उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले के शिकोहाबाद थाना क्षेत्र के साधुपुर गांव में 1981 में उच्च जाति के राशन दुकान के मालिक के ख़िलाफ़ शिकायत करने पर 10 दलितों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान नौ आरोपियों की मौत हो गई थी.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में उच्च जाति के राशन दुकान के मालिक के खिलाफ शिकायत करने पर 10 दलितों की गोली मारकर हत्या करने के 42 साल बाद एक स्थानीय अदालत ने एकमात्र जीवित बचे आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वह 90 साल के हैं.
मामले की लंबी सुनवाई के दौरान अपराध के नौ अन्य आरोपियों की मौत हो गई. जिला सरकारी वकील (डीजीसी) राजीव उपाध्याय प्रियदर्शी ने फैसला आने में हुई देरी पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, ‘मामला 2021 में फिरोजाबाद स्थानांतरित कर दिया गया था और उसी के अनुसार फैसला किया गया.’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डीजीसी ने कहा, ‘42 साल पुराने इस मामले में एकमात्र जीवित आरोपी गंगा दयाल को जिला न्यायाधीश हरवीर सिंह ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई.’
फिरोजाबाद की जिला एवं सत्र अदालत ने बुधवार (31 मई) को फैसला सुनाया था. दयाल को हत्या (आईपीसी की धारा 302) के लिए दोषी ठहराया गया और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. आरोपी को हत्या के प्रयास (धारा 307) के लिए भी दोषी ठहराया गया और 10 साल की जेल और 5,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई.
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में और फिर मैनपुरी के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में भी हुई थी.
डीजीसी ने कहा, ‘हत्या दिसंबर 1981 में शिकोहाबाद थाना क्षेत्र के साधुपुर गांव में हुई थी. दुश्मनी का कारण कुछ दलित ग्रामीणों द्वारा एक राशन दुकान के मालिक के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत थी, जिसने अपने नौ साथियों के साथ बदला लिया और अपने घर में खाना बना रहे इन लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी.’
उन्होंने बताया कि मामले में आरोप पत्र मैनपुरी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर किया गया था, क्योंकि घटना के समय शिकोहाबाद मैनपुरी जिले का हिस्सा था.
डीजीसी ने कहा कि 1989 में फिरोजाबाद जिला बनने के बाद शिकोहाबाद इसका हिस्सा बन गया. मैनपुरी कोर्ट में सुनवाई चलती रही. साल 2021 में इसे फिरोजाबाद अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन तब तक 10 नामित अभियुक्तों में से नौ की मृत्यु हो चुकी थी.
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि इस तरह की सामूहिक हत्या दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में आती है, इसलिए गंगा दयाल मृत्युदंड के पात्र हैं. लेकिन बचाव पक्ष ने अभियुक्त की उम्र के कारण सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रखने का अनुरोध किया था.
मामले के लंबित रहने के दौरान जमानत पर छूटे गंगा दयाल को बुधवार को फिरोजाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और अदालत के आदेश के बाद जेल भेज दिया.