नई संसद के उद्घाटन से पहले प्रेस क्लब ने मीडिया के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटाने की मांग की

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर कहा कि कोविड​​-19 महामारी के मद्देनज़र 2020 के बजट सत्र के दौरान मीडियाकर्मियों पर प्रतिबंध लागू किया गया था, लेकिन अब भी पत्रकारों को प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है.

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नया संसद भवन. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@airnews_ddn)

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर कहा कि कोविड​​-19 महामारी के मद्देनज़र 2020 के बजट सत्र के दौरान मीडियाकर्मियों पर प्रतिबंध लागू किया गया था, लेकिन अब भी पत्रकारों को प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है.

नया संसद भवन. (फोटो साभार: ट्विटर/@airnews_ddn)

नई दिल्ली: नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने बीते बृहस्पतिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर निचले सदन की प्रेस गैलरी में संसद की ‘कवरेज’ के लिए मीडिया के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटाने की मांग की.

प्रेस क्लब ने बिड़ला को लिखे एक पत्र में कहा, ‘चूंकि 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा है, हम आपका ध्यान पिछले कई सत्रों में संसदीय कार्यवाही को कवर करने वाले पत्रकारों और उनके प्रवेश पर लगाए गए निरंतर और कठोर प्रतिबंधों की ओर आकर्षित करना चाहते हैं.’

लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में प्रेस क्लब ने कहा कि स्थायी प्रेस दीर्घा ‘पास’ होने के बावजूद बड़ी संख्या में पत्रकारों को अब भी संसद की कार्यवाही का ‘कवरेज’ करने नहीं दिया जा रहा है.

पत्र में कहा गया है कि पिछले कई दशकों से संसद की कार्यवाही को कवर करने वाले बड़ी संख्या में पत्रकारों को स्थायी प्रेस गैलरी पास होने के बावजूद ऐसा करने के ‘अवसर से वंचित’ किया जा रहा है.

प्रेस क्लब ने कहा कि कोविड​​-19 महामारी के मद्देनजर 2020 के बजट सत्र के दौरान मीडियाकर्मियों पर प्रतिबंध लागू किया गया था, लेकिन एहतियाती प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भी पत्रकारों का प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है.

मीडिया संगठन ने लोकसभा अध्यक्ष को याद दिलाया कि संसद के पिछले सत्रों के दौरान इस मुद्दे पर उनका ध्यान बार-बार उठाया गया है, यह कहते हुए कि ‘अनावश्यक प्रतिबंधों’ का कोई तार्किक आधार या तर्क नहीं है.

प्रेस क्लब ने कहा कि क्योंकि प्रतिबंध एक ठोस कारण या तर्क द्वारा समर्थित नहीं हैं. हमारा यह मानना है कि ये पाबंदियां विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लोगों को स्वतंत्र खबरों और सूचना के मुक्त प्रवाह को बाधित करने के लिए मीडिया को नियंत्रित करने और प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित करने का लक्ष्य रखने वाले एक व्यापक एजेंडा का हिस्सा है.

मीडिया संगठन ने यह भी मांग की कि खराब लोकसभा सलाहकार समिति का तुरंत पुनर्गठन किया जाए.

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