स्कूल में हिजाब के बाद इक़बाल की कविता पर विवाद, मध्य प्रदेश सरकार ने मान्यता निलंबित की

मध्य प्रदेश के दमोह में गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल ग़ैर-मुस्लिम छात्राओं को ‘हिजाब’ पहनाने के आरोप में जांच का सामना कर रहा है. अब यह स्कूल कथित तौर पर ग़ैर-मुस्लिम छात्रों को शायर अल्लामा इक़बाल की लिखी कविताएं गाने के लिए मजबूर करने को लेकर विवाद में है.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर स्क्रीनग्रैब)

मध्य प्रदेश के दमोह में गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल ग़ैर-मुस्लिम छात्राओं को ‘हिजाब’ पहनाने के आरोप में जांच का सामना कर रहा है. अब यह स्कूल कथित तौर पर ग़ैर-मुस्लिम छात्रों को शायर अल्लामा इक़बाल की लिखी कविताएं गाने के लिए मजबूर करने को लेकर विवाद में है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

भोपाल: मध्य प्रदेश के दमोह में एक स्कूल कथित तौर पर गैर-मुस्लिम छात्रों को शायर अल्लामा इकबाल की लिखी कविताएं गाने के लिए कथित तौर पर मजबूर करने को लेकर विवादों में आ गया है.

गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल पहले से ही गैर-मुस्लिम छात्राओं को ‘हिजाब’ पहनाने के आरोप में जांच का सामना कर रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश सरकार ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मजबूर करने के आरोपों के बाद इस निजी स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी है.

स्कूल में अल्लामा इकबाल का गीत ‘लब पे आती है दुआ’ गाया जाता था. मंगलवार (30 मई) को यह मामला सामने आया था. गीत को वर्ष 1902 में मोहम्मद इकबाल ने लिखा था, जिन्हें अल्लामा इकबाल के नाम से भी जाना जाता है.

1877 में अविभाजित भारत के सियालकोट में जन्मे इकबाल ने प्रसिद्ध गीत ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा’ लिखा था. उन्हें ‘आइडिया ऑफ पाकिस्तान’ को जन्म देने के लिए भी जाना जाता है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को छतरपुर जिले में लाडली बहना योजना से जुड़े एक कार्यक्रम में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि इस तरह की प्रथा की अनुमति नहीं दी जाएगी.

चौहान ने कहा, ‘कल ही मुझे पता चला कि एक स्कूल में बेटियों को अपना सिर ढंकने के लिए मजबूर किया जाता है, वे देश के बंटवारे की बात करने वाले एक शख्स की कविता भी पढ़ा रहे थे.’

उन्होंने कहा, ‘मैं सभी को चेतावनी देना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश में इस तरह की हरकत नहीं होने दी जाएगी. केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लागू की गई शिक्षा नीति ही राज्य में लागू होगी.’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कोई भी स्कूल जो नई शिक्षा नीति के अनुरूप नहीं है या छात्राओं को दुपट्टा या सिर ढंकने के लिए मजबूर करता है, उसे राज्य में संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’

दमोह जिला कलेक्टर मयंक अग्रवाल, जिन्होंने आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है, ने शुक्रवार को कहा कि वे स्कूल के पंजीकरण से जुड़े मामलों सहित अन्य मामलों को भी देख रहे हैं.

अग्रवाल ने कहा, ‘जब समिति जांच कर रही थी, स्कूल ने हमें अपनी प्रबंधन समिति के फैसले के बारे में बताया, जिसके तहत छात्राओं के ड्रेस कोड से स्कार्फ हटाने और सुबह की प्रार्थना के दौरान केवल राष्ट्रगान गाने की बात कही गई है.’

रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले इस स्कूल ने अपने बोर्ड परीक्षा के टॉपर्स का एक पोस्टर जारी किया था, जिसमें कुछ लड़कियां, जो मुस्लिम नहीं हैं, स्कार्फ पहने नजर आ रही हैं. पोस्टर को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि लड़कियों को स्कूल द्वारा हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया गया था.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बाद में इस मामले को दमोह जिला कलेक्टर के समक्ष रखा.

विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और एबीवीपी सहित दक्षिणपंथी समूहों ने गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल पर गैर-मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते हुए दमोह में विरोध प्रदर्शन किया.

जिला कलेक्टर ने कहा कि उन्हें 30 मई को एनसीपीसीआर की शिकायत मिली और दमोह जिला शिक्षा अधिकारी ने छात्रों के परिवारों से मुलाकात की. अधिकारी ने कहा कि किसी अभिभावक ने शिकायत नहीं की है.

छात्रों में से एक ने कहा, ‘छात्राओं के लिए स्कूल ड्रेस कोड में स्कार्फ, सलवार और कुर्ता शामिल है, लेकिन अगर हम किसी भी दिन स्कार्फ पहनना भूल भी जाते हैं, तो हमें इसके लिए दंडित नहीं किया जाता है. हमारे पास शिकायत करने के लिए कुछ भी नहीं है.’

स्कूल की मान्यता निलंबित किए जाने के संबंध में इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जिला शिक्षा अधिकारी (दमोह) ने शुक्रवार को गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल को निरीक्षण के बाद एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया है कि ‘स्कूल में मान्यता नियम 2017 एवं मान्यता संशोधन नियम 2020 में वर्णित निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा था.’

पत्र में कहा गया है कि स्कूल में उचित पुस्तकालय, भौतिक विज्ञान/रसायन विज्ञान की उचित प्रायोगिक सामग्री, पंजीकृत 1,208 छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालयों की समुचित व्यवस्था एवं शुद्ध पेयजल का अभाव है तथा भौतिक विज्ञान एवं रसायन विज्ञान प्रयोगशाला के अलग-अलग कक्षों में पुराने फर्नीचर का भी प्रयोग किया जा रहा है.

पत्र में कहा गया है, ‘प्रथम दृष्टया शर्तों और दायित्वों और समय-समय पर जारी निर्देशों का पालन न करने के परिणामस्वरूप स्कूल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.’