वर्ष 2021-22 में कक्षा 10वीं के 35 लाख छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी या फेल हो गए: शिक्षा मंत्रालय

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश भर के केंद्रीय और राज्य स्कूली शिक्षा बोर्डों के डेटा का विश्लेषण करने पर पाया कि वर्ष 2021-2022 में कक्षा 10वीं के 35 लाख छात्र 11वीं कक्षा में नहीं पहुंचे. इनमें से 85 फीसदी छात्र केवल 11 राज्यों से हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Ministry of Railway)

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश भर के केंद्रीय और राज्य स्कूली शिक्षा बोर्डों के डेटा का विश्लेषण करने पर पाया कि वर्ष 2021-2022 में कक्षा 10वीं के 35 लाख छात्र 11वीं कक्षा में नहीं पहुंचे. इनमें से 85 फीसदी छात्र केवल 11 राज्यों से हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Ministry of Railway)

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, 2021-2022 में कक्षा 10 में नामांकित करीब 35 लाख छात्र कक्षा 11 में नहीं पहुंचे. इन 35 लाख छात्रों में से 27.5 लाख फेल हो गए और 7.5 लाख छात्र 10वीं की परीक्षा में शामिल नहीं हुए.

द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय स्कूल प्रमाण-पत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) समेत केंद्रीय बोर्डों में छात्रों की फेल होने की दर 5 फीसदी जितनी कम है, लेकिन यह राज्य बोर्डों में 16 प्रतिशत तक उच्च हो सकती है.

शिक्षा मंत्रालय के सचिव (स्कूल शिक्षा) संजय कुमार ने कहा कि अलग-अलग बोर्ड में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में काफी भिन्नता होती है – विशेष तौर पर भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान से संबंधित – जिससे कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी), जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) समेत राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में बाधाएं पैदा होती हैं.

कुमार ने द हिंदू को बताया है कि शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) से नीट क्वालिफाई करने वाले छात्रों का डेटा मांगा है, मंत्रालय विश्लेषण करना चाहता है कि नीट में किन बोर्ड के छात्र अच्छा प्रदर्शन करते हैं या बेहतर रैंक लाते हैं.

कक्षा 10 की परीक्षा में फेल होने या उपस्थित नहीं होने वाले 35 लाख छात्रों में से केवल 4.5 लाख छात्र ही राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के माध्यम से परीक्षा में शामिल हुए और वहां भी फेल होने की दर 47 फीसदी से 55 फीसदी के बीच है.

शिक्षा मंत्रालय द्वारा कक्षा 10 और 12 की परीक्षाओं में उत्तीर्ण और अनुत्तीर्ण होने वाले छात्रों के राज्य-वार डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में 60 राज्य बोर्डों में पढ़ने वाले छात्रों के परिणाम एक राज्य से दूसरे राज्य में काफी भिन्न होते हैं और छात्रों को समान अवसर नहीं मिलते हैं.

केवल 11 राज्यों में ही 85 फीसदी या 30 लाख ड्रॉपआउट (पढ़ाई छोड़ने वाले) छात्र हैं. ये राज्य हैं – उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और छत्तीसगढ़.

सभी बोर्ड के परिणामों का विश्लेषण करने का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की सिफारिशों के अनुसार बोर्ड परीक्षाओं का मानकीकरण करना है, जिसके लिए शिक्षा मंत्रालय एक मानक-निर्धारण निकाय के रूप में ‘परख’ नामक राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र भी स्थापित कर रहा है.

कुमार ने आगे बताया कि विश्लेषण से पता चलता है कि मेघालय में कक्षा 10 में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों का प्रतिशत 57 है. मध्य प्रदेश में 61, जबकि जम्मू कश्मीर में 62 है.

उन्होंने कहा, ‘उदाहरण के लिए पंजाब जैसे राज्यों में यह 97.8 प्रतिशत जितना अधिक है. केरल में उत्तीर्ण होने की दर 99.85 फीसदी है. हम यह मानेंगे कि सभी राज्यों के छात्र प्रतिभाशाली हैं और समान अवसर दिए जाने पर वे आगे बढ़ सकते हैं.’

शिक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों ने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने और अधिक भर्ती पर ध्यान केंद्रित करने की सिफारिश की है, क्योंकि राज्य बोर्डों में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी (12 लाख) है, और प्रति स्कूल औसतन 10 शिक्षक हैं.