मणिपुर हिंसा: कुकी समुदाय से आने वाले भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग की

इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा की जांच करेगी. उन्होंने कहा कि हिंसा में साज़िश से जुड़े छह मामलों की जांच सीबीआई करेगी.

/
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 30 मई 2023 को इंफाल में मणिपुर के राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मुलाकात की. इस दौरान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी मौजूद रहे. (फाइल फोटो साभार: पीआईबी)

इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा की जांच करेगी. उन्होंने कहा कि हिंसा में साज़िश से जुड़े छह मामलों की जांच सीबीआई करेगी.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 30 मई 2023 को इंफाल में मणिपुर के राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मुलाकात की. इस दौरान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी मौजूद रहे. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: मणिपुर में मई महीने की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा छिटपु रूप से जारी है. हिंसा के लगभग 25 दिनों बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा कर लोगों से शांति की अपील की है. इस बीच आदिवासी कुकी समुदाय से आने वाले विधायकों ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटाने की मांग की है.

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये विधायक विशेष रूप से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के हैं, यहां तक कि राज्य भाजपा सचिव पाओकम हाओकिप ने भी इस मांग का समर्थन किया है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह से बीरेन सिंह 2015 में आदिवासियों के विरोध से निपटने को लेकर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के प्रति आलोचनात्मक थे. इस विरोध में नौ लोगों की मौत हो गई थी और उन्होंने (बीरेन सिंह) भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी थी.

वर्तमान में भाजपा विधायकों रघुमणि सिंह ने मणिपुर रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी के अध्यक्ष पद, पी. ब्रोजेन सिंह ने मणिपुर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष, करम श्याम ने मणिपुर पर्यटन निगम के अध्यक्ष और थिकचोम राधेश्याम मुख्यमंत्री के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही एन. बीरेन सिंह भरोसे की कमी से जूझ रहे हैं.

इस बीच मणिपुर सरकार के अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्यों सहित प्रमुख आदिवासी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हिंसा की एसआईटी जांच की मांग की है. इस हिंसा को उन्होंने कुकी, जोमी, मिजो और हमार जनजातियों का ‘जातीय सफाया’ करार दिया है.

मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली के सदस्यों ने बुधवार (31 मई) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि 115 से अधिक आदिवासी गांवों को जला दिया गया है, 68 आदिवासी लोग मारे गए है और 50 या उससे अधिक अभी भी लापता हैं.

संगठन ने जातीय संघर्ष को भड़काने में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और भाजपा के राज्यसभा सांसद लीशेम्बा सनाजाओबा की कथित भूमिका की जांच करने का भी आह्वान किया है. इस दौरान कुकी-जोमी समुदाय ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने और उनके लिए एक अलग प्रशासन बनाने की प्रक्रिया शुरू करने संबंधी मांग को दोहराया.

फोरम ने कहा, ‘गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति के बावजूद 29-30 मई को कांगपोकपी में आदिवासी गांवों में मेईतेई कमांडो ने 585 घरों को जला दिया.’

बुधवार की सुबह तक मणिपुर के बिष्णुपुर-चुराचंदपुर जिलों के तांगजेंग गांव के पास अज्ञात व्यक्तियों द्वारा की गई गोलीबारी में कई लोग घायल हो गए थे.

फोरम ने कहा कि मेइतेई ‘चरमपंथियों’ को राज्य सुरक्षा बलों से हथियार चुराने की अनुमति दी गई थी.

इस बीच, खबरों में कहा गया है कि मणिपुर के डीजीपी पी. डौंगेल को हटा दिया गया है, उनकी जगह आईपीएस राजीव सिंह को तैनात किया गया है. राजीव सिंह आईजी, सीआरपीएफ थे और बीते 29 मई को अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति पर मणिपुर भेजे गए थे.

इस बीच उखरुल टाइम्स ने रिपोर्ट किया है कि यूनाइटेड नगा काउंसिल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखा है, जिसमें जोर दिया गया है कि ‘नगा किसी भी समुदाय द्वारा की गई किसी भी अपील या मांग को पूरा करने के प्रयास में नगा क्षेत्रों के किसी भी विघटन को स्वीकार नहीं करेंगे’.

यह पत्र न्यूमई न्यूज नेटवर्क को उपलब्ध कराया गया था. इसमें कहा गया है कि नगा काउंसिल ‘3 अगस्त, 2015 के फ्रेमवर्क समझौते के आधार पर एक स्थायी, समावेशी और सम्मानजनक भारत-नगा राजनीतिक समझौते के मामले में यह प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करती है’.

इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि अमित शाह ने अपनी यात्रा के दौरान कांगपोकपी और मोरेह में कुकी समुदाय के नेताओं और सदस्यों से मुलाकात की थी.

इसके अनुसार, ‘राहत शिविरों में, कई लोगों ने राज्य सरकार पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया है, जबकि उन पर दूसरे समुदाय के सदस्यों द्वारा हमला किया जा रहा है. शाह ने आश्वासन दिया कि न्याय किया जाएगा और उन्हें हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी.’

गृह मंत्री ने कहा- सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली समिति हिंसा की जांच करेंगी

इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीते 1 जून को घोषणा की कि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा की जांच करेगी.

इस हिंसा में 70 से अधिक लोगों की मौत हुई है और हजारों की संख्या में लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में रहने का मजबूर हैं.

उन्होंने कहा कि यह समिति केंद्र सरकार नियुक्त करेगी.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शाह ने कहा कि हिंसा में साजिश से जुड़े छह मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) करेगी. केंद्र के मार्गदर्शन में यह जांच की जाएगी.

शाह ने कहा, ‘मैं सभी को विश्वास दिलाता हूं कि जांच निष्पक्ष होगी और हिंसा के पीछे के कारणों की जड़ तक जाएगी.’ उन्होंने लोगों से (लूटे गए) हथियार वापस करने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘अगर वे हथियार नहीं सौंपते हैं, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते एक जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के तहत एक ‘शांति समिति’ बनाई जाएगी. इसमें सभी राजनीतिक दलों और हिंसा प्रभावित दोनों पक्षों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.

हालांकि, एनडीटीवी ने बताया है कि शांति समिति का गठन राज्यपाल और सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह और नागरिक समाज के सदस्यों के तहत किया जाएगा.

मालूम हो कि राज्य में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के मुद्दे पर पनपा तनाव 3 मई को तब हिंसा में तब्दील हो गया, जब इसके विरोध में राज्य भर में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाले गए थे.

यह मुद्दा एक बार फिर तब ज्वलंत हो गया था, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफारिश सौंपे.

ऐसा माना जाता है कि इस आदेश से मणिपुर के गैर-मेईतेई निवासी जो पहले से ही अनुसूचित जनजातियों की सूची में हैं, के बीच काफी चिंता पैदा हो गई थी.

बीते 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेईतेई समुदाय को शामिल करने पर विचार करने के निर्देश के खिलाफ ‘कड़ी टिप्पणी’ की थी. शीर्ष अदालत ने इस आदेश को तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत बताया था.

इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq