शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ट्रेन में ‘कवच’ सिस्टम के इस्तेमाल को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से भिड़ गईं. उन्होंने इस हादसे को इस सदी की सबसे बड़ी ट्रेन दुर्घटना क़रार दिया. उन्होंने वैष्णव से पूछा कि ट्रेनों में टक्कर-रोधी प्रणाली क्यों नहीं थी, जिससे त्रासदी को टाल जा सकता था.
नई दिल्ली: ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम (2 जून) हुई तीन ट्रेनों की भयानक टक्कर में लगभग 290 यात्रियों के मारे जाने के कुछ घंटों बाद रेलवे ने पुष्टि की है कि उक्त रेल मार्ग पर ‘कवच’ प्रणाली नहीं थी, जो एक्सप्रेस ट्रेनों को आपस में टकराने से रोक सकती थी.
दुर्घटना में विश्वेश्वरैया (बेंगलुरु)-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12864), शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12841) और एक मालगाड़ी शामिल थीं.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन इस बात की जांच करने के लिए किया गया है कि अलग-अलग लाइनों पर दो यात्री ट्रेनों के पटरी से उतरने और टकराने से ठीक पहले क्या हुआ था.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच विपक्षी नेताओं ने सिग्नल देने में विफलता को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है, वहीं केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि जांच रिपोर्ट के बाद ही कारण पता लग पाएगा.
एक अन्य थ्योरी यह है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस संभवत: मानवीय त्रुटि के चलते गलत ट्रैक पर चल चली गई थी.
हालांकि, ‘कवच’ प्रणाली आपदा से बचा सकती थी, क्योंकि जब एक लोको पायलट सिग्नल तोड़ता है तो यह चेतावनी दे देती है और फिर जब यह उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन को देखती है तो ब्रेक पर नियंत्रण लेकर ट्रेन को अपने-आप रोक देती है.
रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा कि मार्ग पर ‘कवच’ उपलब्ध नहीं था.
कवच की घोषणा 2022 बजट में आत्मनिर्भर भारत की पहल के एक हिस्से के रूप में की गई थी. इस तकनीक के तहत कुल 2,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क लाए जाने की योजना थी.
अश्विनी वैष्णव द्वारा कवच प्रणाली की व्याख्या करने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं.
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने पूछा है कि कुल रेल मार्गों का केवल 2 फीसदी ही क्यों ‘कवच’ के दायरे में लाया गया है. गोखले ने दावा किया कि कवच प्रणाली रेल मंत्री रहने के दौरान ममता बनर्जी द्वारा प्रस्तावित टक्कर-रोधी यंत्र की रीपैकेजिंग है.
Shocking facts about Modi Govt criminally ignoring railway anti-collision technology:
👉 In 2011-12, Indian Railways under then Railways Minister @MamataOfficial developed the “Train Collision Avoidance System (TCAS)” system
👉 Modi Govt, after coming to power, typically…
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) June 3, 2023
गोखले ने ट्वीट किया, ‘2011-12 में तत्कालीन रेल मंत्री के अधीन भारतीय रेलवे ने ‘ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (टीसीएएस)’ विकसित की थी. मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद आम तौर पर पूरा क्रेडिट लेने के लिए इसका नाम बदलकर ‘कवच’ कर दिया. इस महत्वपूर्ण रेल सुरक्षा तकनीक को 2019 तक तैनात करने को लेकर शून्य प्रगति थी, जब 3 कंपनियों को कवच निर्माण करने और स्थापित करने के लिए मंजूरी दी गई थी.’
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी ‘कवच’ के इस्तेमाल को लेकर रेल मंत्री से भिड़ गई हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उन्होंने इसे ‘सदी का सबसे बड़ा’ ट्रेन हादसा करार दिया और घटना की सच्चाई तक पहुंचने के लिए उचित जांच की मांग की.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की और पूछताछ की कि ट्रेनों में टक्कर-रोधी प्रणाली क्यों नहीं थी, जिसने त्रासदी को टाल दिया होता.
बनर्जी ने सवाल किया, ‘यह इस सदी की सबसे बड़ी ट्रेन दुर्घटना है और इसकी उचित जांच होनी चाहिए. इसके पीछे जरूर कुछ तो होगा. सच्चाई सामने आनी चाहिए. टक्कर-रोधी प्रणाली काम क्यों नहीं कर पाई?’
इस दौरान वैष्णव उनके बगल में खड़े हुए थे.
#WATCH | At the site of #BalasoreTrainAccident, West Bengal CM and former Railways Minister Mamata Banerjee says, “Coromandel is one of the best express trains. I was the Railway Minister thrice. From what I saw, this is the biggest railway accident of the 21st century. Such… pic.twitter.com/aOCjfoCbvF
— ANI (@ANI) June 3, 2023
उन्होंने कहा, ‘कोरोमंडल सबसे अच्छी एक्सप्रेस ट्रेनों में से एक है. मैं तीन बार रेल मंत्री रही थी. मैंने पाया कि यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना है. ऐसे मामले रेलवे के सुरक्षा आयोग को सौंपे जाते हैं और वे जांच करके रिपोर्ट देते हैं. जहां तक मुझे पता है कि ट्रेन में कोई टक्कर-रोधी यंत्र नहीं था. अगर ट्रेन में यंत्र होता तो ऐसा नहीं हुआ होता. मृतकों को वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन अब हमारा काम बचाव अभियान और सामान्य स्थिति बहाल करना है.’
बनर्जी ने 1999 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में रेल मंत्री के रूप में काम किया था. उन्होंने यूपीए के दूसरे कार्यकाल की सरकार के तहत 2009 में दूसरी बार रेलवे का कार्यभार संभाला.
उन्होंने कहा, ‘रेलवे मेरे बच्चे की तरह है. मैं रेलवे परिवार की सदस्य हूं और अपने सुझाव देने के लिए तैयार हूं.’