उत्तर प्रदेश: सेप्टिक टैंक में गिरने से चार लोगों की मौत

घटना कुशीनगर ज़िले की है, जहां सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान एक व्यक्ति अंदर फंस गए थे. उन्हें बचाने चार लोग गए और वे भी फंस गए. बताया गया है कि पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर पांचों को बाहर निकाला. इनमें से चार की मौत हो गई और एक गंभीर अवस्था में इलाजरत हैं.

​​(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

घटना कुशीनगर ज़िले की है, जहां सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान एक व्यक्ति अंदर फंस गए थे. उन्हें बचाने चार लोग गए और वे भी फंस गए. बताया गया है कि पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर पांचों को बाहर निकाला. इनमें से चार की मौत हो गई और एक गंभीर अवस्था में इलाजरत हैं.

​​(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में रविवार (29 मई) को सेप्टिक टैंक में गिरने से चार लोगों की मौत हो गई.

ईटीवी भारत के मुताबिक, 45 साल के नंदकुमार को रामनगर गांव में सेप्टिक टैंक साफ करने के लिए बुलाया गया था. सफाई के दौरान वे गिर गए और अंदर ही फंसे, जिसके बाद उनका 25 वर्षीय बेटा नितेश उसकी मदद के लिए दौड़ा और वह भी टैंक में फंस गया.

उसके बाद उनके परिवार ने मदद की गुहार लगाई और तीन अन्य लोगों ने उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की. वे भी सेप्टिक टैंक में गिरे और फंस गए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पुलिस मौके पर पहुंची तो पांचों को बाहर निकाला गया.

ईटीवी भारत के अनुसार, अस्पताल में नंदकुमार, नितेश, 40 वर्षीय दिनेश और 22 वर्षीय आनंद को मृत घोषित कर दिया गया. मदद के लिए पहुंचा एक अन्य शख्स गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है.

मालूम हो कि देश में पहली बार 1993 में मैला ढोने की प्रथा पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसके बाद 2013 में कानून बनाकर इस पर पूरी तरह से बैन लगाया गया. हालांकि आज भी समाज में मैला ढोने की प्रथा मौजूद है.

मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के तहत किसी भी व्यक्ति को सीवर में भेजना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. अगर किसी विषम परिस्थिति में किसी सफाईकर्मी को सीवर के अंदर भेजा जाता है तो इसके लिए 27 तरह के नियमों का पालन करना होता है.

हालांकि इन नियमों के लगातार उल्लंघन के चलते आए दिन सीवर सफाई के दौरान श्रमिकों की जान जाती है. इस कानून के अस्तित्व में आने के 10 साल बीत जाने के बावजूद भारत में सेप्टिक टैंक से होने वाली मौतों की खबरें अभी भी आम हैं.