अवगत कराया जा सके और उनके लोगों के लिए ‘अलग प्रशासन’ की मांग की जा सके.


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